December 5, 2025

केंद्र व राज्य सरकारों का मजदूर विरोधी चेहरा उजागर, एसवीएस ने किया सत्याग्रह

पटना। कोरोना संकट की आड़ में केंद्र सरकार उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने की मंशा से श्रम कानून में बड़ा बदलाव कर मजदूरों को आठ घंटे की जगह 12 घंटे काम कराने का काला कानून लाना चाहती है। पहले से ही उपेक्षित और शोषित मजदूरों के साथ यह हैवानियत वाला व्यवहार है। इससे केंद्र व राज्य सरकारों का मजदूर विरोधी चेहरा उजागर हो गया है। आम आदमी पार्टी की मजदूर ईकाई श्रमिक विकास संगठन (एसवीएस) ने शुक्रवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल राय के निर्देश पर देश के हर जिले में संगठन के पदाधिकारियों ने अपने-अपने घरों और कार्यालयों पर एक दिवसीय सत्याग्रह रखा। बिहार में इस सत्याग्रह का नेतृत्व श्रमिक विकास संगठन की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रागिनी लता सिंह ने किया। उनके साथ उनके जगदेव पथ आवास पर दर्जनों कार्यकर्ताओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सत्याग्रह कर बिहार सरकार से मजदूरों को आठ घंटे की जगह 12 घंटे काम करवाने वाला काला कानून वापस लेने की मांग की।
उन्होंने कहा कि श्रम कानून में बदलाव कर केंद्र और राज्य की सरकारें पहले से ही त्रस्त मजदूरों के साथ छलावा करने जा रही है। केंद्र सरकार पिछले दरवाजे से उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना चाहती है। जिसका हमलोग अंतिम सांस तक विरोध करेंगे। श्रमिक विकास संगठन के हवाले से जानकारी दी गई कि कोरोना संकट से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन को करीब दो महीने होने जा रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से उद्योग-धंधे ठप हैं, देश और राज्य की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बर्बाद हो रही है। उद्योगों को पटरी पर लाने के आड़ में देश के छह राज्य अपने श्रम कानूनों में कई बड़े श्रमिक विरोधी बदलाव कर चुके हैं। श्रीमती रागनी ने कहा कि-राज्य सरकारों द्वारा औद्योगिक विवाद अधिनियम और कारखाना अधिनियम, ‘पेमेंट आफ वेजेज एक्ट 1936’ सहित प्रमुख अधिनियमों में संशोधन किए हैं। ट्रेड यूनियन एक्ट 1926 को ३ साल के लिए रोक दिया गया हैे।

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