अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन 17 को ग्रह-गोचरों के दुर्लभ संयोग में करेंगी करवा चौथ

*70 साल बाद बन रहा है दुर्लभ संयोग, रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल ग्रह का योग होने से बना ये योग

अखंड सुहाग के लिए सुहागिन महिलाएं कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को करवा चौथ का व्रत 17 अक्तूबर दिन गुरुवार को मनाएगी। पति की लंबी उम्र एवं उन्नत गृहस्थ जीवन के इस वर्ष का यह व्रत ग्रह-गोचरों के दुर्लभ संयोग में मनाई जाएगी। इस दिन चतुर्थी माता(करवा माता) और गणेश जी की भी पूजा की जाती है। सुहागिन स्त्रियां को करवा चौथ का व्रत करने से अखंड सौभाग्य व पति को अक्षुण का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनका गृहस्थ जीवन सुखमय व्यतीत होता है।

कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि करवा चौथ के दिन करीब 70 वर्षो के बाद ग्रह-गोचरों का दुर्लभ संयोग बन रहा है। रोहिणी नक्षत्र के साथ मंगल ग्रह का योग बन रहा है। मंगल ऊर्जा, शक्ति, पराक्रम का प्रतीक होता है। इसके साथ ही इस दिन सिध्दयोग का भी शुभ संयोग बन रहा है। इस दिन व्रती सुहागिन महिलाएं भगवान भोलेनाथ, गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय एवं चन्द्रमा की पूजा करने के बाद चंद्र को चलनी से देखती है और उन्हें अर्घ देती है। करवा चौथ के दिन व्रती महिलाएं दिनभर व्रत रखेंगी और नए वस्त्र- श्रृंगार करके पूजन करके रात में चांद को छलनी से दीप के साथ देखेंगी। पति को देखते हुए वे चांद को अर्घ्य प्रदान करेंगी। अर्घ्य में दूध,शहद,मिश्री और नारियल प्रदान किया जाएगा। मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा से मन की शांति मिलती है। इसके साथ ही इस दिन भगवान विष्णु और धन की देवी माता लक्ष्मी की आराधना करने से अचल सम्पति, धन-धान्य के अलावे दाम्पत्य सुख का आशीर्वाद मिलता है।

चलनी से छन कर व्यवहार व विचार होते शुद्ध

पंडित झा ने कहा कि व्रती चलनी से चंद्र दर्शन के बाद अपने पति को उसी चलनी से देखती है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार चलनी से पति को देखने से पत्नी के व्यवहार और विचार दोनों छन कर शुद्ध हो जाते है। पति के लिए किया जाना वाला इस व्रत के बारे में संत कवि तुलसीदास ने रामचरित मानस में वर्णित किये है कि-‘मातु पिता भगिनी प्रिय भाई। प्रिय परिवारु सुहरद समुदाई। सासु ससुर गुर सजन सहाई। सुत सुंदर सुसील सुखदाई॥ जहं लगि नाथ नेह अरु नाते पिय बिनु तियहि तरनिहु ते ताते । तनु धनु धामु धरनि पुर राजू। पति बिहीन सबु सोक समाजू॥’ अर्थात, माता, पिता, बहन, प्यारा भाई, प्यारा परिवार, मित्रों का समुदाय, सास,ससुर, गुरु, स्वजन, सहायक और सुंदर सुशील और सुख देने वाला पुत्र, हे नाथ! जहां तक स्नेह और नाते हैं, पति के बिना स्त्री को सभी सूर्य से बढ़ कर तपाने वाले हैं। शरीर, धन, घर, पृथ्वी, नगर और राज्य, पति के बिना स्त्री के लिए यह सब शोक का समाज है।

सूर्योदय से पूर्व करेंगी सरगही

पंडित झा ने बताया कि गुरुवार की अहले सुबह सूर्योदय से पूर्व सुहागिन महिलाएं सरगही करेंगी। सास के हाथों व्रती महिलाएं सरगही के सामान ग्रहण करेंगी। सरगही की थाली में सास अपनी बहुओं को कपड़े, नारियल, सेवई,फल-मेवा आदि सौपेंगी। सरगही करने के बाद महिलाएं व्रत का संकल्प लेंगी और पूरे दिन उपवास रखेंगी।

इन मंत्रों से करे पूजा मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान

माता पार्वती – ॐ उमा दिव्या नम:, भगवान शिव के लिए – ॐ नमः शिवाय, ॐ षण्मुखाय नमः से कार्तिकेय का, ॐ गणेशाय नमः से गणेश का और ॐ सोमाय नमः से चंद्रमा का पूजन करने से मनोकामना पूर्ण तथा अखंड सौभाग्य का वरदान भी मिलेगा ।

करवा चौथ की पौराणिक कथा

एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। सेठानी सहित उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा था। उसके भाइयों ने नगर से बाहर जा कर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए बहन से कहा- चांद निकल आया है। अर्घ्य देकर भोजन कर लो। यह सुनकर उसने अपने भाभियों से कहा कि आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्य दो। उन्होंने कहा बाई जी! अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई तुमसे धोखा किये हैं। भाभियों की बात सुनकर भी उसने कुछ ध्यान ना दिया एवं भाइयों द्वारा दिखाए गए प्रकाश को ही अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार व्रत भंग होने से गणेश जी अप्रसन्न हो गए। उसका पति बीमार हो गया। जो कुछ घर में था उसकी बीमारी में खत्म हो गया। उसने गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए चतुर्थी का व्रत किया। जिससे उसकी सारी परेशानी दूर हो गई।

करवा चौथ पूजा मुहूर्त:

संध्या 05:50 बजे से 07:06 बजे तक
मुहूर्त काल – 01 घंटा 15 मिनट

उपवास काल

सुबह 06:17 बजे से रात्रि 08:18 बजे तक
व्रत-उपवास का समय 14 घंटे 01 मिनट
चंद्रोदय व अर्घ्य का समय :- रात्रि 07: 43 बजे से

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