तेजस्वी का नीतीश सरकार पर कड़ा प्रहार : नीतीश जी बताएं, सीएम रिलीफ फंड में कितने पैसे मिले और कहां खर्च किया

पटना। सदन में विपक्ष के नेता व राजद नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर जमकर हमला बोला और कई सवाल किए। उन्होंने पार्टी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार पिछले पंद्रह वर्षों में तरक़्की की जगह बर्बादी की ओर बढ़ता गया। आज भी बाढ़ जैसी विभीषिका अगर तबाही मचाती है तो उसके जिम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ नीतीश कुमार हैं। अगर मानसून हर साल एक ही समय पर आता है तो आखिर सरकार क्यों नहीं तैयारी करती है? बिहार बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है लेकिन यहां बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई का प्रति व्यक्ति खर्च 104.40 रूपये है, जबकि राष्ट्रीय औसत 199.20 रूपये है।
नीतीश जी का अजीबोगरीब नुस्खा
उन्होंने आरोप लगाया कि साल दर साल हजारों करोड़ रुपये नीतीश सरकार बाढ़ के नाम पर डकार जाती है लेकिन इसके नियंत्रण और रोकथाम पर अभी तक एक भी प्रभावी काम नहीं कर पायी है। अपने पंद्रह वर्ष के शासन काल में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक भी नये तटबंध, डैम या बराज नहीं बनाये, जिससे की बाढ़ के खतरे और उसके कारण नुकसान को कम किया जा सके। यहीं नहीं नीतीश जी का एक अजीबोगरीब नुस्खा है सभी समस्याओं को भगवान भरोसे छोड़ दो, धीरे-धीरे स्वयं कोई भी परेशानी चाहे वो बाढ़ हो या कोरोना हो, खत्म हो जायेगा।

तेजस्वी ने कहा कि आज बिहार के 16 जिलों के 130 प्रखंडों के 1331 पंचायतों में 83.62 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं लेकिन नीतीश कुमार को उनकी चिंता नहीं है। खानापूर्ति के लिए मेरे द्वारा बार-बार मांग करने पर सिर्फ़ 2 बार प्रभावित इलाकों का दौरा किया। जबकि राजद कार्यकर्ता लालू रसोई के माध्यम से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगातार लगे हुए हैं और खाने का प्रबंध कर रहे हैं।
6 महीने बीतने के बाद भी सरकार कोरोना के प्रति गंभीर नहीं
उन्होंने कोरोना महामारी के सन्दर्भ में कहा कि 6 महीने बीतने के बाद भी बिहार सरकार गंभीर नहीं हुई है। बिहार संक्रमण के मामले में अब भी देश में आगे है। अगर सिर्फ़ अगस्त महीने की बात करें तो अभी तक 28 दिनों में 79,861 नए मरीज मिले हैं और 376 लोगों की मृत्यु हुई है और ये स्थिति तब है जब पूरा प्रदेश पिछले 3 महीने से लगातार लॉकडाउन में है। वहीं अब भी आरटी-पीसीआर टेस्ट की संख्या 6 हजार के आसपास ही है। इस विधि से जांच करने में 50% से अधिक लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही। वहीं रैपिड ऐंटिजेन टेस्ट किट से औसतन 3-5% लोगों की जांच रिपोर्ट ही पॉजिटिव आ रही। इसी कारण बिहार में जब 10 हजार जांच हो रहे थे तो 2500-3000 पॉजिटिव पाए जा रहे थे और 1 लाख जांच हो रहे तब भी उतने ही पॉजिटिव मरीज निकल रहें। उन्होंने कहा कि अगर कोरोना पर सरकार ने नियंत्रण पा लिया होता तो कम से कम एक जिला भी कोरोना मुक्त घोषित हो जाना चाहिए था। लेकिन आज भी संक्रमण के फैलाव की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
तो फिर स्किल मैपिंग का क्या औचित्य
उन्होंने आगे कहा कि कोरोना का सबसे बुरा असर गरीबों, मजदूरों पर पड़ा है। लगभग 40 लाख प्रवासी मजदूर बाहर से आयें। सरकार मनरेगा के कार्यदिवस सृजन करने को अगर रोजगार देना मानती है जिसमें सिर्फ़ निर्माण कार्य ही होते हैं तो फिर स्किल मैपिंग का क्या औचित्य रह गया? मनरेगा के अलावा क्या सरकार ने दूसरे क्षेत्रों में एक भी रोजगार के अवसर सृजित किए? आखिर आज भी सरकार द्वारा 1000 रूपये की आर्थिक सहायता राशि आधे से ज्यादा लोगों को क्यों नहीं मिल पायी?
सीएम नीतीश से किए कई सवाल
तेजस्वी ने सीएम नीतीश से सवाल करते हुए पूछा कि मैंने जून माह में सरकार से मांग किया था कि प्रतिदिन 100 रूपये भत्ता के रूप में कम से कम 100 दिनों का भत्ता जो 10,000 है सभी बेरोजगार कामगारों को दे। सरकार बताए उसने इस दिशा में क्या काम किया है? नीतीश जी बताएं की सीएम रिलीफ फंड में कितने पैसे मिले और उनका खर्च कहां किया गया? नीतीश जी बताएं कि कोरोना के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट से उबरने के लिए क्या रोडमैप है उनके पास?