पटना में टीआरई-4 के अभ्यर्थियों ने किया जोरदार प्रदर्शन, मुख्यमंत्री आवास का किया घेराव, पुलिस के साथ हुई धक्का-मुक्की

पटना। बिहार में चौथे चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा (टीआरई-4) को लेकर मंगलवार को राजधानी पटना का माहौल गरमा गया। हजारों अभ्यर्थियों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। यह प्रदर्शन न केवल रोजगार की मांग से जुड़ा था बल्कि इसमें सरकार के वादों और नीतियों पर भी सवाल उठाए गए।
प्रदर्शन की शुरुआत और रूट
अभ्यर्थियों का प्रदर्शन सुबह करीब 11 बजे पटना कॉलेज से शुरू हुआ। इसके बाद वे खेतान मार्केट, बाकरगंज, गांधी मैदान, जेपी गोलंबर और डाकबंगला चौराहा होते हुए मुख्यमंत्री आवास तक मार्च करने की योजना लेकर चले। पुलिस ने कई जगह बैरिकेडिंग कर उन्हें रोकने का प्रयास किया, लेकिन अभ्यर्थियों ने धक्का-मुक्की कर रास्ता बना लिया और डाकबंगला चौराहे की ओर बढ़ गए।
अभ्यर्थियों की मुख्य मांगें
प्रदर्शन कर रहे कैंडिडेट्स का कहना है कि सरकार ने पहले चौथे चरण में 1.20 लाख पदों पर भर्ती का आश्वासन दिया था। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने भी कई बार सार्वजनिक मंच से इसका ऐलान किया था। लेकिन हाल ही में शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने शिक्षक दिवस पर यह बयान दिया कि केवल 26 हजार से अधिक पदों पर ही भर्ती निकाली जाएगी। इस बयान ने अभ्यर्थियों में नाराजगी बढ़ा दी और उन्होंने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
सीटों की कटौती पर नाराजगी
अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि सरकार लगातार संख्याओं के साथ खेल रही है। कभी 50 हजार, कभी 80 हजार और फिर 1.20 लाख पदों का दावा किया गया। लेकिन जैसे ही डोमिसाइल नीति लागू हुई, पदों की संख्या घटाकर 27,910 कर दी गई। छात्रों का कहना है कि यह सीधा-सीधा बिहार के युवाओं के साथ धोखा है। उनका आरोप है कि पहले बड़ी संख्या में पद इसलिए घोषित किए जाते थे ताकि बाहर के युवाओं को अवसर मिल सके, लेकिन अब स्थानीय छात्रों को ठगा जा रहा है।
पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच झड़प
गांधी मैदान और डाकबंगला चौराहे पर पुलिस और अभ्यर्थियों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बैरिकेडिंग की थी, लेकिन भीड़ बढ़ने पर धक्का-मुक्की और झड़प की नौबत आ गई। इसके बाद पुलिस को मजबूरन सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करनी पड़ी। जेपी गोलंबर और आसपास के इलाकों में भारी भीड़ के कारण जाम की स्थिति भी बन गई।
शिक्षा मंत्री का बयान
शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि सरकार चौथे चरण में 26 हजार से अधिक पदों पर भर्ती कराने जा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि परीक्षा 16 से 19 दिसंबर 2025 के बीच कराई जाएगी और परिणाम 20 से 26 जनवरी 2026 तक जारी कर दिए जाएंगे। मंत्री का कहना है कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से पूरी की जाएगी।
छात्र नेताओं का आरोप
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे छात्र नेता दिलीप ने कहा कि सरकार अपने ही वादों से पीछे हट रही है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बड़े-बड़े ऐलान अब खोखले साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक 1.20 लाख पदों पर बहाली का नोटिफिकेशन जारी नहीं होता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। अभ्यर्थियों ने यह भी मांग की कि एक उम्मीदवार के लिए केवल एक ही रिजल्ट जारी हो, ताकि भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़े की गुंजाइश न रहे।
राजनीतिक महत्व
टीआरई-4 को लेकर खड़ा हुआ विवाद अब केवल रोजगार का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह बिहार की राजनीति का बड़ा प्रश्न बन गया है। विपक्ष भी इस मामले पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। बड़े पैमाने पर हुए प्रदर्शन ने यह संकेत दिया है कि शिक्षक भर्ती अब आगामी चुनावी राजनीति में अहम भूमिका निभाने जा रही है। पटना में हुआ यह आंदोलन केवल पदों की संख्या का विवाद नहीं, बल्कि युवाओं के विश्वास और सरकार की विश्वसनीयता का भी सवाल है। अभ्यर्थी लगातार यह महसूस कर रहे हैं कि उनके साथ छल किया जा रहा है। एक ओर सरकार पारदर्शिता और समयबद्धता का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर युवा अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता से घिरे हैं। आने वाले समय में यह मुद्दा न केवल रोजगार की दिशा तय करेगा बल्कि बिहार की राजनीतिक परिस्थितियों को भी गहराई से प्रभावित करेगा।
