कृषि और पशुपालन ने बिहार के आर्थिक वृद्धि दर में अहम भूमिका निभाई : डॉ. प्रेम

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फुलवारी शरीफ। पटना में बिहार पशु विज्ञानं विश्व विद्यालय के दो नवनिर्मित भवनों का उद्घाटन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने किया। उक्त भवनों में फार्माकोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलॉजी तथा टॉक्सिकोलॉजी विभाग की स्थापना की गयी है, साथ ही स्नातक और स्नातकोत्तर लैब, लेक्चर हॉल तथा सेंट्रल इंस्ट्रूमेंटेशन फैसिलिटी, डिजिटल लाइब्रेरी, वित्त और डाटा सेंटर जैसे सुविधाएं मौजूद है।
उद्घाटन के बाद मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि बिहार कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश में बिहार की छवि एक प्रगतिशील राज्य के रूप में स्थापित हुई है। हमने प्रदेश में लगातार पांचवी बार कृषि कर्मण पुरस्कार हासिल किये हैं। मंत्री ने आगे कहा कि गत वर्ष बिहार की आर्थिक वृद्धि दर स्थिर मूल्य पर 10% से ज्यादा दर्ज की गई, जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा रही और इस दर को हासिल करने में कृषि और खासकर पशुपालन, मत्स्य पालन और मुर्गी पालन का बहुत बड़ा योगदान रहा है। प्रदेश में कृत्रिम गभार्धान के द्वारा नस्ल सुधार को प्राथमिकता दी जा रही है। मरंगाए, पूर्णिया में नया फ्रोजेन सीमेन स्टेशन का काम लगभग पूर्ण हो चुका है, जहां फ्रोजेन सीमेन के 50 लाख डोज प्रतिवर्ष पैदा किये जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में दूध के प्रसंस्करण को बढ़ावा देने पर भी सरकार का बल है। छात्रों और शिक्षकों के लिए शिक्षण से जुड़ी सभी बुनियादी ढांचे प्रयोगशाला और अन्य सुविधाओं को पहले से ज्यादा उन्नत किया जा रहा है। इस कोरोना त्रासदी के दौरान लॉकडाउन अवधि में भी विश्वविद्यालय में शिक्षण का कार्य नहीं रुका है। नए परियोजनाओं के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पशुपालकों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए एक बाह्य वित्त पोषित और नौ संस्थागत अनुसंधान परियोजनाओं का परिचालन हो रहा है। बिहार सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत चार अनुसंधान परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जो विश्वविद्यालय के विकास में सहायक सिद्ध होगी। कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन और डेयरी में रोजगार की असीम संभावनाएं है। विश्वविद्यालय को इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आवश्यकता है, लोगो को ट्रेनिंग देकर रोजगारन्मुख बनाया जा सकता है।
इस अवसर पर विभाग के सचिव डॉ. एन. सरवण कुमार ने कहा कि शिक्षण संस्थान ई-गवर्नेंस मॉडल और आनलाइन कोर्सेज को बढ़ावा दे। उन्होंने अपने अभिभाषण में मैसिव ओपन आनलाइन कोर्सेज (मूक्स) का भी जिक्र किया और कहा कि विश्वविद्यालय मूक्स जैसे शार्ट टर्म, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और अन्य कोर्सेज का संचालन करे, जिससे फील्ड डॉक्टर्स और आम जनता जिन्हें पशुपालन के क्षेत्र में रूचि हो वो इस कोर्स से लाभान्वित हो सकें। उन्होंने कहा कि हमें “लैब टू लैंड” पर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने ई-लर्निंग और आनलाइन वर्किंग को अपनाने पर विशेष जोर दिया।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रामेश्वर सिंह ने सरकार का धनयवाद करते हुए कहा कि दो भवनों के उद्घाटन से विश्वविद्यालय के कार्यो को गति मिलेगी। उन्होंने दोनों भवनों में स्थापित विभागों और विश्वविद्यालय के भावी योजनाओं की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि जल्द ही कृषि विज्ञान केंद्र की तर्ज पर पशु विज्ञान केंद्र की स्थापना प्रस्तावित है, साथ ही पारा वेट स्कूल की स्थापना की जानी है, जिसमे डिप्लोमा इन लाइवस्टॉक डेवलपमेंट और अन्य कार्यक्रम चलाये जायेंगे। उन्होंने बताया की विश्वविद्यालय में डिजीज डायग्नोस्टिक लैब बीएसएल-2 की फैसिलिटी सहित की स्थापना के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा जा चुका है, जिसके स्थापना से स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू जैसे रोगों की जांच क्षमता बढ़ेगी।
कार्यशाला के पहले दिन दो तकनीकी सत्र हुए, जिसमें 135 पशुपालन पदाधिकारी और पशुचिकित्सक जूम एप से जुड़े, साथ ही कई पशुपालक फेसबुक और यू-ट्यूब लाइव से जुड़े। कार्यक्रम में निदेशक पशुपालन डॉ. विनोद सिंह गुंजियाल सहित विश्वविद्यालय के पदाधिकारी मौजूद थे।

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