सरकारी स्कूलों में अब शिक्षक रोज करेंगे बच्चों के होमवर्क की समीक्षा, विभाग का निर्देश जारी

पटना। बिहार सरकार शिक्षा व्यवस्था में लगातार सुधार लाने के लिए नए-नए कदम उठा रही है। इसी क्रम में शिक्षा विभाग ने एक नई दिशा में पहल करते हुए सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को एक नया जिम्मा सौंपा है। अब शिक्षक हर दिन छात्रों को दिए गए होमवर्क की समीक्षा करेंगे। इसके पीछे उद्देश्य सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारना ही नहीं, बल्कि बच्चों में जिम्मेदारी की भावना भी विकसित करना है।
हर दिन होगी होमवर्क की जांच
अब से सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे हर दिन बच्चों को होमवर्क दें और अगले दिन उसकी जांच भी करें। होमवर्क जांचते समय शिक्षक बच्चों की लिखावट, वर्तनी, और उत्तरों की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देंगे। इसके साथ ही वे हर छात्र की त्रुटियों की एक सूची बनाएंगे, ताकि उन बिंदुओं पर बच्चों को सुधारने का मार्गदर्शन दिया जा सके।
होमवर्क अधूरा होने पर पूछताछ भी जरूरी
अगर कोई छात्र अपना होमवर्क पूरा नहीं करता है, तो शिक्षक को उसका कारण जानना जरूरी होगा। यदि समस्या गंभीर हो, तो शिक्षक छात्र के अभिभावकों से मिलकर उसका समाधान निकालने की कोशिश करेंगे। इस कदम से बच्चों में होमवर्क के प्रति गंभीरता आएगी और वे अधिक जिम्मेदारी से पढ़ाई करेंगे।
शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण
इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शिक्षकों को छह दिनों का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण में पढ़ाने के तरीके, संवाद कौशल, लिखाई सुधार, और होमवर्क जांचने जैसे अहम बिंदुओं को शामिल किया गया है। इससे शिक्षकों की कार्यशैली में निखार आएगा और वे छात्रों की शैक्षणिक प्रगति में अधिक असरदार भूमिका निभा सकेंगे।
नए समय के अनुसार स्कूल की व्यवस्था
सरकारी स्कूलों की समयसारणी में भी बदलाव किया गया है। अब स्कूल सुबह 6:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक चलेंगे। कक्षाएं सुबह 7 बजे शुरू होकर दोपहर 12:20 बजे तक चलेंगी। इसके बाद 10 मिनट का समय विशेष रूप से शिक्षण कार्य की समीक्षा और होमवर्क जांच के लिए रखा गया है।
समग्र विकास पर जोर
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ के अनुसार, यह पहल सिर्फ शैक्षणिक ज्ञान तक सीमित नहीं है। इसका उद्देश्य बच्चों में सामाजिक और व्यवहारिक समझ को भी विकसित करना है। साथ ही, स्कूलों में साफ-सफाई और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर भी बल दिया जा रहा है, जिससे स्कूल का वातावरण सकारात्मक और सुरक्षित बना रहे। इस नई व्यवस्था से बच्चों की पढ़ाई में सुधार आने की उम्मीद की जा रही है और साथ ही सरकारी स्कूलों की छवि भी बेहतर होगी।
