November 20, 2025

एनटीडी के विषय पर मीडिया जागरुकता कार्यशाला: बिहार सरकार 2020 में कालाजार और 2021 तक हाथीपांव उन्मूलन को प्रतिबद्ध

पटना (संतोष कुमार)।  ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीस (जीएचएस) ने प्रथम विश्व नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजी़जे़स (एनटीडी) दिवस की पूर्व संध्या पर पटना में एक मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया। अब से हर साल 30 जनवरी को दुनिया भर में विश्व एनटीडी दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। गौरतलब है कि यह दिन 2012 में लंदन में एनटीडी के विषय पर हुई ऐतिहासिक घोषणा की सालगिरह का दिन है। इस कार्यशाला में स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधियों, एनटीडी सहभागियों, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ), प्रोजेक्ट कनसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई), केयर इंडिया, सीफार, प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के 25 वरिष्ठ पत्रकारों व संपादकों ने भाग लिया। कार्यशाला में एनटीडी पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई, साथ ही मीडियाकर्मियों ने सुझाव भी दिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. अरुण कुमार ने कार्यशाला में इस बात पर प्रकाश डाला कि एनटीडी यह बीमारियां गरीबों को ज्यादा प्रभावित करती हैं और बिहार के 9 करोड़ से ज्यादा लोगों (कुल आबादी का 88.21 प्रतिशत) को इन बीमारियों से ग्रसित होने का बहुत ज्यादा जोखिम है। एनटीडी उन बीमारियों का समूह है, जो मरीज को न केवल दुर्बल कर देती हैं बल्कि उनकी वजह से मरीज समाज से अलग-थलग भी हो जाता है। ये बीमारियां समाज के सबसे गरीब, कमजोर और हाशिए पर रहने वाले लोगों को प्रभावित करती हैं। इनमें प्रमुख हैं: लिम्फैटिक फाइलेरियासिस (हाथी पांव), विसरल लीशमैनियासिस (कालाजार), कुष्ठ रोग और डेंगू आदि। काबिले गौर है कि दुनिया में एनटीडी का बोझ सबसे ज्यादा भारत पर है, एनटीडी के तहत आने वाली हर बीमारी के मामले में भारत पहले स्थान पर है।
डॉ. राजनंदन प्रसाद, अतिरिक्त निदेशक व स्टेट प्रोग्राम आॅफिसर, हाथी पांव ने कहा, बिहार सरकार 2030 तक भारत से एनटीडी का उन्मूलन करने के लिए प्रतिबद्ध है। बिहार देश का पहला राज्य है जहां हाथीपांव बीमारी का उन्मूलन करने की भारत सरकार की योजना के तहत अरवल जिले में दिसंबर 2018 में नई ट्रिपल ड्रग थेरेपी या आईडीए को सफलतापूर्वक अमल में लाया गया।
डॉ. मदन प्रसाद शर्मा, अतिरिक्त निदेशक व स्टेट प्रोग्राम आफिसर, कालाजार ने प्रदेश के सभी एनटीडी सहभागियों और राज्य की मशीनरी की सराहना की, जिनके प्रयासों से 2014 से कालाजार के मामले घट गए हैं।
डॉ. विजय कुमार पांडे, अतिरिक्त निदेशक व स्टेट प्रोग्राम आफिसर, कुष्ठ रोग ने बिहार पर कुष्ठ रोग के बोझ, चुनौतियों, प्रगति एवं अहम उपलब्धियों की जानकारियां साझा कीं। उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों में अपनाई गई रणनीतियों से विकृति और कुष्ठ रोग के मामलों में उल्लेखनीय कमी हासिल की गई है। वर्तमान में बिहार के 20 जनपदों ने उन्मूलन में अच्छी प्रगति दिखाई है और केवल 18 जनपद अत्यधिक एंडेमिक प्रतीत होते हैं। राज्य का ध्यान 2020 तक कुष्ठ रोग को खत्म करना है। उन्होंने आगे यह भी कहा कि एनटीडी के बारे में लोगों को जागरुक करके मीडिया ने सरकार की कोशिशों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोगियों को बिहार सरकार की ओर से बिहार शताब्दी कुष्ठ कल्याण योजना के तहत 1500 रूपये प्रति माह पेंशन देने और रोगी के आश्रित को 300 रूपये देने का प्रावधान है। जल्द ही कुष्ठ रोगियों के पेंशन में वृद्धि करते हुए 3000 रूपये पेंशन देने का प्रस्ताव समाज कल्याण विभाग को भेजी गई है। उन्होंने बताया कि उक्त योजना का लाभ बिहार के 20 से 22 हजार कुष्ठ रोगी उठा रहे हैं। जबकि अभी लाखों कुष्ठ रोगी इससे वंचित हैं।
डॉ. श्रीधर श्रीकांतैया, चीफ मेंटर, केयर इंडिया ने भी इस कार्यशाला में शिरकत की और उन्होंने एनटीडी के बेहतर नियंत्रण तथा सबसे कमजोर तबकों को इनसे बचाने के लिए उन्मूलन लक्ष्य हेतु एकीकृत तरीकों के महत्व के बारे में बताया। पद्मश्री पुरस्कार विजेता सिस्टर सुधा वर्गीज ने वास्तविक महिलाओं के जीवन की कहानियों द्वारा इस पहलू को समझाया कि महिलाएं कैसे कुपोषण और भूखमरी की शिकार हो रही हैं।
मीडिया कार्यशाला में फोटो-स्टोरी प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें स्कूली विद्यार्थियों द्वारा कहानियों-तस्वीरों को प्रस्तुत किया गया। प्रोजेक्ट कनसर्न इंटरनेशनल के स्टेट प्रोग्राम मैनेजर सौरभ शुक्ला ने विद्यार्थियों को इस अनूठे कार्य के लिए सराहते हुए कहा कि उनके इस काम से एनटीडी को जन स्वास्थ्य प्राथमिकता के तौर पर पहचानने, प्रकाशित करने और इनके खिलाफ लड़ने की अपील करने में बहुत मदद मिली।

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