कोरोना जांच और दागी मंत्रियों को ले तेजस्वी ने सीएम नीतीश पर बोला हमला, लगाए कई आरोप
पटना। कोरोना जांच और नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल दागी मंत्रियों को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बीते 20 घंटे के दौरान ताबड़तोड़ ट्वीट कर मुख्यमंत्री नीतीश पर हमला बोलते हुए कई आरोप लगाए हैं।
तेजस्वी ने ट्वीट करते हुए कोरोना जांच में फर्जीवाड़े पर आनन फानन में जमुई के सिविल सर्जन समेत चार कर्मियों के सस्पेंड और छह कर्मियों की बर्खास्ती को महज दिखा बताया। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि अरबों का कोरोना घोटाला सामने आने के बाद नीतीश जी दिखावटी तौर पर जैसा कि पूर्व के 61 घोटालों में करते आए हैं छोटे स्तर के कर्मचारियों को बर्खास्त करने का नाटक रच, धन उगाही कर जदयू को चुनावी चंदा देने वाले उच्च अधिकारियों को बचायेंगे। यही नीतीश कुमार की स्थापित नीति, नीयत और नियम है।
इससे पहले तेजस्वी ने लगातार दो ट्वीट करते हुए कहा कि बिहार में टेस्टिंग की संख्या 4 महीनों तक देश में सबसे कम रही। विपक्ष और जनदबाव में नीतीश जी ने विपदा के बीच ही आंकड़ों की बाजीगरी नहीं करने वाले 3 स्वास्थ्य सचिवों को हटा दिया। फिर उन्होंने अपने जांचे-परखे आंकड़ों की बाजीगिरी करने वाले भ्रष्ट अधिकारियों को नियुक्त किया। उसके बाद अगले 3 दिनों में ही टेस्टिंग की संख्या दुगनी हो गई और लगभग 15 दिनों में यह संख्या एक लाख और 25 दिनों में दो लाख तक पहुंच गई। उसी स्वास्थ्य संरचना से मात्र एक महीने से भी कम समय में यह प्रतिदिन जांच का आंकड़ा इतना गुणा कैसे बढ़ गया? सारा माजरा आंकड़ों के अमृत मंथन का है।
इसके बाद तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश को मंत्रिमंडल में शामिल दागी मंत्रियों को लेकर हमला बोलते हुए कहा कि बिहार के महान कुर्सीवादी मुख्यमंत्री को पता ही नहीं है कि उनके मंत्रिमंडल में शामिल 18 मंत्रियों के खिलाफ हत्या, लूट, भ्रष्टाचार, यौन शोषण, आर्म्स एक्ट, चोरी, जालसाजी, धोखाधड़ी जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है? क्या इतने भोले-भाले मुख्यमंत्री को कुर्सी पर बने रहने का नैतिक अधिकार है?
उसके बाद एक अन्य ट्वीट में तेजस्वी ने कहा कि हम जमीनी लोग हैं जनता से सीधा फीडबैक लेते हैं, इसलिए महीनों पूर्व कोरोना घोटाले का अंदेशा होने पर जांच की मांग रखी थी। सीएम ने सदन में आश्वस्त भी किया लेकिन आज तक कमेटी नहीं बनाई क्योंकि चुनाव पूर्व अरबों का बंदरबांट करना था। सीएम सदन में भी झूठ बोलने से नहीं कतराते? सदन को गुमराह किया?


