महिला रोजगार योजना की तीसरी किस्त जारी, 21 लाख महिलाओं के खातों में भेजी गई राशि, सीएम ने किया ट्रांसफर
पटना। बिहार सरकार ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य की 21 लाख महिलाओं के बैंक खातों में 10-10 हजार रुपये की तीसरी किस्त ट्रांसफर की। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ाना है।
मुख्यमंत्री ने किया डीबीटी के जरिए ट्रांसफर
पटना स्थित मुख्यमंत्री आवास में आयोजित विशेष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बटन दबाकर डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से यह राशि भेजी। कार्यक्रम के दौरान दोनों उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा सहित कई मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में महिलाएं अब केवल घर तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे समाज और अर्थव्यवस्था में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।
अबतक 1 करोड़ 21 लाख महिलाएं हुईं लाभान्वित
इस योजना की शुरुआत 26 सितंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से की थी। उस दिन प्रधानमंत्री ने 75 लाख महिलाओं के खातों में 10-10 हजार रुपये की राशि भेजी थी। इसके बाद 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 25 लाख महिलाओं को लाभ पहुंचाया था। अब तीसरे चरण में 21 लाख महिलाओं को राशि भेजे जाने के बाद कुल 1 करोड़ 21 लाख महिलाएं इस योजना का लाभ उठा चुकी हैं। सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना के जरिए महिलाओं को छोटे व्यापार, स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता के लिए प्रेरित किया जाए। राज्य सरकार का मानना है कि जब महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत होंगी तो परिवार और समाज दोनों का विकास संभव होगा।
महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में पहल
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना को राज्य सरकार ने ‘स्वावलंबी बिहार’ की परिकल्पना से जोड़ा है। योजना के तहत प्रत्येक पात्र महिला को 10 हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है ताकि वह किसी छोटे व्यवसाय या स्वरोजगार की शुरुआत कर सके। इसके साथ ही सरकार उन्हें प्रशिक्षण और मार्गदर्शन भी उपलब्ध कराती है ताकि राशि का सही उपयोग हो सके। कार्यक्रम के दौरान कई “जीविका दीदियों” ने अपनी सफलता की कहानियां भी साझा कीं। उन्होंने बताया कि इस योजना से उन्हें आर्थिक मजबूती मिली है और अब वे अपने परिवार की जरूरतों को खुद पूरा कर पा रही हैं।
महिलाओं को सशक्त बनाने में नीतीश कुमार की भूमिका
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने कार्यकाल के दौरान महिलाओं के उत्थान के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। 2005 में सत्ता संभालने के बाद उन्होंने पंचायत चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देकर राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित की। इसके बाद उन्होंने शराबबंदी लागू की, जिसका प्रभाव ग्रामीण समाज में स्पष्ट रूप से देखा गया। महिला सशक्तिकरण को लेकर नीतीश कुमार की नीतियों का असर बिहार की राजनीति में भी दिखाई देता है। महिलाएं अब एक मजबूत वोट बैंक के रूप में उभरी हैं और लगातार एनडीए के समर्थन में खड़ी रही हैं।
चुनावों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
बिहार में हाल के वर्षों में महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2020 के विधानसभा चुनाव में जहां 54.6 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया, वहीं महिलाओं की भागीदारी 59.7 प्रतिशत रही। 243 विधानसभा सीटों में से 167 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से अधिक वोट डाले। इनमें से 90 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी, जिससे स्पष्ट होता है कि महिलाओं का समर्थन नीतीश कुमार के लिए निर्णायक रहा। 2010 और 2015 के विधानसभा चुनावों में भी महिलाओं की वोटिंग दर पुरुषों से अधिक रही थी। 2010 में यह अंतर 1.5 प्रतिशत और 2015 में 9 प्रतिशत तक पहुंच गया था। यह प्रवृत्ति बताती है कि बिहार की महिलाएं सामाजिक और आर्थिक रूप से पहले से कहीं अधिक सक्रिय हुई हैं।
सरकार का उद्देश्य और आगे की योजना
बिहार सरकार का उद्देश्य है कि राज्य की हर महिला आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने। इस योजना के माध्यम से सरकार चाहती है कि महिलाएं केवल घरेलू जिम्मेदारियों तक सीमित न रहें, बल्कि अपने हुनर के आधार पर आजीविका के नए अवसर तलाशें। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आने वाले समय में योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए प्रशिक्षण और बैंकिंग सहायता को जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की तीसरी किस्त के वितरण के साथ बिहार सरकार ने महिलाओं के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। यह योजना सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि महिलाओं के आत्मविश्वास और स्वावलंबन की दिशा में एक मजबूत कदम है। आज बिहार की महिलाएं न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे समाज को नई दिशा देने में सक्षम हो रही हैं। इस योजना से स्पष्ट है कि राज्य सरकार महिलाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए निरंतर प्रयासरत है और आने वाले वर्षों में इसका सकारात्मक प्रभाव बिहार की अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना दोनों पर दिखाई देगा।


