गोपालगंज की सभा में बोले नीतीश, 2005 के पहले कुछ नहीं था, हमने कितना काम किया, घर-घर तक पहुंचाई बिजली
- मुख्यमंत्री का विपक्ष पर हमला, कहा- पहले डर का माहौल था, महिलाएं घर से बाहर नहीं निकलती थी, हमने लगातार महिला को आगे बढ़ाया
गोपालगंज/पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को गोपालगंज जिले की हथुआ विधानसभा क्षेत्र में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने विपक्ष पर तीखा हमला बोला और अपनी सरकार के विकास कार्यों की विस्तार से चर्चा की। नीतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2005 के पहले बिहार में न तो कानून व्यवस्था थी, न बिजली-पानी की सुविधा और न ही शिक्षा-स्वास्थ्य की व्यवस्था। लेकिन उनकी सरकार ने राज्य की तस्वीर बदल दी है।
2005 के पहले की स्थिति पर कटाक्ष
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन की शुरुआत में कहा कि “2005 के पहले बिहार में कुछ भी नहीं था। उस समय लोग शाम के बाद घरों से बाहर निकलने से डरते थे। समाज में हर ओर भय और असुरक्षा का माहौल था। अपराधी बेखौफ घूमते थे और आम लोग त्रस्त रहते थे।” उन्होंने कहा कि जब 24 नवंबर 2005 को उनकी सरकार बनी, तो सबसे पहले उन्होंने कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने का काम किया। नीतीश ने कहा कि पहले के शासन में विकास का कोई नामोनिशान नहीं था। सड़कें जर्जर थीं, बिजली सिर्फ कुछ इलाकों तक सीमित थी और स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई थीं। उन्होंने कहा, “पटना में भी सिर्फ 8 घंटे बिजली आती थी, बाकी इलाकों में तो अंधकार ही छाया रहता था।”
विकास कार्यों की गिनती
नीतीश कुमार ने बताया कि उनकी सरकार ने सत्ता में आने के बाद हर क्षेत्र में विकास को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा कि 2018 तक उन्होंने “हर घर बिजली पहुंचाने” का लक्ष्य पूरा कर लिया। अब बिहार के किसी भी हिस्से में बिजली की कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि सड़कें, शिक्षा और स्वास्थ्य – तीनों क्षेत्रों में राज्य ने अभूतपूर्व प्रगति की है। मुख्यमंत्री ने महिलाओं के सशक्तिकरण की बात करते हुए कहा कि “पहले महिलाओं को कोई तवज्जो नहीं दी जाती थी, लेकिन हमारी सरकार ने महिलाओं को आगे बढ़ाने का काम किया है।” उन्होंने यह भी कहा कि पंचायतों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने से लेकर साइकिल योजना और छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं ने लड़कियों की शिक्षा को नई दिशा दी है।
विपक्ष पर सीधा वार
अपने भाषण में नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि जो लोग पहले बिहार में सत्ता में थे, उन्होंने केवल समाज में भय और विभाजन फैलाने का काम किया। उन्होंने कहा कि “पहले समाज में हिंदू-मुस्लिम विवाद आम बात थी। लोग एक-दूसरे से लड़ते थे। लेकिन हमने बिहार में प्रेम, भाईचारा और शांति का माहौल बनाया।” मुख्यमंत्री ने बताया कि इसी उद्देश्य से वर्ष 2006 से कब्रिस्तानों की घेराबंदी शुरू की गई, ताकि सांप्रदायिक विवादों को समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि 2016 में 60 साल पुराने हिंदू मंदिरों की भी घेराबंदी करवाई गई, जिससे चोरी और विवाद की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। नीतीश ने कहा कि “हमने दोनों धर्मों के लोगों के लिए समान रूप से काम किया। आज बिहार में न झगड़ा है, न विवाद। सब एकता और सद्भाव के साथ रह रहे हैं।”
उम्मीदवारों के समर्थन में अपील
मुख्यमंत्री ने इस सभा में जेडीयू उम्मीदवारों को मंच पर बुलाकर जनता से उन्हें जिताने की अपील की। उन्होंने कहा कि भोरे, कुचायकोट और हथुआ से जेडीयू प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं – भोरे से सुनील कुमार, कुचायकोट से अमरेंद्र कुमार पांडे और हथुआ से रामसेवक सिंह। नीतीश ने कहा कि “ये सभी हमारे साथी हैं, इन्हें जिताइए ताकि राज्य में विकास का काम और तेजी से आगे बढ़े।” सभा में मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि जिन प्रत्याशियों की जीत होगी, उनके क्षेत्र में छतों पर सोलर पैनल लगवाए जाएंगे, ताकि ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़े। उन्होंने जनता से पूछा, “वोट दीजिएगा ना?” और लोगों ने हाथ उठाकर उनका समर्थन जताया।
कानून और व्यवस्था पर जोर
नीतीश कुमार ने अपने भाषण में दोहराया कि उनकी सरकार के आने के बाद ही राज्य में “कानून का राज” स्थापित हुआ। उन्होंने कहा कि अब किसी को डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार सबके साथ न्याय कर रही है। पहले के शासन में लोग आतंकित रहते थे, महिलाएं शाम के बाद घर से नहीं निकल पाती थीं, लेकिन अब बिहार में ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि “हमने राज्य को भय और हिंसा के माहौल से बाहर निकालकर विकास की राह पर आगे बढ़ाया है। अब बिहार में शांति, सुरक्षा और सौहार्द का वातावरण है।”गोपालगंज की सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भाषण पूरी तरह विकास और सुशासन के इर्द-गिर्द रहा। उन्होंने अपने 20 साल के शासनकाल की उपलब्धियों को रेखांकित किया और जनता से एक बार फिर एनडीए के उम्मीदवारों को जिताने की अपील की। उन्होंने कहा कि “हमारी सरकार ने जनता की सेवा को प्राथमिकता दी है। बिहार अब अंधकार और भय का नहीं, बल्कि विकास और विश्वास का राज्य बन चुका है।” मुख्यमंत्री का यह संबोधन न केवल राजनीतिक दृष्टि से अहम था, बल्कि यह बिहार के विकास की कहानी को दोहराने का एक प्रयास भी रहा। उनकी बातों से यह स्पष्ट था कि आगामी चुनाव में वे “काम और विश्वास की राजनीति” के सहारे जनता के बीच जा रहे हैं।


