जिस मुहूर्त में जन्मे राम, उसी मुहूर्त में हो रहा मंदिर निर्माण आरंभ
अभिजीत मुहूर्त में 5 अगस्त को होगा राम मंदिर का भूमि पूजन

पटना। भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में राममंदिर के निर्माण का इंतजार वर्षों से श्रद्धालु कर रहे हैं। आज भूमि पूजन के साथ ही मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ हो जाएगा। त्रिदिवसीय अनुष्ठान के अंतर्गत कल (बुधवार) मुख्य व अंतिम पूजा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भूमि पूजन दोपहर 12 बजकर 15 मिनट 15 सेकंड पर किया जाएगा।
अभिजीत मुहूर्त में राममंदिर का भूमि पूजन मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि राम मंदिर के भूमि पूजन के लिए कल भाद्रपद कृष्ण द्वितीया का दिन बहुत ही शुभ है। दरअसल इस पावन दिन में कई शुभ योग बन रहे हैं। भूमि पूजन अभिजीत मुहूर्त में होगा। भूमि पूजन कार्यक्रम का आरंभ धनिष्ठा नक्षत्र में और समापन शतभिषा नक्षत्र में होगा। अभिजीत मुहूर्त में भगवान राम का जन्म हुआ था और इसी मुहूर्त में उन्ही के मंदिर के निर्माण की पूजा होगी। रामचरित मानस में उनके जन्म और मुहुर्त के बारे में लिखा है- नवमी तिथि मधुमास पुनीता, शुक्ल पक्ष अभिजित हरिप्रीता।
वैभवकारी होते हैं अभिजीत मुहूर्त
ज्योतिषी झा ने कहा कि अभिजीत मुहूर्त में भूमि पूजन होना वैभवकारी साबित होगा। इस मुहूर्त में जो भी कार्य शुरू किया जाता है, उसमें सफलता अवश्य मिलती है। 15 मुहूर्तों में से अभिजित मुहूर्त आठवें नंबर पर आता है और बहुत ही फलदायी होता है। ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि 28वां नक्षत्र अभिजीत होता है, जो सभी कार्यों के लिए शुभ है। अगर कोई शुभ मुहूर्त ना हो तो अभिजीत के समय बिना पंचांग देखे भी शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है। कल भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष द्वितीया में सिंह राशि में सूर्य विद्यमान रहेंगे। जिससे यह मुहूर्त और भी फलदायी हो गया है।
धनिष्ठा नक्षत्र का भूमि से है संबंध
ज्योतिर्विद आचार्य रूपेश पाठक के अनुसार धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी मंगल हैं जो भूमि के कारक ग्रह हैं। इस नक्षत्र में भूमि पूजन कार्यक्रम आरंभ होगा। वसु इस नक्षत्र के देवता हैं, जो विष्णु और इंद्र के रक्षक हैं। इसलिए इस समय को भूमि पूजन के लिए शुभ संयोग माना जा रहा है। 27 नक्षत्रों में से धनिष्ठा को 23वां नक्षत्र माना जाता है। कुछ ज्योतिष इस नक्षत्र का संबंध भगवान शिव और कृष्ण से भी संबंध मानते हैं।
अभिलाषाएं पूरी करता है यह नक्षत्र
पंडित गजाधर झा के मुताबिक, भूमि पूजन के कार्यक्रम का अंत शतभिषा नक्षत्र में होगा। इस नक्षत्र के बारे में ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि शतभिषा नक्षत्र ऐसा नक्षत्र है, जो 100 अभिलाषाओं को पूर्ण करता है। शतभिषा नक्षत्र में भूमि पूजन का समापन होना, जो इसकी शुभता को दर्शाता है और मंदिर निर्माण के सफल होने की गवाही देता है।

