जयद् योग में सुहागिन 22 मई को करेंगी वट सावित्री व्रत, अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव से मिलेगा छुटकारा

पटना। अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं 22 मई ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को जयद् योग व शनि जयंती के सुयोग में वट सावित्री का व्रत करेंगी। वट वृक्ष को देव वृक्ष माना गया है। इस दिन बरगद के वृक्ष की पूजा कर महिलाएं देवी सावित्री के त्याग, पति प्रेम एवं पति व्रत धर्म का स्मरण करती हैं। यह व्रत स्त्रियों के लिए सौभाग्यवर्धक, पापहारक, दु:खप्रणाशक और धन-धान्य प्रदान करने वाला होता है। इस पेड़ में बहुत सारी शाखाएं नीचे की तरफ लटकी हुई होती हैं, जिन्हें देवी सावित्री का रूप माना गया है। इसमें ब्रह्मा, शिव, विष्णु एवं स्वयं सावित्री भी विराजमान रहती हैं। अग्नि पुराण के अनुसार बरगद उत्सर्जन को दर्शाता है, इसीलिए संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं भी इस व्रत को करती हैं। अपनी विशेषताओं और लंबे जीवन के कारण इस वृक्ष को अनश्वर माना गया है। इसीलिए इस वृक्ष की कई जड़ में पूजा करने से सर्व मनोकामना की पूर्ति एवं बच्चों की निरोग काया व विकास का वरदान मिलता है।
अनिष्ट ग्रहों के प्रभाव से मिलेगा छुटकारा
कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा कहते हैं ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या शुक्रवार को वट सावित्री का व्रत पुण्यफल देने वाला संयोग बना है। पहला जयद् योग, दूसरा शनि जयंती का युग्म संयोग बन रहा है। इसी दिन सूर्यपुत्र शनि की शनि जयंती भी पड़ रही है। आज के दिन बरगद व पीपल की पूजा करने से शनि, मंगल और राहू के अशुभ प्रभाव से छुटकारा मिलेगा।
मिलेगा अखंड सुहाग का वरदान
पंडित झा ने ब्रह्मवैवर्त्तपुराण तथा स्कन्द पुराण के हवाले से बताया कि वट सावित्री का व्रत और श्रद्धा, भक्ति व निष्ठा से वट वृक्ष की पूजा व परिक्रमा करने से सुहागिनों को अखंड सुहाग, पति की दीर्घायु, वंश वृद्धि, दांपत्य जीवन में सुख-शांति तथा वैवाहिक जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं। पूजा के उपरांत भक्तिपूर्वक सत्यवान-सावित्री की कथा का श्रवण और वाचन करना चाहिए। इससे परिवार पर आने वाली अदृश्य बाधाएं दूर होती हैं तथा घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। उन्होंने कहा कि इस दिन गंगा या तीर्थ में स्नान करने से सहस्त्र गौदान, कोटि सुवर्ण दान के बराबर फल मिलता हैं। वट की पूजा और परिक्रमा के बाद अन्न, तिल, ऋतुफल आदि का दान करने से समृद्धि तथा गृहस्थ आश्रम ने शांति बनी रहती हैं।
वट वृक्ष की पौराणिक मान्यता
ज्योतिषी झा ने कहा, वट सावित्री के व्रत के दिन बरगद पेड़ के नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा सुनने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत में महिलाएं सावित्री-सत्यवान की कथा सुनती हैं। वट वृक्ष के नीचे बैठकर ही सावित्री ने अपने पतिव्रत से पति सत्यवान को दोबारा जीवित कर लिया था। दूसरी कथा के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है। वट वृक्ष की पूजा से घर में सुख-शांति, धनलक्ष्मी का भी वास होता है। वट वृक्ष रोग नाशक भी है। वट का दूध कई बीमारियों से रक्षा करता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
तिथि के मुताबिक : प्रात: 05:02 बजे से पुरे दिन
गुली काल मुहूर्त : प्रात: 06:43 बजे से 08:24 बजे तक
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 11: 19 बजे से 12:13 बजे तक

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