बिहार में कोरोना से जंग लड़ने के लिए सर्वदलीय और निर्दलीय संगठनों की बैठक और समवेत प्रयास जरूरी

पटना। कोरोना संकट पर बिहार हिन्द मजदूर सभा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह और बिहार किसान संघर्ष समिति के प्रदेश संयोजक दिनेश ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक सप्ताह पहले 24 म‌ई को एक संयुक्त पत्र लिखकर निवेदन किया था कि कोरोना एक ऐसी बीमारी है जिसका मुकाबला करना अकेले बस की बात नहीं। पत्र में यह भी कहा गया है कि हमलोग सरकारी प्रयासों को नकार नहीं रहे हैं मगर कोरोना के खिलाफ इस जंग में सबका समवेत योगदान जरूरी है। यह समय आलोचनाओं का नहीं मिल जुल कर काम करने का है।

पत्र में विनम्रता के साथ कहा गया है कि मुख्यमंत्री होने के नाते आपकी जिम्मेदारी बड़ी और अहम है। इस विपदा में पक्ष और प्रतिपक्ष मिलकर काम करे तो इससे लोकतांत्रिक परंपराएं मजबूत होगी। साथ ही राजनीतिक दलों के अलावा बहुत सारे संगठन हैं,जो इस विपदा के समय में काम भी कर रहे हैं, उनसे भी संपर्क और
समन्वय जरूरी है। इसी तरह क‌ई एनजीओ, किसान, श्रमिक संगठन और जेपी आंदोलनकारियों का समूह भी है,जिनकी सेवा ली जा सकती है।

पत्र में मुख्यमंत्री से यह भी निवेदन किया गया है कि बिहार के लोग इस महामारी में सिर्फ अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की अनुपलब्धता का ही दंश नहीं झेल रहे हैं बल्कि भूख,प्यास और अभाव के संकटों से भी जूझ रहे हैं। सच्चाई यही है कि अच्छे-अच्छे घरों का बुरा हाल है।

पत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 1967 के भीषण सूखा और अकाल पर भी ध्यान खींचा गया है, उस समय भी बिहार में सरकार अकाल का सामना करने में विफल साबित हुई थी। किंतु तब हमारे बीच हमारे नेता लोकनायक जयप्रकाश थे। उन्होंने तत्काल बिहार स्टेट रीलिफ कमेटी की स्थापना की और खुद मैदान में उतर ग‌ए थे। तभी लोगों की जान बची थी।

नीतीश जी, आज सबसे बुरी स्थिति में खेतीहर मजदूर और किसान हैं। सबसे दुखद यह है कि जो समान या खाद्यान्न गांव में पैदा होकर शहर जा रहे हैं वह सस्ता और कौड़ी के मौल और जो सामान शहर से गांव आ रहा है वह महंगा। कालाबाजारी चरम पर है।
पीएम ने घोषणा की है कि हर हाल में किसानों को एम‌एसपी दिया जाएगा। यह घोषणा पूरी तरह जुमला और डपोरशंखी साबित हो रही है। आपसे निवेदन है कि बिहार में आप एम‌एसपी सुनिश्चित कराइए। गेहूं का एम‌एसपी 1975 रुपये क्विंटल तय है और बिहार में किसानों से गेहूं के खरीदार 1300 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक मिल नहीं रहे हैं।

पत्र में यह भी अनुरोध किया गया है कि आप भारत सरकार पर दबाव बनाइए ताकि एफसीआई और एस‌एफसी के जरिए सभी जिलों में प्रखंड स्तर पर क्रय केन्द्र खुले। ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में बिहार को संभालना मुश्किल हो जाएगा।

पत्र के अंत में मुख्यमंत्री से निवेदन किया गया है कि इस महामारी के खिलाफ वृहद स्तर पर योजना बनाइए, पक्ष व प्रतिपक्ष के सभी दलों और गैर दलीय धारा के संगठनों और समूहों को भी उसमें शामिल कीजिए ताकि कोरोना के खिलाफ प्रभावी ढंग से यह लड़ाई लड़ी जा सके। पत्र में इस जंग में हर तरह से साथ देने का भी वचन दिया गया है।

 

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