लैंड सर्वे में सैन्य भूमि का होगा विशेष सर्वेक्षण, गाइडलाइन जारी, इस विशेष नाम से बनेगा खतियान

पटना। बिहार में चल रहे भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया को अब एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। पहले यह प्रक्रिया जुलाई 2025 तक पूरी की जानी थी, लेकिन अब इसे जुलाई 2026 तक बढ़ा दिया गया है। भूमि सुधार विभाग ने सैन्य भूमि के सर्वेक्षण के लिए विशेष गाइडलाइन जारी की है। इसके अंतर्गत सभी जिलों के बंदोबस्त पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे सैन्य भूमि के स्वामित्व और अधिकार अभिलेख तैयार करने के लिए रक्षा विभाग के नामित नोडल पदाधिकारी के साथ समन्वय स्थापित करें।
सैन्य भूमि का स्वामित्व
सैन्य भूमि के सर्वेक्षण के दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसी सभी भूमि को “कैसरे-ए-हिंद” (भारत सरकार) के नाम पर खतियान में दर्ज किया जाए। इसके लिए जिलों में विशेष रूप से नामित पदाधिकारी अपनी भूमिका निभाएंगे।
प्रक्रिया की आवश्यकता
सैन्य भूमि का सर्वेक्षण इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल सरकारी संपत्तियों की पहचान सुनिश्चित करता है, बल्कि इन संपत्तियों पर किसी भी तरह के अतिक्रमण को रोकने में भी मदद करता है। भूमि सुधार विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि सैन्य भूमि का सर्वेक्षण राज्य के हर जिले में प्राथमिकता के साथ किया जाएगा।
समन्वय की आवश्यकता
राजस्व विभाग ने यह भी निर्देश दिया है कि सैन्य भूमि का सर्वेक्षण करते समय रक्षा विभाग के नोडल अधिकारियों के साथ समन्वय बेहद जरूरी है। इस समन्वय के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सर्वेक्षण प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की त्रुटि न हो।
सरकारी भूमि पर ध्यान
सरकारी भूमि, विशेष रूप से सैन्य भूमि, के सर्वेक्षण की प्रक्रिया को सख्ती से लागू किया जा रहा है। सरकारी भूमि के अधिकारों और रिकॉर्ड को सुरक्षित रखना प्रशासन के लिए प्राथमिकता है। बिहार में भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया, विशेष रूप से सैन्य भूमि के लिए, राज्य के भूमि प्रबंधन को सुधारने और स्वामित्व संबंधी विवादों को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी सरकारी और सैन्य भूमि को “कैसरे-ए-हिंद” के नाम से खतियान में दर्ज किया जाए। समय सीमा बढ़ने के बावजूद, प्रशासन को इस प्रक्रिया को सुचारू और शीघ्रता से पूरा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
