October 28, 2025

आईआरसीटीसी घोटाले में लालू परिवार की मुश्किलें बढ़ी, सीबीआई ने अदालत को दी गवाहों की सूची, 27 से ट्रायल

नई दिल्ली/पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। आईआरसीटीसी होटल घोटाला मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अदालत को करीब एक दर्जन गवाहों की सूची सौंपी है, जो इस बहुचर्चित भ्रष्टाचार मामले में लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य के खिलाफ गवाही देंगे। इस मामले में 27 अक्टूबर से ट्रायल शुरू होने जा रहा है, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल बढ़ गई है।
गवाहों की सूची और ट्रायल की तैयारी
सीबीआई ने जिन गवाहों की सूची अदालत को दी है, वे सभी इस मामले की जांच के दौरान सामने आए महत्वपूर्ण व्यक्तियों में शामिल हैं। एजेंसी ने इन गवाहों को औपचारिक रूप से नोटिस जारी कर दिया है और 27 अक्टूबर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, सीबीआई चाहती है कि गवाहों के बयान जल्दी से जल्दी दर्ज हो जाएं ताकि मुकदमे की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके। एजेंसी का इरादा इस चरण के बाद कुछ और गवाहों को भी पेश करने का है, ताकि आरोपों को मजबूत सबूतों के साथ पुष्ट किया जा सके।
अदालत में आरोप तय होने के बाद बढ़ी मुश्किलें
इस महीने की शुरुआत में विशेष सीबीआई अदालत ने लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय कर दिए थे। अदालत ने लालू प्रसाद के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप लगाए हैं। राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर षड्यंत्र और धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए हैं। तीनों आरोपियों ने अदालत में खुद को निर्दोष बताया है और कहा है कि वे न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करते हुए मुकदमे का सामना करेंगे। हालांकि, उनके वकीलों का कहना है कि वे इस आदेश को चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं।
अदालत का अवलोकन और आदेश
13 अक्टूबर को विशेष सीबीआई जज विशाल गोगने ने अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट होता है कि लालू प्रसाद को पूरी प्रक्रिया की जानकारी थी और उन्होंने आईआरसीटीसी होटलों के हस्तांतरण की निविदा प्रक्रिया में प्रभाव डाला। अदालत ने अपने 244 पृष्ठ के आदेश में कहा कि निविदा प्रक्रिया में कई अनियमितताएँ की गईं और ज़मीन के मूल्यांकन को जानबूझकर कम आंका गया, जिससे लाभ लालू परिवार को मिला। न्यायाधीश ने कहा कि “मामले में मिलीभगत का पहलू स्पष्ट रूप से सामने आता है।”
घोटाले की पृष्ठभूमि
आईआरसीटीसी होटल घोटाले की जड़ें लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री कार्यकाल (2004–2009) से जुड़ी हैं। सीबीआई के आरोपपत्र के अनुसार, लालू प्रसाद ने उस समय रेलवे के बीएनआर होटल, रांची और पुरी को उप-पट्टे पर देने के लिए ठेके देने में कथित रूप से अनियमितताएं कीं। इन ठेकों को सुजाता होटल प्राइवेट लिमिटेड नामक फर्म को दिया गया, जिसके निदेशक विजय कोचर और विनय कोचर थे। सीबीआई का आरोप है कि ठेका देने के बदले कोचर बंधुओं ने पटना में स्थित एक कीमती भूखंड लालू प्रसाद के करीबी सहयोगी प्रेमचंद गुप्ता और उनके सहयोगियों द्वारा नियंत्रित एक कंपनी को बेच दिया। बाद में यह कंपनी लालू परिवार के सदस्यों के नियंत्रण में आ गई। इस प्रक्रिया में भूमि को बाजार मूल्य से बहुत कम कीमत पर हस्तांतरित किया गया, जिससे यादव परिवार को सीधा आर्थिक लाभ हुआ।
राजनीतिक और कानूनी असर
आईआरसीटीसी घोटाला लंबे समय से राजनीतिक चर्चा का विषय रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इस मामले का ट्रायल शुरू होना लालू परिवार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। विपक्ष इसे राजनीतिक साजिश बताकर इसका विरोध कर रहा है, जबकि सीबीआई का कहना है कि जांच तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर की गई है। लालू प्रसाद, जो पहले ही चारा घोटाले में सजा पा चुके हैं, के लिए यह मामला राजनीतिक और कानूनी दोनों ही दृष्टियों से चुनौतीपूर्ण है। राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के खिलाफ भी इस मुकदमे में संलिप्तता के आरोप गंभीर हैं, जिससे राजद के शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बढ़ गया है। आईआरसीटीसी होटल घोटाला मामला अब निर्णायक चरण में प्रवेश करने जा रहा है। 27 अक्टूबर से ट्रायल शुरू होने के साथ ही यह साफ हो जाएगा कि इस मामले में सीबीआई के आरोप कितने मजबूत हैं और लालू परिवार पर लगाए गए आरोपों की सच्चाई क्या है। हालांकि, राजनीतिक तौर पर यह मामला बिहार की सियासत में बड़ा मुद्दा बन चुका है। चुनावी माहौल में इसके दूरगामी प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। आने वाले महीनों में अदालत की सुनवाई और गवाहों के बयान इस मामले की दिशा तय करेंगे, जो न केवल लालू परिवार बल्कि बिहार की राजनीति के भविष्य पर भी गहरा असर डाल सकते हैं।

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