रोहतास के रेड लाइट एरिया में पुलिस की छापेमारी, बचाई गई 41 लड़कियां, पांच गिरफ्तार

प्रतीकात्मक तस्वीर
रोहतास। बिहार के रोहतास जिले में गुरुवार सुबह पुलिस ने एक बड़े अभियान के तहत रेड लाइट एरिया में छापेमारी की। इस कार्रवाई से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया। पुलिस ने जबरन इस दलदल में लाई गई 41 लड़कियों को रेस्क्यू किया और इस मामले में संलिप्त पाँच लोगों को गिरफ्तार किया। हालांकि, कई महिलाएं और पुरुष पुलिस के आने की भनक लगते ही मौके से फरार हो गए। पुलिस उनकी तलाश में जुटी हुई है।
छापेमारी की पूरी कार्रवाई
पुलिस ने रोहतास जिले के नटवार समेत अन्य संदिग्ध जगहों पर एक साथ छापेमारी की। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल मौके पर मौजूद था। जब पुलिस ने अचानक इस अवैध धंधे के खिलाफ कार्रवाई शुरू की, तो पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। वहाँ मौजूद नर्तकियाँ और अन्य लोग पुलिस को देख भागने लगे। कई लड़कियों के फरार होने की भी खबर है, जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस लगातार छानबीन कर रही है। इस छापेमारी का नेतृत्व कर रहे रोहतास एसपी रौशन कुमार ने बताया कि इस अभियान में 41 लड़कियों को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया है। पुलिस ने मौके से पाँच अभियुक्तों को भी गिरफ्तार किया है, जिनसे गहन पूछताछ की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे मामले की गंभीरता से जाँच की जा रही है और जो भी लोग इसमें शामिल हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
कम उम्र की लड़कियों का बचाव और सत्यापन प्रक्रिया
मिली जानकारी के अनुसार, इस अवैध धंधे में फँसी अधिकांश लड़कियाँ कम उम्र की हैं, जिन्हें धोखे से इस दलदल में धकेल दिया गया था। इन लड़कियों की पहचान और सत्यापन का कार्य बाल कल्याण समिति द्वारा किया जा रहा है। बाल संरक्षण अधिकारी यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि इन लड़कियों को उचित देखभाल और संरक्षण मिले। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इस रेड लाइट एरिया में कई दिनों से संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिल रही थी। इसके आधार पर प्रशासन ने यह छापेमारी अभियान चलाया। पुलिस को इस गोरखधंधे के पीछे एक बड़े गिरोह के शामिल होने की आशंका है, जो मासूम लड़कियों को फँसाकर इस अवैध व्यापार में धकेल रहा था।
रेड लाइट एरिया पर कठोर कार्रवाई की जरूरत
बिहार में इस तरह के अवैध धंधों को खत्म करने के लिए प्रशासन लगातार प्रयासरत है। इस छापेमारी से यह साफ हो गया है कि अभी भी कई इलाकों में ऐसे गिरोह सक्रिय हैं, जो महिलाओं और किशोरियों को जबरन इस घिनौने काम में धकेल रहे हैं। इस प्रकार की घटनाएँ न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर चुनौती हैं। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पुलिस इस मामले में आगे क्या कदम उठाती है और फरार अपराधियों को कब तक पकड़ पाती है। प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि बचाई गई लड़कियों को सुरक्षित माहौल और उचित पुनर्वास मिले ताकि वे अपने जीवन को एक नई दिशा दे सकें।
