पटना के चारों तरफ प्लाट बेचने वाली कंपनियां में हड़कंप, देवनागरी ग्रीन सिटी पर रेरा ने लगाया 75 लाख का जुर्माना

>>रेरा ने एजेंट के खिलाफ जांच के लिए ईडी तथा ईओयू को भी लिखा पत्र

>>दर्जनों नहीं सैकड़ो कंपनियां लगी हुई है बिना निबंधन भूखंडों की बिक्री में मगर कार्रवाई सिर्फ एक पर
>>नौबतपुर से बिहटा तक प्लाटिंग करने वाली कंपनियां सीधे रडार पर
पटना।(बन बिहारी)। ग्रेटर पटना में प्लाटिंग करके भूखंडों की बिक्री करने वाले कंपनियों के लिए बुरी खबर है।बिना प्रोजेक्ट रजिस्टर्ड करवाए अगर ऐसी कंपनियां भूखंडों की बिक्री करेगी तो रेरा सख्त कार्रवाई करने जा रही है इसी क्रम में भू-सम्पदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा), बिहार ने अनिबंधित प्रोजेक्ट में प्लॉट की बिक्री और निबंधन की शर्तों के उल्लंघन के आरोप में देवनागरी ग्रीन सिटी नामक निबंधित रियल एस्टेट एजेंट पर 75 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. साथ ही एजेंट के निबंधन को निरस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. गौरतलब हो की बिहार में न सिर्फ अपार्टमेंट बनाकर बेचने बल्कि बड़े भूखंड को प्लाटिंग करके बचने के लिए भी प्रोजेक्ट को रेरा से स्वीकृत करना आवश्यक है।रेरा ने इस संबंध में कई बार सार्वजनिक सूचना भी जारी किया है।इसके बावजूद कई कंपनियां राजधानी पटना के इर्द गिर्द रेरा की आंखों में धूल झोंक कर बिना प्रोजेक्ट स्वीकृत करवाये प्लाट बेचने का कार्य कर रही है। ऐसी कंपनियां पर रेरा की नजर है।लेकिन इसके बावजूद ऐसी कंपनियां प्रोजेक्ट को निबंध करवाने से दूर भाग रही है और दूसरी तरफ खुलेआम सोशल मीडिया तथा अन्य माध्यमों से अपने प्रोजेक्ट की मार्केटिंग कर रही है।जो रेरा के नियमों के विपरीत है। मुख्यतः विहटा, सोनपुर तथा फतुहा के तरफ प्लॉट की बिक्री के काम में सैकड़ों कंपनियां बिना प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कारण नियम विरुद्ध तरीके से लगी हुई है। ऐसे में जब देवनागरी ग्रीन सिटी के संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई तो रेरा ने तुरंत इस मामले में आवश्यक कार्रवाई की।रेरा के अध्यक्ष विवेक कुमार सिंह की एकल पीठ ने यह आदेश एक स्वप्रेरित मामले में जारी किया।आदेश में प्रवर्तन निदेशालय (इडी) और आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) को भी पत्र भेजकर एजेंट की आर्थिक गतिविधियों की जांच करने का निर्देश दिया गया है।आरोपित एजेंट पर यह आरोप सिद्ध हुआ कि वह रेरा में निबंधित नहीं रहे शिव विहार फेज-1 प्रोजेक्ट का प्रचार कर रहा था और वहां प्लॉट की बिक्री भी करवा रहा था।इस आधार पर अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन में एजेंट पर 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। साथ ही एजेंट पंजीकरण की शर्तों की अनदेखी पर अतिरिक्त 15 लाख का जुर्माना भी ठोका गया है.।राजधानी में बढ़ती जनसंख्या के कारण आसपास के इलाकों को बड़ी कंपनियां अब टाउनशिप के तर्ज पर विकसित कर रही है। लगभग तीन-चार वर्षों से बड़ी भूखंडों को छोटे छोटे प्लॉट के तर्ज पर संसाधनों समेत डेवलप करने वाली कंपनियों की बाढ़ सी आ गई है। मगर अभी तक गिनती मात्र की कंपनियों ने ही निबंधन हेतु आवेदन दिया है। ऐसी कंपनियों में निवेशकों का लगा धन डूब ना जाए या फिर प्रोजेक्ट के नाम पर धोखाधड़ी ना हो इसीलिए रेरा ऐसी सभी कंपनियों के प्रोजेक्ट को लेकर लगातार सार्वजनिक सूचना प्रसारित करवा रही है।रेरा के मुताबिक राजधानी पटना के सटे इलाकों बिहटा, सोनपुर, एम्स, फुलवारी, मनेर तथा दानापुर आदि क्षेत्रों में अलग-अलग बिल्डरों के अभी सैकड़ों हाउसिंग तथा टाउनशिप प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं। करीब 10000 फ्लैट तथा 500 प्रोजेक्ट अभी विभिन्न परियोजनाओं के रूप में लंबित हैं। ऐसे प्रोजेक्ट की मार्केटिंग भी कंपनियों के द्वारा जारी है, निवेशकों से रकम उगाही भी जारी है। मगर रेरा के स्वीकृति के बगैर प्रोजेक्ट की मार्केटिंग एवं उसमें किसी भी प्रकार का निवेश गैरकानूनी है।राजधानी के नौबतपुर-बिहटा के तरफ प्लॉट बेचने वाली कंपनियों ने अपने ग्राहकों को जो सब्जबाग दिखाए हैं, उसकी भी जांच हो सकती है। मसलन विज्ञापन में उल्लेखित प्रोजेक्ट भूमि से एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, अस्पताल तथा शिक्षण संस्थानों की दूरी दावे के अनुसार है अथवा नहीं। रेरा सूत्रों के अनुसार बहुत सारी कंपनियों के बारे में ऐसे तथ्य ज्ञात हुए हैं कि वह ग्राहकों को झूठे सब्जबाग दिखाकर उन्हें फंसा रही है। रेरा ने ऐसी कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्णय ले रखा है।भूखंडों को विकसित कर उसका प्लॉटिंग कर रही कंपनियों के पक्की सड़क, बिजली, पानी, चाहरदीवारी, पार्क, कम्युनिटी सेंटर तथा कैंपस मार्केट आदि के विकसित करने की दावों को भी रेरा जांच के दायरे में रखेगी। हालांकि अभी संसाधनों के अभाव के कारण रेरा का कार्य भी उतनी तेज गति से नहीं हो पा रहा है।