November 1, 2025

गुरु तेजबहादुर की शहादत दिवस पर हरमंदिर साहिब में विशेष आयोजन, सीएम होंगे शामिल 17 को नगर कीर्तन के साथ परिक्रमा

पटना। पटना साहिब स्थित तख्त श्री हरमंदिर साहिब में इस वर्ष गुरु तेगबहादुर जी की 350वीं शहादत दिवस पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है बल्कि ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टि से भी खास मायने रखता है। कार्यक्रम की शुरुआत 17 सितंबर को होगी, जिसमें शोभायात्रा, नगर कीर्तन और गुरबाणी के माध्यम से गुरु जी के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।
कार्यक्रम की रूपरेखा और आयोजन
प्रबंधन कमेटी की बैठक में इस आयोजन की विस्तृत रूपरेखा तय की गई है। 17 सितंबर को गुरु के बाग से नगर कीर्तन और परिक्रमा की शुरुआत होगी। इस दौरान सिख समुदाय के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग भी बड़ी संख्या में शामिल होंगे। तख्त श्री हरमंदिर साहिब परिसर में विशेष दीवान सजाया जाएगा, जहां संगत गुरबाणी का आनंद लेगी और गुरु जी की शहादत को याद करेगी। कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुख्य अतिथि होंगे। उनके साथ केंद्र और राज्य सरकार के कई मंत्री, सांसद, विधायक और गणमान्य व्यक्ति भी शामिल होंगे। आयोजन का उद्देश्य गुरु जी के बलिदान को याद करते हुए धार्मिक स्वतंत्रता, साहस और मानवता के संदेश को दोहराना है।
गुरु तेगबहादुर जी का बलिदान
गुरु तेगबहादुर जी को शहीद-ए-आजम कहा जाता है क्योंकि उन्होंने औरंगजेब के शासनकाल में धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उस समय जब धार्मिक स्वतंत्रता पर संकट मंडरा रहा था, तब गुरु जी ने साहसिक निर्णय लिया और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। उनकी शहादत हमें यह सिखाती है कि धर्म का मूल उद्देश्य मानवता की रक्षा करना है। उन्होंने सिख परंपरा को केवल धार्मिक पहचान तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे साहस, न्याय और सच्चाई की लड़ाई का प्रतीक बना दिया। आज भी उनकी शहादत समाज को धार्मिक सहिष्णुता और भाईचारे का संदेश देती है।
श्रद्धालुओं की भागीदारी
इस आयोजन में देश-विदेश से बड़ी संख्या में सिख श्रद्धालु पटना पहुंचेंगे। विशेष रूप से पंजाब से संगत का आना तय है। इसके अलावा झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु शामिल होंगे। तख्त श्री हरमंदिर साहिब का ऐतिहासिक महत्व और गुरु जी की स्मृति से जुड़ा होना इस आयोजन को और भी विशेष बनाता है। सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी यह आयोजन महत्वपूर्ण है। श्रद्धालु शोभायात्रा और कीर्तन के माध्यम से समाज में भाईचारा और शांति का संदेश देंगे।
नौ राज्यों में पहुंचेगा संदेश
यह शहादत दिवस कार्यक्रम केवल पटना तक सीमित नहीं रहेगा। इसकी शुरुआत बिहार के राजगीर से होकर की जाएगी और यह झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा सहित नौ राज्यों तक पहुंचेगा। इस यात्रा का उद्देश्य गुरु जी के साहस और बलिदान का संदेश ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाना है। इस दौरान विभिन्न स्थानों पर शोभायात्रा निकाली जाएगी, गुरबाणी का पाठ होगा और संगत को गुरु जी के जीवन से प्रेरित किया जाएगा। इस प्रकार यह आयोजन धार्मिक परंपरा के साथ-साथ सामाजिक चेतना का भी बड़ा मंच बनेगा।
धार्मिक स्वतंत्रता और साहस का संदेश
गुरु तेगबहादुर जी की शहादत आज भी हमें यह याद दिलाती है कि किसी भी समाज की सबसे बड़ी शक्ति उसकी धार्मिक स्वतंत्रता और विचारों की आजादी है। उन्होंने अपने जीवन और बलिदान से साबित किया कि सच्चे धर्म की रक्षा सिर्फ उपदेशों से नहीं, बल्कि साहसिक कार्यों से होती है। आज जब समाज कई तरह की चुनौतियों से गुजर रहा है, तब गुरु जी का संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है। उनकी शहादत हमें सिखाती है कि हमें मानवता, भाईचारे और न्याय के लिए हमेशा खड़ा रहना चाहिए। पटना साहिब में होने वाला यह आयोजन केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह समाज को यह संदेश देने का अवसर भी है कि धर्म का असली मकसद मानवता की रक्षा करना है। गुरु तेगबहादुर जी की 350वीं शहादत दिवस पर निकाली जाने वाली शोभायात्राएं, कीर्तन और गुरबाणी समाज में शांति, साहस और भाईचारे की भावना को और मजबूत करेंगे। यह आयोजन हमें यह याद दिलाता है कि साहस और त्याग ही किसी भी समाज की असली पहचान हैं। गुरु तेगबहादुर जी का बलिदान हमेशा मानवता के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा और आने वाली पीढ़ियों को धार्मिक स्वतंत्रता और न्याय की राह दिखाता रहेगा।

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