पटना जंक्शन पर रेलवे यूनियन के कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन, आठवें वेतन आयोग को लेकर की मांग, जमकर की नारेबाजी
पटना। राजधानी पटना में शुक्रवार को रेलवे कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन और ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन (ईसीआरकेयू) की पटना शाखा ने मिलकर यह प्रदर्शन आयोजित किया। इसका नेतृत्व संगठन के महामंत्री एसएनपी श्रीवास्तव ने किया। यह प्रदर्शन पटना जंक्शन पर हुआ, जहां बड़ी संख्या में कर्मचारी अपनी समस्याओं और मांगों को लेकर जुटे।
विरोध मार्च और नारेबाजी
प्रदर्शन की शुरुआत प्लेटफॉर्म नंबर 1 से हुई, जहां कर्मचारियों ने विरोध मार्च निकाला। इसके बाद प्रदर्शनकारी मुख्य टिकट निरीक्षक कार्यालय तक पहुंचे और उसे घेरने की कोशिश की। हालांकि अनुरोध के बाद वे गेट से हट गए, लेकिन नारेबाजी लगातार जारी रही। कर्मचारियों का गुस्सा और असंतोष साफ झलक रहा था।
आठवें वेतन आयोग की मांग
कर्मचारियों की सबसे बड़ी मांग आठवें वेतन आयोग का गठन करने की थी। उनका कहना है कि जनवरी में पे कमीशन की घोषणा की गई थी, लेकिन अब तक उसे लागू नहीं किया गया है। कर्मचारियों ने यह भी कहा कि 1 जनवरी 2026 से केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ की व्यवस्था बिना देरी के लागू होनी चाहिए। उनका मानना है कि इससे देशभर के करीब 32 लाख रेल कर्मचारियों का भविष्य जुड़ा हुआ है।
काम के दबाव और ठेका प्रथा पर सवाल
रेलवे कर्मचारियों ने अपनी कठिनाइयों को भी सामने रखा। उनका कहना है कि वर्तमान समय में उन्हें 72-72 घंटे लगातार ड्यूटी करनी पड़ती है, जिससे शारीरिक और मानसिक थकान बढ़ रही है। कर्मचारियों ने ठेका प्रथा पर भी सवाल उठाया और इसे खत्म करने की मांग की। उनका मानना है कि ठेका प्रथा के कारण स्थायी कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़ रहा है और नौकरी की स्थिरता पर भी खतरा मंडरा रहा है।
रिक्त पदों पर बहाली की मांग
प्रदर्शनकारियों ने सरकार से यह भी मांग की कि रेलवे में रिक्त पड़े पदों पर जल्द से जल्द बहाली की जाए। उनका कहना था कि रिक्तियों के कारण कर्मचारियों पर अतिरिक्त दबाव बढ़ रहा है। यदि नए कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए तो मौजूदा कर्मियों को राहत मिल सकेगी और कामकाज सुचारू रूप से चल सकेगा।
शहीद कर्मचारियों को श्रद्धांजलि
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने अपने उन पूर्वजों को भी याद किया जिन्होंने मजदूरों के अधिकारों के लिए अपनी जान दी। एसएनपी श्रीवास्तव ने कहा कि आज ही के दिन, 19 सितंबर 1968 को रेलवे कर्मचारियों पर गोलियां चलाई गई थीं। उस समय देशव्यापी हड़ताल हो रही थी जिसमें हजारों कर्मचारियों ने हिस्सा लिया था। कई कर्मचारियों ने मजदूरों के हक की लड़ाई में अपनी जान गंवाई थी। प्रदर्शन के दौरान शहीद हुए कर्मचारियों को श्रद्धांजलि भी दी गई।
ऐतिहासिक संदर्भ और वर्तमान परिप्रेक्ष्य
रेलवे कर्मचारियों का यह आंदोलन केवल वर्तमान समस्याओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका संबंध अतीत से भी है। 1968 की ऐतिहासिक हड़ताल मजदूर आंदोलन के इतिहास में एक मील का पत्थर थी, और आज भी उसकी यादें जिंदा हैं। कर्मचारी बार-बार यह संकेत देते हैं कि अगर उनकी आवाज नहीं सुनी गई तो वे संघर्ष का रास्ता अपनाने से पीछे नहीं हटेंगे। पटना जंक्शन पर हुआ यह विरोध प्रदर्शन स्पष्ट करता है कि रेलवे कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर गंभीर हैं और अब वे अनदेखी बर्दाश्त नहीं करेंगे। आठवें वेतन आयोग का गठन, ठेका प्रथा का अंत, रिक्त पदों पर बहाली और काम के घंटों में सुधार उनकी मुख्य मांगें हैं। साथ ही शहीद कर्मचारियों की याद दिलाकर उन्होंने यह संदेश भी दिया कि मजदूर अपने अधिकारों के लिए हर समय तैयार रहते हैं। यह देखना अब महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इन मांगों को कितनी गंभीरता से लेती है और क्या कदम उठाती है।


