शास्त्रीनगर थाने के एएसआई को घूस लेते विजिलेंस की टीम ने पकड़ा, रंगेहाथों किया गिरफ्तार

पटना। पटना जिले के शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एएसआई (सहायक उप निरीक्षक) के पद पर तैनात अजीत कुमार को घूस लेते हुए निगरानी विभाग की टीम ने रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी एक सोची-समझी योजना के तहत की गई, जिसे पीड़िता की शिकायत के आधार पर अंजाम दिया गया। यह मामला भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
महिला की शिकायत से खुला भ्रष्टाचार का मामला
इस पूरे प्रकरण की शुरुआत तब हुई जब नूरजहां नाम की एक महिला ने निगरानी विभाग में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में उन्होंने कहा कि उनके बेटे का नाम एक केस में दर्ज था, जिसे हटाने के लिए केस के जांच पदाधिकारी अजीत कुमार ने उनसे 50,000 रुपये की मांग की थी। महिला ने स्पष्ट रूप से बताया कि बिना रिश्वत दिए बेटे का नाम केस से नहीं हटाया जा रहा है। इस गंभीर आरोप को लेकर निगरानी विभाग तुरंत हरकत में आया।
रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़े गए एएसआई
निगरानी विभाग ने योजना बनाकर जाल बिछाया और अजीत कुमार को रंगेहाथ पकड़ने के लिए कार्रवाई की। तय योजना के अनुसार, अजीत कुमार को आज सादे लिबास में शास्त्रीनगर इलाके के महुआबाग बुलाया गया, जहां उन्हें पीड़िता से पैसे लेने थे। जैसे ही अजीत ने पैसे स्वीकार किए, वहां पहले से तैनात निगरानी टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई इतनी तेजी से और सटीक ढंग से की गई कि अजीत कुमार को संभलने तक का मौका नहीं मिला।
कार्रवाई में शामिल अधिकारी
इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम देने में निगरानी विभाग के कई अधिकारी शामिल थे। टीम में पुलिस उपाधीक्षक पवन कुमार, पुलिस निरीक्षक मोहम्मद नजीमुद्दीन, मणिकांत सिंह, रविशंकर, आशीष कुमार और रणधीर सिंह ने मिलकर योजना को अंजाम दिया। यह सभी अधिकारी पहले से ही मौके पर तैनात थे और जैसे ही अजीत कुमार ने पैसे लिए, तत्काल उन्हें कस्टडी में ले लिया गया।
वरिष्ठ अधिकारियों की प्रतिक्रिया
डीआईजी मृत्युंजय कुमार चौधरी ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पीड़िता ने एक दिन पहले ही शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर निगरानी विभाग ने कार्रवाई की। उन्होंने बताया कि यह वर्ष 2025 का अब तक का 30वां मामला है, जिसे निगरानी द्वारा दर्ज किया गया है। इनमें से अब तक 23 मामलों में ट्रैप के जरिए आरोपियों को पकड़ा जा चुका है। इसके अतिरिक्त लगभग 8 लाख रुपये की राशि जो रिश्वत के रूप में दी गई थी, उसे भी बरामद किया गया है।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध निगरानी की सख्त नीति
यह घटना इस बात का संकेत देती है कि राज्य सरकार और निगरानी विभाग भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त नहीं करने के मूड में हैं। अधिकारियों द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई यह दिखाती है कि शिकायतकर्ता की बात को गंभीरता से लिया जाता है और दोषियों को सजा देने में कोई कोताही नहीं बरती जाती। खासकर जब मामला पुलिस विभाग से जुड़ा हो, तो ऐसे मामलों पर निगरानी और भी सख्त हो जाती है।
समाज में संदेश
इस मामले से समाज को यह स्पष्ट संदेश जाता है कि यदि किसी भी सरकारी कर्मचारी द्वारा रिश्वत की मांग की जाती है, तो इसकी शिकायत बिना डर के निगरानी विभाग से की जा सकती है। साथ ही, यह भी समझना जरूरी है कि भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए केवल सरकार नहीं, बल्कि आम नागरिकों को भी जागरूक होकर कदम उठाने होंगे। इस प्रकार शास्त्रीनगर थाने में हुई यह कार्रवाई न केवल भ्रष्ट अधिकारियों के लिए चेतावनी है, बल्कि आम जनता के लिए एक उम्मीद की किरण भी है कि न्याय अब खरीदा नहीं जा सकता, बल्कि पाया जा सकता है।

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