संतोष झा हत्याकांड:-अब माधव चौधरी के ‘सिंडिकेट’ से होगा टकराव

पटना(बन बिहारी)।उत्तर बिहार के सर्वाधिक कुख्यात संतोष झा के मारे जाने के बाद उत्तर बिहार में सक्रिय अपराधी गिरोहों एवं उनके सरपरस्तों के बीच वर्चस्व के लिए खूनी गैंगवार की संभावना बलवती हो गई है।तिरहुत- मिथिलांचल के लगभग सभी ठेकों पर कब्जे के लिए संतोष झा की अदावत बाहुबली माधव चौधरी के सिंडिकेट से रहती थी।शुरुआत में संतोष झा के गिरोह का पलड़ा भारी था।मगर इधर हाल के वर्षों में माधव चौधरी के समर्थक सिंडिकेट के लोग वर्चस्व की लड़ाई में ज्यादा मजबूत हो गए थे।माधव चौधरी को भी अंडरवर्ल्ड में कद्दावर हस्ती माना जाता है।हालांकि माधव चौधरी खुद को समाजसेवी बताते हैं।विश्व मानव जागरण मंच के बैनर तले माधव चौधरी की नई ‘क्लीन इमेज’भी तैयार हो गई है। माधव चौधरी गत 2015 के विधानसभा चुनाव में सुरसंड विधानसभा क्षेत्र से बतौर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरे थे।पहली बार में निर्दलीय लड़ कर भी चौधरी उप विजेता रहे।उस चुनाव में तत्कालीन विधायक सह पूर्व मंत्री दिवंगत शाहिद अली खान चौथे पायदान पर चले गए थे।कहा जाता है कि संतोष झा भी रुन्नीसैदपुर या पुपरी विधानसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी में था।मगर किसी पार्टी के टिकट ‘सेट’ ना हो पाने की स्थिति में निर्दलीय मैदान में आने का जोखिम नहीं ले सका।सूत्रों के मुताबिक बिहार समेत मध्य प्रदेश,पश्चिम बंगाल,छत्तीसगढ़, झारखंड तथा महाराष्ट्र तक अपने ‘पावर’ की ‘धमक’ रखने वाले माधव चौधरी को अपने गृह जिले सीतामढ़ी में संतोष झा गिरोह से जबरदस्त टक्कर मिल रही थी। अब संतोष झा के खात्मे के बाद मुकेश पाठक एवं गिरोह के अन्य बचे हुए लोगों के लिए माधव चौधरी का सिंडिकेट से टकराव होना लाजिमी बताया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में संतोष झा तथा माधव चौधरी दोनों सीतामढ़ी जेल में बंद थे।उस दौरान अगस्त 2014 में जेल के अंदर ही दोनों के समर्थकों के बीच जबरदस्त हिंसक टकराव हुआ था।जिसमें कई पुलिसकर्मी समेत दोनों पक्षों के दर्जनों कैदी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हालात को काबू में करने के लिए काला सुरक्षाकर्मियों को जेल में जमकर लाठी चार्ज करना पड़ा था।मगर स्थिति नियंत्रण में ना आ सकी तब जेल प्रशासन को पैरामिलिट्री फोर्स को बुलाना पड़ा था। पारा मिलिट्री को देखते ही कैदी उग्र हो गए थे।इसके बाद सीआरपीएफ एवं एसएसबी ने कई राउंड फायरिंग की,जिसमे चार कैदी घायल हो गए थे।

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