November 1, 2025

किशनगंज में छात्र ने की आत्महत्या, बंद कमरे में लटका मिला शव, इलाज में लापरवाही का आरोप

किशनगंज। जिले में मंगलवार देर रात एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। पोठिया प्रखंड के कोल्था पंचायत स्थित सब्जी मार्केट हरिजन बस्ती में 18 वर्षीय छात्र सुरजीत कुमार रॉय ने कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना के बाद परिवार और स्थानीय लोगों में कोहराम मच गया। वहीं, इलाज में लापरवाही को लेकर अस्पताल प्रशासन के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, मंगलवार रात सुरजीत अपने घर में परिवार और आसपास के लोगों के साथ बैठा बातचीत कर रहा था। इसी दौरान अचानक बिजली चली गई। कुछ देर बाद वह अपने कमरे में चला गया। जब काफी समय तक वह बाहर नहीं आया, तो परिजनों ने आवाज लगाई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। इसी बीच घर से चीखने की आवाज सुनाई दी। जब परिजनों ने खिड़की से झांका, तो देखा कि सुरजीत छत के कुंडे से फंदे के सहारे लटका हुआ है। परिजन तुरंत दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे और आनन-फानन में उसे नीचे उतारा। इसके बाद ग्रामीणों की मदद से सुरजीत को छतरगाछ रेफरल अस्पताल ले जाया गया। लेकिन वहां पहुंचने पर स्थिति और बिगड़ गई — अस्पताल में न तो कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही एम्बुलेंस उपलब्ध थी। इससे आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर समय पर डॉक्टर मिल जाते तो शायद सुरजीत की जान बचाई जा सकती थी। अस्पताल में इलाज न मिलने पर परिजनों ने मजबूरी में प्राइवेट वाहन का इंतजाम किया और करीब 30 किलोमीटर दूर किशनगंज सदर अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने सुरजीत को मृत घोषित कर दिया। बेटे की मौत की खबर सुनते ही उसके पिता देवनारायण रॉय सदमे में बेहोश होकर गिर पड़े। ग्रामीणों ने उन्हें भी छतरगाछ अस्पताल पहुंचाया, लेकिन वहां भी डॉक्टर न मिलने से उन्हें आगे इलाज के लिए किशनगंज भेजना पड़ा। घटना के बाद मृतक के परिजनों और स्थानीय युवकों ने अस्पताल प्रशासन पर इलाज में देरी और लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अस्पताल में डॉक्टर और स्टाफ का इस तरह से अनुपस्थित रहना स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही को दर्शाता है। परिजनों ने गायब डॉक्टर और कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। सूचना मिलने पर छतरगाछ कैंप प्रभारी राम बहादुर शर्मा और पहाड़कट्टा थाना अध्यक्ष फुलेंद्र कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रित किया। उन्होंने बताया कि परिजनों ने मृतक का पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया है। पुलिस ने कहा कि यदि परिवार की ओर से कोई आवेदन या शिकायत दी जाती है, तो मामले की जांच की जाएगी। इधर, घटना के बाद पूरे गांव में शोक का माहौल है। स्थानीय लोग इस बात से आक्रोशित हैं कि स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की अनुपस्थिति अब आम बात बन गई है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर छतरगाछ अस्पताल में डॉक्टर मौजूद होते तो संभव था कि सुरजीत की जान बच जाती। मृतक की मौसी सीमा देवी ने बताया कि, “हम लोग अस्पताल पहुंचे तो दो से तीन घंटे तक कोई डॉक्टर नहीं आया। एम्बुलेंस तक नहीं मिली। आखिरकार हमें खुद ही वाहन का इंतजाम करना पड़ा।” स्थानीय लोगों ने प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यह मामला केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था की गहराती खामियों का उदाहरण है। फिलहाल, सुरजीत के पिता का इलाज चल रहा है और परिवार पूरी तरह सदमे में है। प्रशासनिक स्तर पर हालांकि जांच की बात कही जा रही है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि जब तक जिम्मेदार डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक ऐसी घटनाएं रुकेंगी नहीं। किशनगंज में छात्र की इस आत्महत्या और उसके बाद की लापरवाही ने न केवल परिजनों को गहरे दुख में डाल दिया है, बल्कि पूरे जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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