आज संविधान की हिफाजत के लिये संघर्ष को करना होगा तेज : सीताराम येचुरी

कॉ. गणेश शंकर विद्यार्थी का श्रद्धांजलि एवं संकल्प सभा संपन्न

पटना। भारत की वर्तमान परिस्थिति की तुलना द्वितीय विश्वयुद्ध के समय फासीवाद के उदय के अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थिति से करते हुए वाम प्रगतिशील जनतांत्रिक शक्तियों की एकता कायम कर संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा के जरिये जन संघर्ष एवं वर्ग संघर्ष के जरिये समाजवादी स्वप्न को साकार करने के रास्ते पर आगे बढ़ते का संकल्प ही कॉ. गणेश शंकर विद्यार्थी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उपरोक्त उद्गार सीपीआई (एम) के महासचिव कॉ. सीताराम येचुरी ने दिवंगत कॉ. गणेश शंकर विद्यार्थी की स्मृति में अवर अभियंता संघ भवन के सभागार में पार्टी की राज्य कमिटी द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि सह संकल्प सभा में व्यक्त किया।
उन्होंने फासीवाद के खिलाफ लड़ने में महान मार्क्सवादी कॉ. दिमित्रोव एवं ग्राम्सी द्वारा अपनाये गये कार्यनीति पर विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि फासीवाद कोई एक दिन में किसी गुप्त बैठक में कोई प्रस्ताव पारित कर नहीं लाया जाता है, बल्कि यह संविधान को धीरे-धीरे कमजोर करने, स्वायत्त संस्थाओं को नष्ट करने, जनतांत्रिक अधिकारों पर तरह-तरह के प्रतिबंधों के जरिये आकार ग्रहण करता है। अत: आज संविधान की हिफाजत के लिये जो लोग भी शामिल होते हैं, उन्हें शामिल कर इस संघर्ष को तेज करना होगा। उन्होंने पिछले 70 दिनों से दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के प्रति केन्द्र सरकार के दमनात्मक रूख, उसे बदनाम करने की साजिश की कटु आलोचना करते हुए कहा कि अब यह आंदोलन जन-आंदोलन बन चुका है और तीनों काले कृषि कानून के वापस होने तक जारी रहेगा।
उन्होंने पूंजीवादी संकट के दौर में पूंजी के केन्द्रीयकरण एवं बढ़ती असमानता तथा बेरोजगारी की चर्चा करते हुए कहा कि जब आमलोगों की नौकरियां खत्म हो रही थी एवं उनके सामने भुखमरी पैदा हो रही थी, उस दौर में भारत के मु्ट्ठी भर पूंजीपतियों ने 13 लाख करोड़ रूपयों का लाभ कमाया, जो अत्यंत ही अमानवीय एवं पूंजीवाद का क्रूर चेहरा है।
सभा की अध्यक्षता सीपीआई (एम) के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने किया। सभा को सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय, सीपीआई (माले) के राज्य सचिव कुणाल, राजद के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक, पूर्व विधान सभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, विधायक आलोक मेहता, जनवादी कवि आलोक धन्वा ने संबोधित किया। सभा के अंत में एक मिनट मौन रहकर कॉ. गणेश शंकर विद्यार्थी को श्रद्धांजलि दी गई।