अमित शाह ने सीएम आवास में नीतीश से की मुलाकात, 15 मिनट तक हुई बातचीत, चुनावी रणनीति पर चर्चा
पटना। बिहार में विधानसभा चुनावों की हलचल के बीच शुक्रवार का दिन सियासी दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण रहा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पटना पहुंचे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। यह मुलाकात लगभग 15 मिनट तक चली, जिसमें दोनों नेताओं के बीच चुनावी रणनीति को लेकर विस्तृत चर्चा हुई। बिहार की राजनीति में यह मुलाकात कई मायनों में अहम मानी जा रही है, क्योंकि इसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के गठबंधन को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
मुलाकात का राजनीतिक महत्व
अमित शाह और नीतीश कुमार के बीच यह बातचीत ऐसे समय में हुई है जब बिहार में चुनावी माहौल तेजी से गर्म हो रहा है। दोनों नेताओं की बैठक का मुख्य उद्देश्य सीट बंटवारे, प्रचार रणनीति और आगामी रैलियों के कार्यक्रम को अंतिम रूप देना बताया जा रहा है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह मुलाकात भाजपा-जदयू गठबंधन में सामंजस्य स्थापित करने और विरोधी दलों को स्पष्ट संदेश देने की रणनीति का हिस्सा है। सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भाजपा-जदयू गठबंधन के प्रचार अभियान के स्वरूप और साझा एजेंडे पर चर्चा की। साथ ही, प्रदेश की राजनीतिक स्थिति, विपक्ष के गठबंधन महागठबंधन की रणनीति और उम्मीदवारों के चयन पर भी विचार-विमर्श हुआ।
अमित शाह का बिहार दौरा और कार्यक्रम
मुलाकात के बाद अमित शाह ने छपरा जिले के तरैया स्थित खेल मैदान में एक बड़ी जनसभा को संबोधित करने का कार्यक्रम तय किया। इस जनसभा को भाजपा के चुनावी अभियान की औपचारिक शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। शाह की इस सभा में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं की उपस्थिति रहने की उम्मीद है। इसके अलावा अमित शाह पटना के ज्ञान भवन में आयोजित बुद्धिजीवी सम्मेलन में भी शामिल होंगे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों के बीच भाजपा के चुनावी संदेश को पहुंचाना और बुद्धिजीवियों को पार्टी के दृष्टिकोण से जोड़ना है।
बिहार में तीन दिन का प्रवास
अमित शाह का यह बिहार दौरा तीन दिनों का है, जो 18 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान वे बिहार के कई जिलों में पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे, संगठन की समीक्षा करेंगे और आगामी चरण के नामांकन की स्थिति का जायजा लेंगे। शाह इस दौरान चुनावी अभियान को दिशा देने और स्थानीय स्तर पर समन्वय को मजबूत करने पर विशेष ध्यान देंगे। भाजपा सूत्रों के अनुसार, शाह की प्राथमिकता उम्मीदवारों के बीच एकता बनाए रखना और बूथ स्तर तक संगठन को सक्रिय करना है। उनका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भाजपा और सहयोगी दलों के बीच किसी प्रकार की असहमति न रह जाए।
स्टार प्रचारकों की सूची जारी
भाजपा ने बिहार चुनाव के पहले चरण के लिए अपने स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है, जिसमें 40 प्रमुख नेताओं के नाम शामिल हैं। इस सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, शिवराज सिंह चौहान, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं। भोजपुरी सिनेमा से भी पार्टी ने स्टार प्रचारकों को जोड़ा है। भोजपुरी पावर स्टार पवन सिंह को इस सूची में स्थान देकर भाजपा ने पूर्वी बिहार और भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में प्रभाव बढ़ाने की रणनीति अपनाई है। महिला नेताओं में स्मृति ईरानी, रेखा गुप्ता और रेनू देवी को भी शामिल किया गया है। इससे पार्टी महिलाओं और युवा मतदाताओं को जोड़ने की कोशिश कर रही है।
बिहार के स्थानीय नेताओं की भूमिका
भाजपा ने बिहार के वरिष्ठ नेताओं को भी इस सूची में महत्वपूर्ण स्थान दिया है। इनमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, नित्यानंद राय, राधा मोहन सिंह, अश्विनी कुमार चौबे, रविशंकर प्रसाद, नंदकिशोर यादव और राजीव प्रताप रूडी शामिल हैं। ये सभी नेता राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में भाजपा के प्रचार अभियान की कमान संभालेंगे। इसके अलावा पार्टी ने 101 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इस बार पार्टी ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को भी चुनाव मैदान में उतारा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व को सीधे जनता से जोड़ना चाहती है।
भाजपा-जदयू गठबंधन की स्थिति
भाजपा और जदयू के बीच हाल के दिनों में कई मुद्दों पर मतभेद की खबरें सामने आई थीं, लेकिन अमित शाह और नीतीश कुमार की यह मुलाकात इस बात का संकेत देती है कि दोनों दल चुनाव से पहले किसी भी भ्रम को दूर कर एकजुट होकर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। सूत्रों के मुताबिक, दोनों दलों ने सीट बंटवारे पर सहमति बना ली है और जल्द ही औपचारिक घोषणा की जाएगी। नीतीश कुमार की मौजूदगी में भाजपा को यह भरोसा है कि गठबंधन को पिछड़े वर्गों और ग्रामीण मतदाताओं से लाभ मिलेगा, जबकि भाजपा का शहरी इलाकों में प्रभाव जदयू के लिए फायदेमंद साबित होगा। अमित शाह और नीतीश कुमार की 15 मिनट की मुलाकात भले ही छोटी रही हो, लेकिन इसके राजनीतिक मायने बड़े हैं। यह बैठक न केवल गठबंधन की मजबूती का संकेत देती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि भाजपा बिहार चुनाव को लेकर पूरी तरह से तैयार है। शाह का बिहार दौरा पार्टी कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने और संगठन को एकजुट करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। आगामी दिनों में जैसे-जैसे चुनावी हलचल तेज होगी, इस मुलाकात का असर बिहार की राजनीति में और स्पष्ट रूप से देखने को मिलेगा।


