October 28, 2025

सीपी राधाकृष्णन बने देश के नए उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति ने दिलाई पद और गोपनीयता की शपथ

नई दिल्ली। भारत को नए उपराष्ट्रपति के रूप में सीपी राधाकृष्णन मिले हैं। शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस अवसर पर संसद और सरकार के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे। राधाकृष्णन की यह उपलब्धि उनकी लंबे संघर्ष और संगठनात्मक अनुभवों की परिणति है।
उपराष्ट्रपति चुनाव और जीत
राधाकृष्णन ने हाल ही में हुए चुनाव में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार और पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 मतों के अंतर से हराकर जीत दर्ज की थी। 21 जुलाई को तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद मध्यावधि चुनाव कराया गया। धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर पद छोड़ा था, जबकि उनके कार्यकाल में अभी दो साल का समय बाकी था। इस रिक्ति को भरने के लिए 9 सितंबर को मतदान हुआ और राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति चुन लिए गए।
राज्यपाल पद से इस्तीफा
उपराष्ट्रपति चुने जाने से पहले राधाकृष्णन महाराष्ट्र के राज्यपाल थे। उन्होंने शपथ ग्रहण से एक दिन पहले इस पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राष्ट्रपति ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया। इससे पहले फरवरी 2023 में राधाकृष्णन झारखंड के राज्यपाल नियुक्त हुए थे। झारखंड में रहते हुए उन्होंने तेलंगाना और पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला।
छात्र राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति तक का सफर
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक जीवन असाधारण रहा है। उनकी शुरुआत छात्र आंदोलनों से हुई और बाद में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। संघ के माध्यम से वे सक्रिय राजनीति में आए और भारतीय जनता पार्टी में संगठन का हिस्सा बने। 1974 में वे भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने थे।
भाजपा में संगठनात्मक भूमिका
भाजपा में उनका संगठनात्मक सफर लंबा और प्रभावशाली रहा। 1996 में उन्हें तमिलनाडु भाजपा का सचिव बनाया गया। इसके बाद वे 2004 से 2007 तक तमिलनाडु प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। इस दौरान उन्होंने 93 दिनों में 19,000 किलोमीटर लंबी रथ यात्रा की थी, जिसका उद्देश्य नदियों को जोड़ना, आतंकवाद के खिलाफ जनजागरण, समान नागरिक संहिता लागू करना, अस्पृश्यता निवारण और मादक पदार्थों के दुष्प्रभावों से निपटना था।
संसदीय जीवन और जिम्मेदारियां
राधाकृष्णन 1998 और 1999 में कोयंबटूर से लोकसभा सदस्य चुने गए। सांसद रहते हुए उन्होंने संसदीय स्थायी समिति (कपड़ा मंत्रालय) की अध्यक्षता की। वे स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच के लिए बनी विशेष समिति के सदस्य भी रहे। 2004 में वे संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने। इसके अलावा वे ताइवान जाने वाले पहले संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य भी थे।
हार और संघर्ष का दौर
हालांकि, उनका राजनीतिक सफर हमेशा आसान नहीं रहा। 2004, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में उन्हें कोयंबटूर से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन इन हारों ने उनकी सक्रियता और संगठनात्मक क्षमता को कम नहीं किया। वे लगातार पार्टी और संगठन में अपनी भूमिका निभाते रहे।
प्रशासनिक और संगठनात्मक अनुभव
2016 में उन्हें कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया। उनके नेतृत्व में भारत से नारियल रेशे के निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई। इसके अलावा 2020 से 2022 तक वे केरल भाजपा के प्रभारी भी रहे। संगठन और प्रशासन दोनों में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है।
व्यक्तिगत जीवन और पहचान
सीपी राधाकृष्णन ओबीसी समुदाय कोंगु वेल्लार (गाउंडर) से आते हैं। उनकी शादी सुमति से हुई है और उनके एक बेटा और एक बेटी हैं। उनकी छवि विनम्र और सुलभ नेता की रही है। समर्थक उन्हें तमिलनाडु का मोदी भी कहते हैं।
उपराष्ट्रपति पद तक की यात्रा
राधाकृष्णन का राजनीतिक और सामाजिक जीवन यह दर्शाता है कि वे संगठन, प्रशासन और संसदीय अनुभवों का अनूठा मिश्रण लेकर उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचे हैं। दक्षिण भारत में भाजपा के विस्तार में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उनका उपराष्ट्रपति बनना न केवल व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि संगठनात्मक परिपक्वता और लंबे संघर्ष की मिसाल भी है। इस प्रकार सीपी राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचना भारतीय राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो उनकी बहुआयामी क्षमताओं और जनसेवा के प्रति समर्पण को दर्शाता है।

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