October 29, 2025

बिहार में 16 अक्टूबर से फिर शुरू होगा बालू खनन, विभाग का निर्देश जारी, निर्माण कार्यों में होगी सहूलियत

पटना। बिहार में लगभग तीन महीने की रोक के बाद अब राज्य में बालू खनन की गतिविधियाँ दोबारा शुरू होने जा रही हैं। खान एवं भू-तत्व विभाग ने इसकी औपचारिक घोषणा करते हुए बताया कि आगामी 16 अक्टूबर से बालू खनन की अनुमति दी जाएगी। विभाग के अनुसार, इस सत्र में राज्य की नदियों से करीब तीन सौ घाटों पर खनन किया जाएगा। इनमें पीला और सफेद दोनों प्रकार का बालू शामिल होगा। इस निर्णय से न केवल निर्माण कार्यों को गति मिलेगी, बल्कि राज्य सरकार के राजस्व में भी उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है।
मानसून अवधि में बंद था खनन
बिहार में हर वर्ष मानसून के दौरान बालू खनन पर रोक लगा दी जाती है। यह निर्णय नदियों की पारिस्थितिकी और जलधाराओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया जाता है। इस वर्ष भी 15 जून से बालू खनन गतिविधियाँ रोक दी गई थीं। उस समय राज्य की नदियों में लगभग 180 घाटों से खनन किया जा रहा था, जिनमें 18 घाट सफेद बालू के थे। बारिश और बाढ़ के मौसम में नदियों में जलस्तर बढ़ जाने के कारण खनन कार्य अस्थायी रूप से रोकना अनिवार्य होता है, ताकि प्राकृतिक संतुलन बना रहे।
विभाग की तैयारी और प्रक्रिया
खनन विभाग ने मानसून अवधि के दौरान खनन तो रोका, लेकिन घाटों की नीलामी और पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया जारी रखी। इस बीच, विभाग ने नए सत्र के लिए खनन क्षेत्रों की पहचान, ठेके की प्रक्रिया और निगरानी व्यवस्था को अंतिम रूप दिया। अब जबकि मौसम अनुकूल हो गया है, विभाग ने खनन कार्य को पुनः प्रारंभ करने का आदेश जारी कर दिया है। इस बार विशेष ध्यान पारदर्शिता और पर्यावरण सुरक्षा पर दिया जा रहा है।
निगरानी व्यवस्था और तकनीकी उपयोग
बालू खनन में पारदर्शिता बनाए रखने और अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए विभाग ने नई तकनीक का सहारा लिया है। इस सत्र में सभी प्रमुख घाटों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे और निगरानी के लिए ड्रोन का भी उपयोग किया जाएगा। यह व्यवस्था सुनिश्चित करेगी कि किसी भी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधि न हो और बालू की ढुलाई निर्धारित नियमों के अनुसार ही की जाए। विभाग का कहना है कि ड्रोन निगरानी से न केवल वास्तविक समय में खनन गतिविधियों की जानकारी मिलेगी, बल्कि राजस्व की हानि और पर्यावरणीय क्षति दोनों को रोका जा सकेगा।
राजस्व और रोजगार दोनों में वृद्धि
विशेषज्ञों का मानना है कि लगभग तीन सौ घाटों से बालू खनन शुरू होने से राज्य सरकार को राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। बालू बिहार के निर्माण उद्योग के लिए अत्यंत आवश्यक सामग्री है, इसलिए इसके उपलब्ध होने से निर्माण कार्यों में भी तेजी आएगी। इससे न केवल सरकारी परियोजनाओं को गति मिलेगी बल्कि निजी निर्माण कार्य भी सुचारू रूप से चल सकेंगे। साथ ही, खनन से जुड़े हजारों लोगों को रोजगार का अवसर मिलेगा, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान
खनन विभाग ने इस बार यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि खनन प्रक्रिया पूरी तरह पर्यावरण-अनुकूल हो। इसके लिए घाटों के चयन में भूगर्भीय सर्वेक्षण और पर्यावरणीय अध्ययन को आधार बनाया गया है। प्रत्येक घाट पर खनन की मात्रा सीमित रखी जाएगी ताकि नदी के प्राकृतिक प्रवाह और जलस्तर पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार के अवैध खनन, ओवरलोडिंग या अनधिकृत बिक्री पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
निर्माण क्षेत्र को मिलेगी राहत
बालू खनन की रोक के कारण पिछले कुछ महीनों से बिहार में निर्माण कार्य ठप पड़े थे। कई सरकारी और निजी परियोजनाएँ प्रभावित हुई थीं, क्योंकि बाजार में बालू की कमी और ऊंचे दामों ने स्थिति को गंभीर बना दिया था। अब खनन शुरू होने से निर्माण कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है। विभाग ने स्पष्ट किया है कि बालू की आपूर्ति नियमित रखने के लिए परिवहन व्यवस्था को भी सुदृढ़ किया जाएगा। 16 अक्टूबर से बालू खनन की शुरुआत बिहार के लिए एक बड़ा राहत भरा कदम माना जा रहा है। इससे राज्य के निर्माण उद्योग को नई गति मिलेगी और सरकार को राजस्व में वृद्धि का लाभ होगा। साथ ही, विभाग द्वारा अपनाई गई आधुनिक निगरानी व्यवस्था से अवैध खनन पर भी प्रभावी नियंत्रण की उम्मीद है। यह निर्णय न केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए विकास और संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करने की दिशा में भी एक सराहनीय पहल है। अब देखना होगा कि विभाग की यह नई व्यवस्था कितनी प्रभावी सिद्ध होती है और राज्य में खनन व्यवस्था कितनी पारदर्शी बन पाती है।

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