पटना में दो पुलिसकर्मी गिरफ्तार, थाने मे जब्त बाइक से बैटरी चुराया, कैमरा और एलईडी स्क्रीन भी तोड़े

पटना। जिले के बाढ़ थाना परिसर से चोरी का ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे पुलिस महकमे को कटघरे में खड़ा कर दिया है। थाने की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल तब और गहरे हो गए जब खुद दो पुलिसकर्मी चोरी की घटना में पकड़े गए। यह घटना रविवार की देर रात की बताई जाती है और इसमें शामिल पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
जब्त बाइक से बैटरी चोरी
मामला बाढ़ थाना परिसर का है, जहां जब्त की गई बाइकों से तीन बैटरियां चोरी की गईं। आरोप सीधे तौर पर ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों पर लगा। इनमें होमगार्ड सिपाही स्वामी विवेकानंद और वाहन चालक सिपाही हरिशंकर सिंह शामिल हैं। दोनों उस रात विधि-व्यवस्था और सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, लेकिन खुद ही अपराध में लिप्त पाए गए।
चोरी छिपाने की कोशिश
चोरी को छुपाने के लिए आरोपियों ने और भी गंभीर कदम उठाए। वे थानाध्यक्ष के पुराने चैंबर में घुसे और वहां लगे सीसीटीवी का तार काट दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने एलईडी स्क्रीन तोड़ दी और यहां तक कि टीवी का रिमोट और माउस भी अपने साथ ले गए। उनका मकसद सबूतों को नष्ट करना था ताकि चोरी की घटना सामने न आ सके।
जांच और सबूत की पुष्टि
इस घटना की जांच की जिम्मेदारी एसआई अजहर अंसारी को दी गई। जब सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई तो आरोपियों की करतूत कैमरे में कैद मिली और चोरी की पुष्टि हो गई। यही सबूत उनके खिलाफ सबसे बड़ा प्रमाण बना।
मामले को दबाने की कोशिश
शुरुआत में इस पूरे मामले को दबाने की कोशिश की गई। आरोपियों को थाने की हाजत में बंद करने के बजाय उन्हें एक विशेष कमरे में रखा गया। यह दिखाता है कि निचले स्तर पर मामले को रफा-दफा करने का प्रयास हुआ। लेकिन जब वरिष्ठ अधिकारियों को इस घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने तत्काल कार्रवाई की और दोनों आरोपियों को मंगलवार शाम को जेल भेज दिया गया।
मालखाना रिकॉर्ड की जांच
फिलहाल पुलिस मालखाना स्टॉक पंजी की जांच कर रही है। इसमें यह देखा जा रहा है कि जब्त बाइकों से चोरी हुई बैटरियों का मिलान किस तरह से हो रहा है और कितनी वस्तुएं गायब पाई गई हैं। यह प्रक्रिया जरूरी है ताकि चोरी के पूरे दायरे का पता लगाया जा सके।
पहले भी हो चुकी है चोरी
यह पहली बार नहीं है जब बाढ़ थाना परिसर से चोरी की घटना सामने आई हो। इससे पहले भी थाने में जब्त की गई करीब 10 बाइकों की चोरी हो चुकी है। उस समय पूर्व थानाध्यक्ष ने अज्ञात अपराधियों पर केस दर्ज किया था, लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी उस मामले का कोई खुलासा नहीं हो सका। लगातार हो रही ऐसी घटनाओं ने थाने की सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस प्रशासन की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पुलिस की छवि पर असर
पुलिस आम जनता की सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होती है। ऐसे में जब खुद पुलिसकर्मी अपराध में शामिल पाए जाते हैं तो इससे न केवल विभाग की छवि धूमिल होती है, बल्कि लोगों का भरोसा भी टूटता है। थाने जैसे सुरक्षित स्थान पर जब चोरी हो रही है तो आम नागरिकों के मन में यह आशंका होना स्वाभाविक है कि उनकी सुरक्षा कहां सुनिश्चित है।
वरिष्ठ अधिकारियों की चुनौती
अब यह मामला वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के लिए चुनौती बन चुका है। एक ओर उन्हें दोषी पुलिसकर्मियों पर कठोर कार्रवाई करनी होगी, वहीं दूसरी ओर थाने की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा। यदि बार-बार ऐसी घटनाएं सामने आती रहीं तो इससे पूरे विभाग की साख पर गहरा असर पड़ेगा। पटना के बाढ़ थाना परिसर से बैटरी चोरी का यह मामला केवल एक साधारण अपराध नहीं है, बल्कि यह पुलिस तंत्र में व्याप्त लापरवाही और भ्रष्ट मानसिकता को उजागर करता है। जब सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले ही सुरक्षा को तोड़ने लगें तो स्थिति चिंताजनक हो जाती है। यह जरूरी है कि इस मामले की गहराई से जांच हो और दोषियों को सख्त सजा मिले ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। साथ ही थानों की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर जनता का भरोसा फिर से कायम किया जा सके।
