चैती छठ के नहाए खाए पर गंगा घाटों पर उमड़ी लोगों की भीड़, प्रशासन के पुख्ता इंतजाम

पटना। नहाय-खाय के साथ आज से चैती छठ की शुरुआत हो गई है। पहले दिन गंगा स्नान करने हजारों की संख्या में श्रद्धालु घाट पहुंचे। घाटों पर बैरिकेडिंग के बीच गंगा में डुबकी लगाई और भगवान सूर्य की आराधना की। गंगा के पानी से आज नहाए खाए का महाप्रसाद बनेगा। छठ पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह दिखा। पिछले 25 साल से छठ व्रत कर रहीं अनिता देवी ने बताया कि पहले उनकी बड़ी दीदी और भाभी छठ करती थी। उनके बाद मैंने शुरू किया। छठी माता ने उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी की है। वहीं, आशा देवी का कहना नहाए खाए के दिन दाल, चावल, कद्दू की सब्जी, चटनी, पापड़ बनती है। हम सब नियम-धर्म से पूजा करते हैं। परिवार के सभी लोग एकजुट होते हैं। घर में रौनक बढ़ जाती है। आस्था का महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। आज से चैती छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत हो गई है। व्रती आज पवित्र गंगा नदी, जलाशय में स्नान, पूजा के बाद प्रसाद के रूप में अरवा चावल, सेंधा नमक से निर्मित चना की दाल, लौकी की सब्जी, आंवला की चटनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय अनुष्ठान का संकल्प लेंगी। वही आज रोहिणी नक्षत्र व आयुष्मान योग में नहाय-खाय के साथ महापर्व शुरू हो रहा है। छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय-खाय में लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल, आंवला की चासनी के सेवन का खास महत्व है। वैदिक मान्यता है कि इससे पुत्र की प्राप्ति होती है, वहीं वैज्ञानिक मान्यता है कि गर्भाशय मजबूत होता है। इस मौसम में शरीर में फॉस्फोरस की कमी होने के कारण शरीर में रोग (कफ, सर्दी, जुकाम) के लक्षण परिलक्षित होने लगते हैं। प्रकृति में फॉस्फोरस सबसे ज्यादा गुड़ में पाया जाता है। जिस दिन से छठ शुरू होता है उसी दिन से गुड़ वाले पदार्थ का सेवन शुरू हो जाता है, खरना में चीनी की जगह गुड़ का ही प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही ईख, गागर एवं अन्य मौसमी फल प्रसाद के रूप प्रयोग किया जाता है।

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