नीतीश की परेशानी बने वाम दल, मॉनसून सत्र में शिक्षकों का मुद्दा उठाएगा लेफ्ट

पटना। अपने ही सरकार पर वाम दलों ने सवाल उठा दिया है। बता दे की शिक्षक नियुक्ति नियमावली पर महागठबंधन की पार्टियों के बीच ही एकमत नहीं है। भाकपा माले शिक्षकों व शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ पूरे दम के साथ खड़ी है। बुधवार को बिहार के 3 वाम दलों भाकपा-माले, CPI और CPM ने इस पर बैठक की। वही इस बैठक की अध्यक्षता CPM के राज्य सचिव ललन चौधरी ने की। वही इस बैठक में भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा, पार्टी नेता केडी यादव, CPI के राज्य सचिव रामनरेश पांडे, शिक्षक नेता शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, एमएलसी संजय कुमार, सीपीएम के पूर्व राज्य सचिव अवधेश कुमार और सर्वोदय शर्मा उपस्थित थे। यह बैठक माले विधायक दल कार्यालय की गई। वही इस बैठक के बाद वाम दलों ने संयुक्त प्रेस बयान जारी कर कहा कि शिक्षक नियमावली 2023 से वाम दलों की सहमति नहीं है। 2020 के महागठबंधन के संकल्प पत्र में सभी शिक्षकों को सरकारी कर्मी का दर्जा दिए जाने की घोषणा की गई थी। यह बात सही है कि उस समय महागठबंधन में नीतीश कुमार शामिल नहीं थे लेकिन वर्तमान सरकार का संकल्प वही होना चाहिए जो 2020 के महागठबंधन के घोषणापत्र में था। महागठबंधन सरकार में शामिल वामदलों ने मांग की है कि सरकार शिक्षक नियमावली 2023 पर पुनर्विचार करे और परीक्षा की बाध्यता हटाए। शिक्षक अभ्यर्थियों की परेशानियों को सुने और उनके प्रतिनिधियों से भी बातचीत करे। 10 जुलाई से शुरू हो रहे विधानमंडल के मॉनसून सत्र के पहले वाम दल के प्रतिनिधि इस सवाल पर एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव से मुलाकात कर मामले का हल निकालने की कोशिश करेंगे।
