धनतेरस पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा व खूब हुई खरीदारी, हनुमान जयंती बुधवार को

पटना। कार्तिक कृष्ण प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी में मंगलवार को धनतेरस के मौके पर आयोग्य के देवता भगवान धन्वतरि के प्राकट्य दिवस पर सनातन धर्मावलंबियों ने त्रिपुष्कर व सिद्ध योग में घरों तथा व्यापारिक प्रतिष्ठानों में लक्ष्मी-गणेश, कुबेर, सरस्वती, धन्वंतरि की पूजा कर सुख, समृद्धि, आरोग्यता, धन संपदा, ऐश्वर्य, वैभव की कामना किए। अकाल मृत्यु, रोग, शोक, भय से निजात हेतु यम के निमित्त तेल का दीपक घर के बाहर दक्षिण मुख प्रज्वलित किया गया। श्रद्धालुओं ने गोधूलि बेला में पंचदेव को समर्पित घी का पांच दीपक प्रार्थना जलाया गया।
गृहस्थ जीवन में शुभता हेतु की खरीदारी
ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि मंगलवार को धनतेरस के दिन दरिद्रता दूर व सुख-समृद्धि का वास के लिए झाड़ू तथा धातुओं में माता लक्ष्मी का वास होने के कारण सोना, चंडी, कांसा, पीतल, तांबा के पात्र की जमकर खरीदारी हुई। वहीं त्रिपुष्कर योग में गृहस्थ जीवन में शुभता के लिए वस्त्र, विद्युतीय उपकरण, अन्न, मिष्ठान, आभूषण, दीया, मूर्ति, धनिया, रत्न, कौरी, हल्दीगांठ, कमलगट्टा, पीली सरसों आदि की खरीदारी हुई। इस शुभकारी योग में खरीदारी से उसका लाभ तीन गुना बढ़ जाता है।


धनतेरस से शुरू हुआ दीपोत्सव
ज्योतिषी झा ने कहा कि धन की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित पांच दिनों का दीपोत्सव धनतेरस के साथ शुरू हुआ। धनतेरस से भाई दूज तक देवी-देवताओं के निमित्त पांच दिन तक पांच दीपक जलाये जाएंगे। बुधवार को सर्वार्थ सिद्धि योग में छोटी दिवाली तथा हनुमान जयंती का त्योहार मनाया जायेगा। वहीं गुरुवार को कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीपोत्सव का प्रमुख त्योहार दीपावली प्रीति योग में मनेगा। इस दिन स्थिर लग्न में माता लक्ष्मी तथा भगवान गणेश की पूजा घर-घर की जाएगी।
मां लक्ष्मी की मानस पुत्र हैं गणेश
वैदिक धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान गणेश को माता लक्ष्मी का मानस पुत्र माना गया है। दीपोत्सव के पावन बेला पर इस दोनों का पूजन किया जाता है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व मंगलमूर्ति गणेश की पूजा होता है। इसके साथ ही इनके विविध नामों का स्मरण सभी सिद्धियों को प्राप्त करने का सर्वोत्तम साधन एवं नियामक भी है, इसीलिए दिवाली में लक्ष्मी जी के साथ गणेश की पूजा करना सर्वसिद्धि प्रदायक होता है।
लक्ष्मी से धन तो गणेश से मिलती सिद्धि
पंडित राकेश झा के अनुसार दीपावली की रात्रि को लक्ष्मी जी के साथ गणेश पूजन का धार्मिक, अध्यात्मिक, तांत्रिक एवं भौतिक सभी दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर धन-संपदा प्रदान करें तथा उस धन को प्राप्त करने में हमें कोई भी कठिनाई या विघ्न ना आए, हमें आयुष्य प्राप्त हो, सभी कामनाओं की पूर्ति हो तथा सभी सिद्धियां भी प्राप्त हों, इसीलिए लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा होती है।

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