October 28, 2025

पटना में आवारा कुत्तों का बढ़ा आतंक, प्रतिदिन 400 से अधिक लोग बन रहे शिकार

पटना। बिहार की राजधानी पटना में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। जिले में प्रतिदिन औसतन 400 लोग कुत्तों के काटने के शिकार हो रहे हैं। अकेले पटना शहर में रोजाना 150 से 200 लोग सरकारी अस्पतालों में एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं। जिले के प्रखंडों में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) को भी जोड़ लें तो यह संख्या 400 से ज्यादा हो जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि भीषण गर्मी और खाने-पीने की कमी के कारण कुत्तों में आक्रामकता बढ़ रही है, जिससे वे हिंसक हो रहे हैं और इंसानों पर हमला कर रहे हैं। इस बढ़ती आक्रामकता के शिकार एक-डेढ़ साल के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हो रहे हैं। पिछले तीन सालों में पटना जिले में कुत्ते के काटने की घटनाएं दो गुना से भी ज्यादा बढ़ गई हैं। जिला टीकाकरण पदाधिकारी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में पटना जिले में 97,700 एंटी-रेबीज वैक्सीन की खपत हुई थी। 2022-23 में यह बढ़कर 1,17,707 हो गई। वहीं, 2023-24 में (मार्च तक) यह संख्या बढ़कर 1,93,610 हो गई। एक व्यक्ति को कुत्ता काटने पर तीन से पांच डोज वैक्सीन दी जाती है। औसतन चार डोज मानें तो हर साल पटना में 45,000 से 50,000 लोग कुत्तों के काटने के शिकार हो रहे हैं। पटना के न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल, गर्दनीबाग अस्पताल, पीएमसीएच, और गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में पिछले तीन महीनों में डॉग बाइट के पीड़ितों की संख्या में डेढ़ गुना वृद्धि हुई है। इस अवधि में जिले में 35,000 से ज्यादा एंटी-रेबीज वैक्सीन की खपत हो चुकी है। न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल के निदेशक डॉ. मनोज कुमार सिन्हा के अनुसार, अस्पताल में प्रतिदिन 40 से 55 लोग एंटी-रेबीज वैक्सीन लेने आ रहे हैं। गर्मी बढ़ने से पहले यह संख्या 30 से 45 के बीच थी। पीएमसीएच के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के डॉ. राजीव रंजन ने बताया कि वहां भी रोजाना 50 से 60 लोग कुत्ता काटने के बाद एंटी-रेबीज वैक्सीन लेने पहुंच रहे हैं। बिहार वेटेनरी कॉलेज के पशु विज्ञान विभाग के सह प्राध्यापक डॉ. रमेश तिवारी ने बताया कि भीषण गर्मी के कारण कुत्तों में बेचैनी और आक्रामकता बढ़ी है। उन्हें खाने-पीने की कमी हो रही है और छायादार जगहें नहीं मिल पा रही हैं, जहां वे आराम कर सकें। छायादार जगहों जैसे पेड़, पुल, और भवन के नीचे ऑटो चालकों और अन्य लोगों का कब्जा हो गया है। कुत्तों को पीने का पानी भी सही से नहीं मिल पा रहा है, जिससे वे और भी हिंसक हो रहे हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन को उचित कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि पटना के नागरिक कुत्तों के इस आतंक से सुरक्षित रह सकें।

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