October 28, 2025

मोहनिया से राजद उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन रद्द, दस्तावेज में एड्रेस गलत, कहा- डर गई बीजेपी

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान में अब कुछ ही दिन बाकी हैं, लेकिन महागठबंधन के भीतर विवाद और संकट थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। इस बार चर्चा का केंद्र बनी हैं मोहनिया विधानसभा सीट से राजद उम्मीदवार श्वेता सुमन, जिनका नामांकन चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया है। यह फैसला न केवल राजद के लिए झटका है, बल्कि महागठबंधन के अंदर समन्वय और तैयारियों पर भी सवाल खड़े करता है।
नामांकन रद्द होने का कारण
श्वेता सुमन का नामांकन इसलिए रद्द हुआ क्योंकि उनके दस्तावेजों में दिए गए पते को लेकर आपत्ति दर्ज की गई थी। वर्ष 2020 के चुनाव में उन्होंने अपना पता उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के सकलडीहा विधानसभा क्षेत्र का दिया था। जबकि इस बार उन्होंने अपने दस्तावेजों में बिहार का पता दर्ज कराया। इसी विसंगति को आधार बनाकर भाजपा ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी। स्क्रूटनी के दौरान आयोग ने उनके दस्तावेजों की जांच की और पाया कि श्वेता सुमन द्वारा दिए गए पते में गड़बड़ी है। आयोग ने इसे नियमों का उल्लंघन मानते हुए उनका नामांकन निरस्त कर दिया।
श्वेता सुमन की प्रतिक्रिया
नामांकन रद्द होने के बाद श्वेता सुमन ने खुलकर नाराजगी जताई और भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा और उनके उम्मीदवार मुझसे और मेरी पार्टी से डर गए हैं, इसलिए राजनीतिक दबाव बनाकर मेरा नामांकन रद्द कराया गया है। उन्होंने कहा, “बीजेपी को डर है कि अगर राजद की सरकार आती है, तो वे अपने पुराने ढर्रे पर नहीं चल पाएंगे। इसलिए साजिश के तहत मेरे नामांकन को रद्द करवाया गया।” उन्होंने यह भी कहा कि यह केवल व्यक्तिगत अन्याय नहीं है, बल्कि लोकतंत्र के अधिकारों पर हमला है। उनका कहना है कि वह इस फैसले के खिलाफ चुनाव आयोग और न्यायालय में अपील करेंगी।
राजनीतिक हलचल और राजद की स्थिति
श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होना राजद के लिए उस समय एक बड़ा झटका साबित हुआ है जब पार्टी पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर तनाव झेल रही है। महागठबंधन में पहले चरण के चुनावों के लिए उम्मीदवार तय किए जा चुके हैं, लेकिन अब इस घटना ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। मोहनिया सीट राजद के लिए राजनीतिक दृष्टि से अहम मानी जाती है। 2020 के चुनाव में भी यह सीट चर्चा में रही थी, और इस बार भी पार्टी को उम्मीद थी कि यहां से जीत दर्ज कर सत्ता में योगदान दिया जा सकेगा। श्वेता सुमन एक युवा और सक्रिय महिला नेता हैं, जिनकी छवि जमीनी स्तर पर काम करने वाली कार्यकर्ता के रूप में रही है। ऐसे में उनका नामांकन रद्द होना पार्टी कार्यकर्ताओं के उत्साह पर असर डाल सकता है।
महागठबंधन में सीट विवाद और अशोक गहलोत की भूमिका
इस विवाद के बीच कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पटना पहुंचे। एयरपोर्ट पर मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि महागठबंधन में 5-6 सीटों पर कुछ भ्रम और असहमति जरूर है, लेकिन इसे बड़ा मुद्दा नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “किसी भी राज्य में जब गठबंधन होता है, तो कुछ सीटों पर मतभेद होना स्वाभाविक है। इसे लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा करना उचित नहीं। एक-दो दिन में सभी भ्रम दूर हो जाएंगे।” गहलोत इसके बाद सीधे राबड़ी देवी के आवास पहुंचे, जहां उन्होंने लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात की। बैठक में सीट शेयरिंग, उम्मीदवारों के चयन और आगामी प्रचार रणनीति पर चर्चा हुई।
तेजस्वी यादव का बयान
राजद नेता तेजस्वी यादव ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि महागठबंधन में कोई बड़ा विवाद नहीं है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है। कुछ सीटों पर तकनीकी दिक्कतें आई हैं, जो जल्द सुलझा ली जाएंगी। कल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में आप सभी सवालों के जवाब मिल जाएंगे।” जानकारी के मुताबिक, कल होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में महागठबंधन के सभी प्रमुख दल एक साथ मंच साझा करेंगे और अपने उम्मीदवारों की अंतिम सूची की घोषणा करेंगे।
भाजपा की रणनीति और आरोप-प्रत्यारोप
दूसरी ओर, भाजपा ने इस मामले को चुनावी नैतिकता से जोड़ा है। पार्टी का कहना है कि अगर किसी उम्मीदवार के दस्तावेज में गलत जानकारी दी गई है, तो आयोग को सख्ती दिखानी चाहिए। भाजपा नेताओं ने कहा कि यह कोई राजनीतिक दबाव नहीं, बल्कि कानून का पालन है। हालांकि, राजद समर्थक इस फैसले को राजनीतिक साजिश मान रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा, महागठबंधन के लोकप्रिय चेहरों को चुनावी दौड़ से बाहर करने की कोशिश कर रही है ताकि विपक्ष को कमजोर किया जा सके। मोहनिया से राजद उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होना बिहार की चुनावी राजनीति में नई हलचल पैदा कर गया है। एक ओर जहां यह मामला चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर चर्चा को जन्म देता है, वहीं दूसरी ओर यह दिखाता है कि महागठबंधन के भीतर तालमेल और रणनीति में अब भी कई कमजोरियां हैं। श्वेता सुमन का यह बयान कि “बीजेपी मुझसे डर गई” केवल नाराजगी का इज़हार नहीं, बल्कि आने वाले दिनों में चुनावी भाषणों का मुद्दा भी बन सकता है। अब देखना यह होगा कि राजद इस झटके से कैसे उबरता है और क्या श्वेता सुमन को दोबारा किसी तरह चुनावी मैदान में उतरने का मौका मिलता है या नहीं।

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