कैबिनेट के फैसले पर तेजस्वी का तंज, कहा- सीएम बताएं एक करोड़ नौकरी के लिए पैसे कहां से आएंगे

पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर से बयानबाजी तेज हो गई है। इस बार मुद्दा है नीतीश सरकार के उस फैसले का, जिसमें राज्य के युवाओं को एक करोड़ रोजगार देने का दावा किया गया है। इस फैसले पर पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने तीखा सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से स्पष्टता की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि इतनी बड़ी संख्या में रोजगार देने के लिए आखिर फंड कहां से आएगा।
कैबिनेट फैसले पर उठे सवाल
हाल ही में बिहार कैबिनेट द्वारा यह निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार आने वाले वर्षों में एक करोड़ युवाओं को नौकरी या रोजगार देने की योजना बना रही है। इस निर्णय को नीतीश सरकार ने युवाओं के भविष्य के प्रति एक सकारात्मक कदम बताया है। लेकिन विपक्ष इसे चुनावी वादा और जनता को भ्रमित करने की नीति मान रहा है। तेजस्वी यादव ने इस फैसले पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री खुद सामने आकर यह घोषणा करें और जनता को यह भरोसा दिलाएं कि सरकार वास्तव में एक करोड़ रोजगार दे सकती है। उन्होंने पूछा कि आखिर इतनी बड़ी योजना को अमल में लाने के लिए आवश्यक बजटीय प्रावधान कहां से होगा। तेजस्वी ने सवाल किया कि क्या राज्य सरकार के पास इतनी आर्थिक क्षमता है कि वह इतनी बड़ी संख्या में रोजगार उत्पन्न कर सके।
बढ़ते अपराध पर राहुल गांधी का समर्थन
तेजस्वी यादव ने अपने बयान में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के उस वक्तव्य का भी समर्थन किया जिसमें उन्होंने बिहार को ‘क्राइम कैपिटल’ कहा था। तेजस्वी ने कहा कि राहुल गांधी ने बिल्कुल सही कहा है। बिहार में कानून-व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। आए दिन हत्या, लूट और गोलीबारी की घटनाएं सामने आ रही हैं। आम नागरिक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। उन्होंने कहा कि सरकार एक ओर रोजगार देने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर युवा और व्यापारी वर्ग अपराध से भयभीत है। ऐसे माहौल में कोई भी उद्योग या निवेश नहीं आएगा, और रोजगार की बात महज कागजी योजना बनकर रह जाएगी।
सरकार के दावों पर विपक्ष की नजर
तेजस्वी यादव का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि बिहार की वर्तमान स्थिति पर विपक्ष की चिंता को भी दर्शाता है। सरकार जिस योजना की बात कर रही है, उसके पीछे ठोस नीति, वित्तीय रणनीति और क्रियान्वयन की स्पष्टता नहीं दिखाई दे रही है। यह भी सवाल उठ रहा है कि जब राज्य की सरकारी नौकरियों में नियुक्ति की प्रक्रिया धीमी चल रही है, तब इतनी बड़ी संख्या में रोजगार देना किस हद तक व्यावहारिक होगा। बिहार की राजनीति में रोजगार और कानून-व्यवस्था हमेशा से मुख्य मुद्दे रहे हैं। नीतीश सरकार का एक करोड़ रोजगार देने का दावा जहां युवाओं के लिए आशा का संचार करता है, वहीं विपक्ष इसे जमीनी हकीकत से दूर बताकर खारिज कर रहा है। तेजस्वी यादव का बयान इस ओर संकेत करता है कि सरकार को न सिर्फ वादे करने चाहिए, बल्कि उसके पीछे की व्यावहारिक योजना और वित्तीय स्थिति को भी पारदर्शी ढंग से जनता के सामने रखना चाहिए। अन्यथा ऐसे दावे महज राजनीतिक स्टंट बनकर रह जाएंगे, जिसका लाभ न सरकार को मिलेगा और न ही जनता को।

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