किसी से मिल ना सके ना किसी की दिद हुई, तेरी वजह से कोरोना बस ऐसी ईद हुई…

फुलवारी शरीफ। इस बार कोरोना के चलते ईद की खुशिया घरों में ही कैद होकर रह गयी, जिससे मुस्लिम समुदाय के लोगों में इस बार ईद पर मायूसी साफ झलक रही थी। ईद की खुशिया घरों में ही मनाने के लिए कोरोना महामारी के फैलाव को रोकना सबसे बड़ा कारण रहा। ईद की खुशियां एक-दूसरे से गले मिलकर न बांटने की कसक सबको सालती रही। खानकाह मुहल्ले के निवासी अधिवक्ता इमरान गनी ने इस बार ईद घर में ही मनाने को लेकर एक शेर पढ़ा
किसी से मिल ना सके ना किसी की दिद हुई
तेरी वजह से कोरोना बस ऐसी ईद हुई…
इस शेर के साथ उन्होंने इस बार कोरोना के चलते ईद के दर्द की झलक उन्होंने पेश की।

हारून नगर निवासी हाजी नशुर अजमल और हाजी मुश्ताक हनी ने कहा कि बच्चों को लेकर इस बार ईद पर कही बाहर नहीं जा सके, इसका मलाल रहेगा। ईद की खुशियां तो एक दूसरे के घर जाकर गले मिलने के बाद ईद मुबारक पेश करके ही बिखरती है लेकिन लॉक डाउन में इस बार ईद अलग ढंग से मनाया गया। सेवईयां की दूध और चीनी में जो मिठास एक दूसरे के साथ खाने-खिलाने में हैं, वह घर में ही घुल कर रह गयी। लाल मियां की दरगाह इलाके में रहने वाले हाजी सय्यद अहमद शरीफ उर्फ बाबू भाई ने कहा कि ईद पर बच्चों को रिश्तेदारों के घरों ले जाने की जिद इस बार बच्चों ने भी नहीं की, उन्हें भी लॉक डाउन का अहसास दो माह से था, जो अपने दिल में ही खुशियों को घर के सदस्यों के बीच ही बांटते रहे। नोहसा में कांग्रेस नेता अरशद अब्बास आजाद ने कहा कि अपने ही घर में मौलाना साहेब को बुलाकर घरों के सदस्यों के साथ ईद की नमाज अदा की गयी। घर में ही ईद की खुशियां सिमट कर रही गयी, जिसका बेहद अफसोस रहेगा लेकिन ईद की खुशियों से बढ़कर भी लॉक डाउन का ख्याल रखना जरूरी था। हर खुशी से बड़ा अपने और परिवार के साथ समाज के स्वास्थ्य को लेकर सजग रहना है। कई मुहल्लों में ईद पर घर में ही खुशिया मनाते बच्चों ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण हमलोग सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए ईद मना रहे है। कोरोना के कारण हमलोग ईद पर एक जगह से दूसरे जगह नहीं जा पा रहे हैं।