संविधान सम्मेलन में बोले राहुल, कहा- देश में दलित आदिवासी और पिछड़ा होना सेकंड क्लास सिटिजन, मैं नहीं आंकड़े बताते है

पटना। पटना स्थित एसकेएम सभागार में आयोजित “संविधान सुरक्षा सम्मेलन” में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संविधान, सामाजिक न्याय और वंचित समुदायों की स्थिति को लेकर एक स्पष्ट और भावुक भाषण दिया। यह कार्यक्रम नमक सत्याग्रह आंदोलन की 95वीं वर्षगांठ पर आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य अति पिछड़ा, दलित और वंचित समाज को मुख्यधारा से जोड़ना और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना था। राहुल गांधी ने कहा कि भारत में यदि कोई दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा (EBC) या महिला है, तो समाज उसे “सेकंड क्लास सिटिजन” यानी द्वितीय श्रेणी का नागरिक मानता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह उनका व्यक्तिगत विचार नहीं है, बल्कि आंकड़ों पर आधारित सच्चाई है। तेलंगाना राज्य का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि वहाँ कांग्रेस सरकार ने जातीय जनगणना कराई थी, जिसके अनुसार बैंक लोन लेने वालों की सूची में शायद ही कोई दलित, आदिवासी या EBC हो। वहीं घरेलू कामगारों और मजदूरों की सूची में 90 प्रतिशत लोग इन्हीं समुदायों से हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि संसाधनों तक पहुंच और आर्थिक अवसरों में भारी असमानता है। मैंने मोदी जी को संसद में सामने से बोला कि ये जो 50 फीसदी आरक्षण की फेक दीवार बना रखी है, जो आप नहीं तोड़ेंगे तो हम तोड़ कर रहेंगे। 10-15 लोग हैं, जिन्होंने पूरे कॉरपोरेट सेक्टर को पकड़ के रखा है। राहुल ने कहा कि जब कोई संविधान की बात करता है, तो वह सच्चाई की विचारधारा को अपनाता है, परंतु विनायक दामोदर सावरकर की विचारधारा में यह सच्चाई नहीं झलकती क्योंकि वे सच्चाई का सामना नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि यह बात उन्हें कहनी पड़ी, भले ही इससे कुछ लोगों को ठेस पहुंचे। उन्होंने एक निजी अनुभव भी साझा किया, जब संदीप दीक्षित के पॉडकास्ट में उनसे पूछा गया कि उनके परदादा नेहरू वास्तव में क्या थे। उन्होंने नेहरू और गांधी की तस्वीरों को देखकर यह महसूस किया कि इन दोनों महान नेताओं में एक बात समान थी—दोनों सच्चाई से प्रेम करते थे। यही विरासत वह भी अपने भीतर जीवित रखने की कोशिश कर रहे हैं। कार्यक्रम में राहुल गांधी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। समर्थकों ने ‘देखो-देखो कौन आया, शेर आया’ जैसे नारे लगाए और उन्हें गदा व गौतम बुद्ध की तस्वीर भेंट की गई। सम्मेलन में नोनिया समाज, बुद्धु नोनिया, प्रजापति रामचंद्र विद्यार्थी और बाबू जगजीवन राम जैसे समाज सुधारकों के योगदान को भी याद किया गया। इस सम्मेलन का मूल उद्देश्य संविधान की मूल भावना की रक्षा करना और दलित, पिछड़े वर्ग को न्याय दिलाने की दिशा में मजबूत कदम उठाना था।
