जविपा की मानव श्रृंखला को मिला पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह का साथ, कहा- देश को मूल मुद्दों से भटकाया जा रहा
पटना। बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, सीएए-एनआरसी व शिक्षा की बदहाली के खिलाफ मंगलवार को जनतांत्रिक विकास पार्टी के द्वारा राजधानी पटना में कारगिल चौक से सचिवालय तक मानव श्रृंखला बनाया गया, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार के साथ पटना की जनता और सैकड़ों छात्र-नौजवान शामिल हुए। इसके अलावा मानव श्रृंखला को बिहार सरकार के पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह का भी साथ मिला। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, किसानों के सवाल, स्वास्थ्य और शिक्षा की गिरती व्यवस्था समेत मौलिक सवाल को लेकर बनी मानव श्रृखंला को समर्थन देने आये हैं। उन्होंने कहा कि आज बिहार में सरेआम अपराधियों के हाथों लोग मारे जा रहे हैं। बेवजह एनपीआर, एनआरसी और सीएए को लाकर देश को मूल मुद्दों से भटकाया जा रहा है। देश की संपत्ति रेल, बीमा कंपनी, हवाई अड्डे, तेल कंपनियों को सरकार बेच रही है। सरकार खुद मुठ्ठी भर पूंजीपतियों के हाथों बिक चुकी है और इस मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए हिंदू-मुसलमान और जात-पात कर रहे हैं।
इससे पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुला चैलेंज करते हुए कहा कि अगर उनमें हिम्मत है तो बिना सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किये बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और शिक्षा की बदहाली के खिलाफ मानव श्रृंखला लगा कर दिखाएं। अनिल ने कहा कि नीतीश कुमार ने अपने 15 सालों के राज में प्रदेश में बेरोजगारों की फौज खड़ी कर दी है। इन 15 सालों में उनकी सरकार एक भी उद्योग बिहार में नहीं लगा पायी। श्री कुमार ने पलायन के मुद्दे पर भी नीतीश कुमार को घेरा और कहा कि बेरोजगार युवा आज भी रोजगार की तलाश में अपना घर-परिवार छोड़कर दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर हैं। प्रदेश के युवाओं के रोजगार के प्रति सरकार की लापरवाही चिंताजनक है। अनिल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बिहार की शिक्षा व्यवस्था को गर्त में ले जाने का भी आरोप लगाया और कहा कि कभी दुनिया को ज्ञान देने वाला हमारे गौरव नालंदा विश्वविद्यालय की हालत आज बद्दतर है। नीतीश के 15 साल के शासन ने बिहार में शिक्षा व्यवस्था की नींव हिला कर रख दी है। छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति भी खत्म हो रही है। जिस टीचर को स्कूलों में होना चाहिए था, उन्हें सरकार की गलत नीतियों ने सड़क पर आंदोलन करने को मजबूर किया है। इन हालात में बिहार में शिक्षा व्यवस्था के हालात कैसे सुधर सकते हैं। आज यह गंभीर प्रश्न हैं।


