अंगिका-हिन्दी के साहित्यकार कैलाश झा किंकर के निधन से साहित्य जगत मर्माहत

भागलपुर/सुल्तानगंज। अंगिका और हिंदी के चर्चित कवि, साहित्यकार कुशल प्रधानाध्यापक सह अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच जिला-शाखा (खगड़िया) के महासचिव कैलाश झा किंकर कोरोना पॉजिटिव होने के कारण चिकित्सीय देखरेख में थे। 13 जुलाई को उन्होंने दूसरी सोमवारी व्रत रख लिया था, उसी शाम 7:45 बजे बाथरूम से आए, बिछावन पर लेटे और रात 8 बजे उनका निधन हो गया। तत्पश्चात इनके निधन की खबर रात के 9 बजे से सोशल मीडिया में तैरने लगी, सुनने वाले को विश्वास नहीं हो रहा था। खबर की पुष्टि होते ही साहित्य जगत के कलमकार मर्माहत हो गए। उक्त बातें अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मधुसूदन झा ने श्री किंकर के आकस्मिक निधन पर शोक प्रकट करते हुए कही।
इसी कड़ी में महामंत्री हीरा प्रसाद हरेंद्र ने कहा कि किंकर जी का जाना हिन्दी और अंगिका साहित्य के लिए एक बड़ा आघात है, जिससे उबरने में उसे काफी समय लगेगा। मंच के प्रदेश महासचिव सुधीर कुमार प्रोग्रामर ने कहा कि किंकर जी मात्र व्यक्ति नहीं रह गये थे, वे एक संस्था के पर्याय हो चुके थे, जिससे कितने ही साहित्यकारों को सर्जना का हवा-पानी, खाद और भोजन मिलता था। वहीं मंच के कार्यकारी अध्यक्ष गीतकार राजकुमार ने इसे अत्यंत ही दुखद समाचार बताते हुए कहा कि उन्हें इनके घर लौटने की सूचना तो मिली थी, फिर अचानक उनके निधन की खबर सुन हतप्रभ होकर मर्माहत हूं।
किंकर जी के यूँ चले जाने से साहित्य का कोना-कोना सूना हो गया
कैलाश झा किंकर जी एक ऐसे सच्चे साहित्य साधक और साहित्य सेवक थे, जिनके यूं चले जाने से अंगमहाजनपद के साहित्य जगत का एक कोना सूना हो गया, या यूं कह लें कि अंग प्रदेश के वर्तमान साहित्य जगत का एक अध्याय समाप्त हो गया। उन्होंने हमेशा ही लोगों को मंच दिया, लेकिन प्रपंच कभी नहीं रचा। थोड़ी बेबाकी उनमें थी, लेकिन बावजूद इसके वे एक खुशमिजाज साहित्यकार के रूप में लोगों के बीच भी सदैव याद किए जाएंगे। उक्त बातें अंगिका भाषा के चर्चित आंदोलनकारी सह अंग उत्थान आंदोलन समिति, बिहार-झारखंड के केन्द्रीय अध्यक्ष गौतम सुमन ने अखिल भारतीय अंगिका साहित्य कला मंच, जिला शाखा (खगड़िया) के महासचिव कैलाश झा किंकर के आकस्मिक निधन पर आयोजित आॅनलाइन शोक सभा को संबोधित करते हुए कहा। वहीं अंग प्रदेश के लोकप्रिय साहित्यकार चंद्रप्रकाश जगप्रिय ने अपनी श्र्द्धा व्यक्त करते हुए कहा कि अंग महाजनपद उत्तर क्षेत्र खगड़िया में जो काम अंगिका के लिए गदाधर अंबष्ठ जी ने किया था, वहीं काम कैलाश झा किंकर ने खगड़िया में रहते हुए अंगिका के लिये ताउम्र करते रहे।
