पटना समेत 11 जिलों में 5 साल के लिए होगी बालू घाटों की नीलामी, प्रक्रिया शुरू

पटना।  बिहार में में बालूघाटों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बालू घाटों की नीलामी पांच वर्षों के लिए होगी। खान एवं भूतत्व विभाग ने घाटों की ई-नीलामी की प्रक्रिया शुरु कर दी है। एनजीटी भी सहमत है। एनजीटी ने खान एवं भूतत्व विभाग को इस संबंध में आगे की कार्रवाई शुरु करने को कह दिया है। विभाग पटना समेत 11 जिलों में बालूघाटों की नीलामी की योजना पर काम कर रहा है।
विभाग ने 11 जिलों के समाहर्ताओं को पत्र लिख आगे की कार्रवाई को कहा है। बिहार के 11 जिलों में पटना, रोहतास, भोजपुर, औरंगाबाद, अरवल, गया, जमुई, लखीसराय, बांका, भागलपुर व जहानाबाद शामिल है, जहां बालूघाटों की ई-नीलामी होगी। वर्ष 2020 से अगले पांच वर्षों 2025 तक के लिए घाटों की नीलामी के लिए विभाग ने योग्य एजेंसी की तलाश भी शुरु कर दी है। बिहार बालू खनन नीति, 2019 और बिहार खनिज नियमावली, 2019 के प्रावधानों के तहत 6 नवंबर तक सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जानी है।

बालू घाटों की बंदोबस्ती में व्यापक बदलाव
राज्य सरकार ने बालू माफियाओं पर रोक लगाने के लिए घाटों की बंदोबस्ती में व्यापक बदलाव किया है। अब किसी एजेंसी को दो से अधिक घाटों या 200 हेक्टेयर से अधिक प्रक्षेत्र की बंदोबस्ती नहीं की जाएगी। पुरानी बालू नीति 2013 के अनुरुप बंदोबस्ती इसी साल खत्म हो रही है। ऐसे में सरकार ने बालू खनन नीति की कमियों को दूर करने के लिए नयी नीति बनायी है। इसमें बालू की कीमतों पर प्रभावी नियंत्रण को सर्वाधिक महत्व दिया गया है। यही नहीं नीलामी के लिए 10-10 फीसदी राशि अग्रधन व बांड के लिए निश्चित की गयी है।
विभाग की नयी नियमावली के अनुसार सभी खनिजों के लिए बंदोबस्ती की अधिकतम सीमा 200 हेक्टेयर या फिर दो घाट ही होगी। अब किसी व्यक्ति, फर्म, कंपनी या एजेंसी को इससे अधिक की बंदोबस्ती नहीं की जाएगी। बालू बंदोबस्ती के लिए सोन, फल्गू, चानन, मोरहर व किउल नदी के लिए ये प्रावधान लागू किये गए हैं। बंदोबस्ती के लिए सभी जिलों में प्रत्येक नदी को अलग-अलग यूनिट मानते हुए प्रमुख नदियों को विभक्त कर दिया गया है। विभाग का मानना है कि इससे न केवल राजस्व में बढ़ोतरी होगी बल्कि बालू माफियाओं पर भी अंकुश लगेगा।

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