किशनगंज में ओवैसी ने पूछा बड़ा सवाल, कहा- तीन फ़ीसदी वाला मल्लाह का बेटा डिप्टी सीएम बनेगा, तो फिर क्यों सीएम नहीं बनेगा मुसलमान
 
                किशनगंज/पटना। किशनगंज में आयोजित एक चुनावी सभा में एआईएमआईएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार की राजनीति, सीमांचल क्षेत्र की उपेक्षा और अल्पसंख्यक समुदाय के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर सवाल उठाए। उनका भाषण सिर्फ चुनावी बयान नहीं था, बल्कि सामाजिक, राजनीतिक और क्षेत्रीय असमानताओं पर केंद्रित था। उन्होंने यह स्पष्ट करने की कोशिश की कि बिहार की राजनीति में अल्पसंख्यकों की भूमिका बड़ी आबादी के बावजूद सीमित रही है। ओवैसी ने इस रैली के माध्यम से सीमांचल के मतदाताओं को यह संदेश दिया कि अब समय आ गया है कि वे अपने विकास और अधिकारों के मुद्दों के आधार पर निर्णय लें।
सीमांचल में ओवैसी की आवाज
किशनगंज, कटिहार, अररिया और पूर्णिया को मिलाकर बिहार का सीमांचल क्षेत्र एक महत्वपूर्ण जनसंख्या केंद्र है, जहां मुस्लिम आबादी अपेक्षाकृत अधिक है। इस क्षेत्र में लंबे समय से विकास की कमी, बाढ़ की समस्या, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव और शिक्षा के सीमित अवसरों की शिकायतें रही हैं। ओवैसी ने इन्हीं मुद्दों को केंद्र में रखते हुए कहा कि चाहे महागठबंधन की सरकार रही हो या एनडीए की, सीमांचल हमेशा उपेक्षित रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारें सड़कें, कॉलेज और रोजगार जैसे बुनियादी ढांचे का विकास पटना और उसके आसपास के क्षेत्रों में करती रही हैं, जबकि सीमांचल को जानबूझकर पिछड़ा छोड़ा गया।
राजनीतिक प्रतिनिधित्व का प्रश्न
ओवैसी के भाषण का सबसे बड़ा हिस्सा मुस्लिम समुदाय के राजनीतिक प्रतिनिधित्व के सवाल पर केंद्रित था। उन्होंने वीआईपी पार्टी के प्रमुख और तेजस्वी यादव के सहयोगी मुकेश सहनी का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि मल्लाह समुदाय, जिसकी आबादी सिर्फ तीन प्रतिशत है, का नेता उपमुख्यमंत्री बन सकता है, तो फिर मुस्लिम समुदाय, जिसका जनसंख्या में लगभग सत्रह से बीस प्रतिशत हिस्सा है, उसका कोई नेता मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री क्यों नहीं बन सकता? उनके अनुसार यह सवाल सिर्फ पद या सत्ता का नहीं, बल्कि समानता और राजनीतिक पहचान का प्रश्न है। उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति में मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया गया है। सभी दल चुनाव के समय वादे करते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद उनके मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया जाता। उन्होंने पूछा कि आखिर क्यों यह समुदाय सिर्फ दरी बिछाने या तालियां बजाने के लिए माना जाए? उन्होंने कहा कि मुसलमानों के बच्चे भी नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं और उन्हें मंच और अवसर मिलना चाहिए।
महागठबंधन और एनडीए दोनों पर हमला
ओवैसी ने जदयू और राजद दोनों पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सरकार ने सीमांचल के विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। वहीं, राजद पर आरोप लगाया कि सत्ता में रहने के लंबे समय के बावजूद उन्होंने भी इस क्षेत्र को नजरअंदाज किया। उन्होंने दोनों दलों को मुसलमानों को छलने वाला करार दिया। ओवैसी के अनुसार, चाहे शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो या रोजगार, सीमांचल सामाजिक और आर्थिक रूप से आज भी पीछे है।
सीमांचल की समस्याएँ
ओवैसी ने भाषण में सीमांचल की प्रमुख समस्याओं पर विस्तार से बात की। पहली समस्या बाढ़ की है, जो हर साल इस क्षेत्र में तबाही का कारण बनती है। उन्होंने कहा कि सरकारें बाढ़ के स्थायी समाधान के बजाय केवल राहत सामग्री देने तक सीमित रही हैं। दूसरी समस्या अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। उन्होंने कहा कि सीमांचल के जिले गंभीर बीमारियों के लिए पटना या राज्य से बाहर जाने को मजबूर हैं। तीसरी समस्या उच्च शिक्षा के अवसरों की कमी है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में न तो बड़े कॉलेज हैं, न ही ऐसे संस्थान जो युवाओं के भविष्य को संवार सकें।
लोगों से किया बदलाव का आह्वान
अपने भाषण के अंत में ओवैसी ने लोगों से अपील की कि वे इस बार अपने अधिकारों और विकास के मुद्दों पर वोट दें। उन्होंने कहा कि यदि सीमांचल का नेतृत्व सीमांचल से ही होगा, तभी यहां की आवाज विधानसभा और सत्ता तक पहुंचेगी। उन्होंने लोगों को यह अहसास दिलाया कि अगर वे खुद जागरूक होकर अपने हित के लिए वोट नहीं करेंगे, तो उनके हिस्से में फिर से उपेक्षा और वादाखिलाफी ही आएगी।
समुदाय, पहचान और विकास की एकता का संदेश
ओवैसी के किशनगंज भाषण का मकसद स्पष्ट था – सीमांचल की जनता को यह समझाना कि वे सिर्फ किसी दल का समर्थन करने के लिए बाध्य नहीं हैं। उनके पास विकल्प हैं और वे अपनी राजनीतिक ताकत को पहचानें। उन्होंने समुदाय, पहचान और विकास को जोड़ते हुए यह संदेश देने की कोशिश की कि नेतृत्व का अधिकार हर नागरिक का है, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय से हो। यह भाषण सीमांचल की राजनीति और बिहार के चुनावी समीकरणों में एक नया विमर्श जोड़ता है, जिसका असर आगे देखने को मिलेगा।



 
                                             
                                             
                                             
                                        