सीट शेयरिंग पर उपेंद्र कुशवाहा बोले- सीटों पर अभी वार्ता पूरी नहीं, भ्रामक खबरों के झांसे में न आए, एनडीए में घमासान जारी
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट बंटवारे को लेकर तनाव गहराता जा रहा है। एक ओर जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से दावा किया जा रहा है कि सीट शेयरिंग फॉर्मूला लगभग तय हो चुका है, वहीं दूसरी ओर सहयोगी दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के ताजा बयान ने सियासी हलचल तेज कर दी है। उनके अनुसार सीटों को लेकर अभी तक कोई अंतिम सहमति नहीं बनी है और इस विषय पर बातचीत जारी है।
उपेंद्र कुशवाहा के ट्वीट से मचा सियासी तूफान
शनिवार सुबह उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा कर पूरे राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया। उन्होंने लिखा, “इधर-उधर की खबरों पर मत जाइए। सीटों पर वार्ता अभी पूरी नहीं हुई है। इंतजार कीजिए! मीडिया में कैसे खबर चल रही है, मुझको नहीं पता। अगर कोई खबर प्लांट कर रहा है तो यह छल है, धोखा है। आप लोग ऐसे ही सजग रहिए।” उनके इस बयान से यह स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर मतभेद अब भी बरकरार हैं। कुशवाहा के इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि भाजपा की ओर से जल्दबाजी में सीटों का ऐलान करने की कोशिश हो रही है, जबकि सभी दलों के बीच पूरी सहमति नहीं बनी है।
भाजपा की तैयारी और दावा
दूसरी ओर भाजपा के बिहार अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने शुक्रवार रात पटना स्थित पार्टी कार्यालय में मीडिया से बातचीत के दौरान दावा किया था कि गठबंधन के सभी घटक दलों के बीच सीटों का फॉर्मूला लगभग तय हो गया है। उन्होंने बताया कि शनिवार को दिल्ली में प्रदेश भाजपा कोर ग्रुप की बैठक होगी, जिसके बाद शाम तक सीट शेयरिंग फॉर्मूला का औपचारिक ऐलान दिल्ली या पटना से किया जाएगा। भाजपा के इस बयान से यह लगने लगा था कि एनडीए में अब सब कुछ लगभग फाइनल हो चुका है और जल्द ही उम्मीदवारों की सूची भी सामने आ जाएगी। लेकिन कुशवाहा के बयान ने इस धारणा को झटका दे दिया।
संभावित सीट बंटवारे का फॉर्मूला
सूत्रों के अनुसार, अब तक की वार्ताओं में भाजपा और जदयू के बीच यह सहमति बनी है कि दोनों दल मिलकर लगभग 200 से 203 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। वहीं, बाकी 40 से 42 सीटें अन्य सहयोगी दलों को दी जाएंगी। लोजपा (रामविलास) को 26, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) को 8 और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम को 6 सीटें मिलने की संभावना जताई जा रही है। हालांकि कुशवाहा की असहमति यह संकेत देती है कि वह इस प्रस्ताव से संतुष्ट नहीं हैं। आरएलएम के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी को उम्मीद थी कि उन्हें कम से कम 10 सीटें मिलेंगी, क्योंकि पिछले चुनावों में कई क्षेत्रों में उनका वोट बैंक सक्रिय रहा है।
एनडीए में बढ़ रही खींचतान
एनडीए के भीतर सीट बंटवारे को लेकर खींचतान नई नहीं है। हर चुनाव के पहले घटक दलों के बीच यह विवाद देखने को मिलता है। इस बार भी वही स्थिति बनती दिख रही है। भाजपा चाहती है कि सीटों का बंटवारा जल्द से जल्द फाइनल हो ताकि उम्मीदवारों की घोषणा और प्रचार रणनीति पर काम शुरू किया जा सके। लेकिन सहयोगी दल अपने हिस्से को लेकर अभी भी असंतुष्ट हैं।
आरएलएम की रणनीति और असंतोष
उपेंद्र कुशवाहा लंबे समय से एनडीए के साथ राजनीतिक गठबंधन में हैं, लेकिन वे हमेशा अपने राजनीतिक वजन को बरकरार रखने की कोशिश करते हैं। उनका यह बयान कहीं न कहीं यह दिखाता है कि वे भाजपा और जदयू पर दबाव बनाना चाहते हैं ताकि सीटों की संख्या में कुछ बढ़ोतरी हो सके।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर कुशवाहा की मांगों को नजरअंदाज किया गया तो वह चुनाव से पहले कोई बड़ा निर्णय भी ले सकते हैं।
भाजपा और जदयू की साझा रणनीति
भाजपा और जदयू के बीच पिछले कुछ महीनों से तालमेल बेहतर दिख रहा है। दोनों दल मिलकर बिहार में चुनावी समीकरण को मजबूत करने में जुटे हैं। दोनों की प्राथमिकता है कि विपक्षी महागठबंधन को कड़ी चुनौती दी जा सके। इसीलिए भाजपा चाहती है कि गठबंधन में अनुशासन और एकता दिखाई दे, लेकिन कुशवाहा के बयान से यह छवि थोड़ी कमजोर होती दिखी है। एनडीए में सीट बंटवारे पर मचा यह घमासान बिहार की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है। भाजपा और जदयू चाहती हैं कि जल्दबाजी में मामला सुलझा लिया जाए, जबकि छोटे सहयोगी दल अपने हिस्से को लेकर अडिग हैं। उपेंद्र कुशवाहा का यह बयान न केवल एनडीए की एकजुटता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि गठबंधन के भीतर असंतोष का स्तर बढ़ रहा है। अब देखना यह होगा कि भाजपा नेतृत्व इस असंतोष को कैसे दूर करता है और क्या वास्तव में शाम तक सीट शेयरिंग का फॉर्मूला फाइनल हो पाता है या नहीं। बिहार की सियासत में यह आने वाला सप्ताह निर्णायक साबित हो सकता है।


