इंडिया में सीट बंटवारे का फार्मूला सेट: 135 पर राजद तो 55 पर लड़ेगी कांग्रेस, सहनी को मिलेगी 18 सीटें
- माले 20, सीपीआई 6, सीपीएम 4 सीटों पर लड़ेगी चुनाव, आरएलजेपी और जेएमएम को भी मिलेगी हिस्सेदारी, ऐलान जल्द
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर लंबे समय से चली आ रही चर्चा का अंत हो गया है। सूत्रों के अनुसार, बीती रात और शनिवार की सुबह हुई बैठकों के बाद गठबंधन में मूल रूप से सीटों का बंटवारा तय हो गया है। हालांकि कुछ सीटों पर अब भी हल्का विवाद बरकरार है, लेकिन बड़े पैमाने पर फार्मूला पर सभी दलों ने सहमति दे दी है। महागठबंधन के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि सीट शेयरिंग के मामले में मुख्य वार्ता लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच हुई। दोनों पक्षों ने लंबी बातचीत और फोन वार्ता के बाद कई अटकी हुई सीटों पर सहमति बना ली। अब केवल कुछ तकनीकी मुद्दों का निपटारा होना बाकी है।
सभी दलों को मिली हिस्सेदारी
सूत्रों के मुताबिक महागठबंधन के अंदर तय फार्मूले के अनुसार, राजद को 135 सीटें मिली हैं जबकि कांग्रेस 55 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसके अलावा वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) को 18 सीटें, भाकपा-माले को 20 सीटें, सीपीआई को 6, सीपीएम को 4, जेएमएम को 2 और आरएलजेपी को 2 सीटों पर चुनाव लड़ने का अधिकार मिला है। इसके अलावा आईपी गुप्ता को भी 1 सीट मिलने की संभावना है। विशेष बात यह है कि कुछ सीटों पर घटक दलों के बीच उम्मीदवार एडजस्टमेंट की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसका अर्थ यह है कि कुछ सीटें एक दल के नाम पर जाएंगी, लेकिन वहां उम्मीदवार किसी अन्य सहयोगी दल से होगा। यह तरीका गठबंधन के भीतर संतुलन और सभी दलों की संतुष्टि बनाए रखने के लिए अपनाया गया है।
कुछ सीटों पर विवाद और दावेदारी
हालांकि फार्मूला तय हो गया है, लेकिन महागठबंधन के भीतर अभी भी लगभग एक दर्जन सीटों पर विवाद जारी है। वीआईपी ने आरजेडी के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे शेखपुरा, सिमरी-बख्तियारपुर, भभुआ, बड़हरा, महिषी और गौराबराम पर दावा ठोका है। वहीं कांग्रेस ने बायसी, बहादुरगंज और सहरसा पर दावा किया है। आरजेडी ने भी भाकपा-माले की घोसी और पालीगंज सीटों की इच्छा जताई है। सीपीआई ने हरलाखी सीट पर अपनी दावेदारी पेश की है। जेएमएम को कटोरिया और मनिहारी, जबकि आरएलजेपी के प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने कुशेश्वरस्थान या वैशाली के साथ मोकामा सीट की मांग की है ताकि सूरजभान सिंह को एडजस्ट किया जा सके।
औपचारिक घोषणा जल्द
सूत्रों का कहना है कि अब सीट शेयरिंग का फार्मूला तो तय हो चुका है, लेकिन औपचारिक ऐलान का समय अभी तय किया जाना बाकी है। लालू प्रसाद यादव की अंतिम मंजूरी के बाद सभी दल संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीटों का बंटवारा सार्वजनिक करेंगे।
राजनीतिक हलचल और एनडीए की तैयारी
महागठबंधन में सीट फार्मूला तय होते ही बिहार की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इसके पहले एनडीए अपने सहयोगी दलों के साथ दिल्ली में बैठकों के जरिए सीटों पर चर्चा कर रहा है। ऐसे में दोनों गठबंधनों की घोषणाओं के बाद ही बिहार का चुनावी परिदृश्य लगभग स्पष्ट हो पाएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि महागठबंधन के भीतर लंबी बातचीत और मतभेदों के बाद अंततः फार्मूला तय होना यह दर्शाता है कि गठबंधन अपने भीतर समन्वय और संतुलन बनाए रखने के लिए गंभीर है। फार्मूले के अंतिम रूप से तय होने के बाद चुनावी रणनीति पर काम तेज हो जाएगा।
भविष्य की रणनीति और जनता पर प्रभाव
महागठबंधन की सीट शेयरिंग की अंतिम रूपरेखा तय होने के बाद अब सभी दलों की नजर बिहार की जनता पर केंद्रित होगी। राजद और कांग्रेस के बड़े हिस्से के कारण यह गठबंधन चुनाव में प्रभावी भूमिका निभा सकता है। वहीं वीआईपी, जेएमएम, आरएलजेपी और भाकपा-माले जैसी पार्टियां भी अपने क्षेत्रों में चुनावी दांव-पेंच खेलेंगी। विशेष रूप से उम्मीदवार एडजस्टमेंट की प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि गठबंधन के सभी घटक दल संतुष्ट रहें और किसी भी दल में नाराजगी उत्पन्न न हो। इसका प्रभाव निश्चित रूप से बिहार के चुनाव परिणाम पर भी पड़ेगा। बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के अंदर सीट शेयरिंग का फार्मूला तय होना गठबंधन की रणनीति और चुनावी तैयारियों के लिए महत्वपूर्ण कदम है। राजद 135 और कांग्रेस 55 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी, जबकि अन्य दलों को भी हिस्सेदारी दी गई है। अब सभी की निगाहें औपचारिक घोषणा और उम्मीदवारों की सूची पर टिकी हैं।


