October 29, 2025

प्रदेश में बारिश का येलो अलर्ट, पटना में छाए रहेंगे बादल, 3 डिग्री तक गिरेगा तापमान

पटना। बिहार में मानसून एक बार फिर पूरी तरह सक्रिय हो गया है। मौसम विज्ञान केंद्र ने गुरुवार को पूरे प्रदेश के लिए बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। राजधानी पटना सहित ज्यादातर जिलों में सुबह से ही बादल छाए रहे और कहीं-कहीं हल्की बारिश भी हुई। वैज्ञानिकों के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक राज्य में मानसून का प्रभाव बना रहेगा और अलग-अलग इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश होती रहेगी।
उत्तर बिहार में भारी बारिश की संभावना
मौसम विभाग ने विशेष रूप से उत्तर बिहार के कई जिलों में भारी बारिश की आशंका जताई है। पिछले 24 घंटों में सीवान, नालंदा, रक्सौल, बेतिया, समस्तीपुर, शिवहर और गोपालगंज जैसे जिलों में तेज बारिश दर्ज की गई। वहीं, पटना में दिनभर बादल तो छाए रहे लेकिन बारिश न होने से लोगों को मिश्रित अनुभव मिला। बादल और नमी के कारण उमस महसूस हुई, हालांकि गर्मी से थोड़ी राहत भी मिली।
बंगाल की खाड़ी से बन रहा सिस्टम
विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में बने लो-प्रेशर एरिया की वजह से यह बदलाव देखने को मिल रहा है। यह सिस्टम लगातार मजबूत हो रहा है और इसी कारण प्रदेश में मानसून की गतिविधियाँ बढ़ी हैं। वातावरण में नमी का स्तर बढ़ने से अगले कुछ दिनों तक रुक-रुक कर बारिश होती रहेगी। विभाग ने 20 सितंबर तक इस मौसम के बने रहने का अनुमान जताया है।
बारिश से तापमान में गिरावट
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, इस बारिश से प्रदेश में अधिकतम और न्यूनतम तापमान दोनों में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आ सकती है। राजधानी पटना का अधिकतम तापमान 31 से 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 24 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है। बारिश के चलते मौसम सुहावना होगा और लोगों को उमस भरी गर्मी से कुछ दिनों के लिए राहत मिलेगी।
मानसून की धीमी रफ्तार और खेती पर असर
इस साल मानसून की रफ्तार सामान्य से धीमी रही है, जिसका सीधा असर राज्य की कृषि व्यवस्था पर पड़ा है। मौसम विभाग के आँकड़ों के अनुसार, सितंबर के मध्य तक बिहार में औसतन 906 मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए थी, लेकिन अब तक केवल 650 मिलीमीटर ही वर्षा हुई है। इसका मतलब है कि लगभग 28 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। यह स्थिति किसानों के लिए चिंता का विषय है क्योंकि कम वर्षा का सीधा प्रभाव धान की रोपनी और खरीफ की फसलों पर पड़ा है।
किसानों की चुनौतियाँ
धान की फसल मुख्य रूप से पर्याप्त पानी पर निर्भर रहती है। बारिश कम होने से रोपनी का काम प्रभावित हुआ और कई किसानों को अतिरिक्त सिंचाई का सहारा लेना पड़ा। इससे लागत बढ़ गई और फसल की पैदावार पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हालांकि, सितंबर के अंतिम दिनों में सक्रिय हुए इस नए मानसूनी सिस्टम से किसानों को उम्मीद है कि यदि लगातार बारिश हुई तो फसलों की स्थिति में कुछ सुधार आ सकता है।
शहरी इलाकों की स्थिति
पटना समेत कई शहरों में लगातार बादल छाए रहने से लोगों को गर्मी से राहत मिली है। हल्की बारिश से मौसम खुशनुमा हो गया है और तापमान में गिरावट महसूस की जा रही है। हालांकि, भारी बारिश होने की स्थिति में शहरी इलाकों में जलजमाव की समस्या भी पैदा हो सकती है। नगर निगम और प्रशासन ने इस संभावना को ध्यान में रखते हुए तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। कुल मिलाकर, बिहार में मानसून का दोबारा सक्रिय होना राज्यवासियों के लिए राहत की खबर है। एक ओर यह मौसम को सुहावना बना रहा है, वहीं दूसरी ओर किसानों के लिए धान और खरीफ की फसलों को संजीवनी देने का काम कर सकता है। हालांकि, सामान्य से कम बारिश अब तक की स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना रही है। आने वाले दिनों की बारिश यह तय करेगी कि इस वर्ष का कृषि परिदृश्य कैसा रहेगा। लोगों के लिए फिलहाल राहत यही है कि तापमान में गिरावट के साथ मौसम खुशनुमा बना रहेगा और मानसून की झड़ी अभी जारी रहेगी।

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