उर्दू के विकास के लिए सभी लोग मिलकर करें प्रयास : अमीर ए शरीयत
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फुलवारी शरीफ। रविवार को बिहार, झारखंड, उड़ीसा के मुसलमानों की सबसे बड़ी एदारा इमारत ए शरिया के अल महद भवन में एक विशाल सेमिनार का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता इमारत शरिया के अमीर ए शरीयत हजरत मौलाना वली रहमानी ने करते हुए कहा कि उर्दू भाषा के विकास के लिए विशेष चर्चा किया गया। उन्होंने कहा कि उर्दू केवल भाषा नहीं बल्कि एक जीवनशैली भी है। जिसकी हिफाजत के साथ विकास करना सभी का कर्तव्य है। नई पीढ़ी को इसके प्रति जागरूक करना होगा, साथ ही उर्दू विकास के लिए बेहतर ढंग से काम करने की जरूरत होगी। उर्दू ने देश की आजादी आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। उर्दू भाषा को आज उर्दू भाषी ही हासिये पर ले जाने में लगे हैं। नई पीढ़ी को उर्दू सीखने, उर्दू बोलने, उर्दू में आवेदन देने, उर्दू नेम प्लेट लगाने सहित सरकारी और निजी क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा उर्दू भाषा का इस्तेमाल करने की जरुरत है। आज सरकार को उर्दू भाषा को बढ़ावा देने के लिए सरकारी नौकरियों में, उद्योग, व्यवसायों में शैक्षणिक गतिविधियों व सामाजिक गतिविधियों में बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाने की जरूरत है, क्योंकि उर्दू ऐसी भाषा है जो दूसरे हर भाषा के साथ तालमेल कर समाज की तरक्की में सहायक है।
सेमिनार को संबोधित करते हुए कार्यवाहक नाजिम इमारत शरिया मौलाना शिबली अल कासमी ने कहा कि हिंदी, अंग्रेजी सहित अन्य सभी भाषा को पढ़े जाने में कोई बुराई नही हैं लेकिन उर्दू भाषी लोगों को उर्दू का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल अपने जीवन के हर क्षेत्र में करना होगा, तभी उर्दू के विकास की इबारत लिख पाएंगे। उन्होंने कहा कि आइए सभी मिलकर उर्दू के विकास और संरक्षण के लिए एक नए दृढ़ संकल्प के साथ काम करें।
समारोह में भाग लेने के लिए अतिथियों का धन्यवाद करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सभा में न केवल पंजाब के लोग, बल्कि बिहार के विभिन्न हिस्सों के विद्वान और उर्दू प्रेमी भी शामिल हुए, जो न केवल उर्दू भाषी हैं बल्कि वे उर्दू के प्रशंसक भी हैं। उन्होंने कहा कि “हम उर्दू बोलेंगे, तभी तो उर्दू आगे बढ़ेगी और विकास करेगी। हम आने वाली पीढ़ी को उर्दू सिखाएंगे, इसका संकल्प लेना होगा। हमें उम्मीद है कि यह बैठक विकास में मील का पत्थर साबित होगी।
पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि उर्दू को रोजगार से जोड़ना होगा। कहा कि बस अपने घर में उर्दू पढ़ो और इसे अपने बच्चों को पढ़ाओ। उर्दू हमारी संस्कृति और पहचान है, इसलिए यह आवश्यक है। उर्दू मातृभाषा है, इसे विकसित करने के लिए यह आवश्यक है कि हम इसे एक मां की तरह प्यार करें और उर्दू को आप जीवित रखने की कोशिश करें और साथ ही साथ उर्दू लिखने की आदत डालें। इसमें हर क्षेत्र के बड़ी संख्या में उर्दूू के हिमायती लोगों ने अपने विचार रखें।

https://youtu.be/2rtAkvXnbn4

