नि:संतानता के 30 से 40% मामलों में पुरूष जिम्मेदार, जानें क्या है वजह
पटना। नि:संतानता के इलाज के क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी फर्टिलिटी चैन इन्दिरा आईवीएफ ने पटना के कंकड़बाग में देश का 86वां एवं बिहार का 6वां नया सेंटर का शुभारंभ किया है। जिसका उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्य अतिथि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने रिबन काटकर किया। स्वास्थ्य मंत्री ने इस दौरान नि:संतानता के क्षेत्र में इंदिरा आईवीएफ के जन जागरूकता लाने के प्रयासों की प्रशंसा की और कहा कि यहां केन्द्र खुलने से आसपास के क्षेत्र के लोगों को फायदा होगा, उन्हें इलाज के लिए अब दूर नहीं जाना पड़ेगा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कोरोना वायरस के प्रति राज्य सरकार गंभीर है। साथ ही लोगों की सतर्कता व जागरूकता ही बचाव है।

वहीं इंदिरा आईवीएफ बिहार के प्रमुख भ्रूण विशेषज्ञ डॉ. दयानिधि कुमार ने बताया कि बदलती जीवनशैली और आपाधापी के चलते भारतीय पुरूषों के वीर्य की गुणवत्ता और शुक्राणुओं की संख्या में तेजी से गिरावट सामने आयी है। चिंताजनक बात यह है कि ग्लोबल अध्ययन में यह सामने आया है कि शुक्राणुओं की औसत संख्या में 32 फीसदी तक गिरावट आयी है लेकिन सुकून वाली बात यह है कि आईवीएफ के रूप में इसका उपचार उपलब्ध है। डॉ. दयानिधि ने बताया कि लाइफ स्टाईल ने बांझपन को आमंत्रण दिया है खासकर धूम्रपान, खराब खानपान, तनाव ने पुरूषों की फर्टिलिटी को प्रभावित किया है। गर्भधारण के लिए पुरूषों की शुक्राणुओं की संख्या में कमी आयी है। ऐसे में आईवीएफ तकनीक से गर्भधारण कराना आसान हो गया है।
कंकड़बाग सेंटर की आईवीफ स्पेशलिस्ट डॉ. अनुपम कुमारी ने कहा कि बांझपन के लिए पुरूष और महिला दोनो भागीदार हो सकते हैं इसलिए नि:संतानता के इलाज के लिए दोनों को आगे बढ़ना चाहिए। सेंटर शुभारंभ के अवसर पर 18 से 29 फरवरी तक नि:शुल्क नि:संतानता परामर्श शिविर आयोजित किया गया है, जिसमें नि:संतान दंपती विशेषज्ञों से परामर्श प्राप्त कर पाएंगे।

