चुनाव से पहले बढ़ी प्रशांत किशोर की ताकत, पूर्व आईपीएस के साथ भोजपुरी सुपरस्टार रितेश पांडेय पार्टी में शामिल

पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी जोरों पर है। राजनीतिक दलों की हलचल तेज हो चुकी है और नेताओं का दल बदलना भी लगातार जारी है। इसी राजनीतिक उठापटक के बीच जनसुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने अपनी रणनीतिक क्षमता का परिचय देते हुए संगठन को एक नई दिशा देने की पहल की है। हाल ही में जनसुराज से दो बड़ी हस्तियां जुड़ी हैं, जिससे पार्टी की ताकत में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है।
पूर्व आईपीएस जेपी सिंह की सक्रिय राजनीति में एंट्री
शुक्रवार को प्रशांत किशोर द्वारा आयोजित एक अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह ऐलान किया गया कि हिमाचल प्रदेश के पूर्व एडीजीपी जेपी सिंह अब जनसुराज आंदोलन का हिस्सा बन गए हैं। जेपी सिंह मूलतः बिहार के सारण (छपरा) जिले के निवासी हैं और लंबे समय से पुलिस सेवा में रहे हैं। उन्होंने हाल ही में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर सेवा से विदाई ली। अब उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखते हुए जनसुराज के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू किया है। जेपी सिंह का राजनीति में प्रवेश और उनका जनसुराज से जुड़ना केवल एक संगठनात्मक मजबूती नहीं है, बल्कि यह प्रशांत किशोर की गंभीर रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। इससे पार्टी को प्रशासनिक अनुभव और संगठनात्मक अनुशासन प्राप्त होगा, जो चुनावी मैदान में अहम साबित हो सकता है।
भोजपुरी सुपरस्टार रितेश पांडेय का राजनीति में पदार्पण
इसी कड़ी में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के लोकप्रिय गायक और अभिनेता रितेश पांडेय ने भी जनसुराज का दामन थामा है। रितेश पांडेय का भोजपुरी समाज में बड़ा जनाधार है और युवा वर्ग में उनकी लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। उनका पार्टी में आना जनसुराज के लिए एक सांस्कृतिक और जनसंपर्क स्तर पर बड़ी जीत मानी जा रही है। रितेश पांडेय के पार्टी में आने से न केवल भोजपुरी भाषी इलाकों में जनसुराज की पकड़ मजबूत होगी, बल्कि युवाओं के बीच भी पार्टी की छवि को एक नई धार मिलेगी। वे अपनी लोकप्रियता का उपयोग जनजागरूकता और चुनाव प्रचार में कर सकते हैं, जिससे जनसुराज का आधार और मजबूत होगा।
जनसुराज का विस्तार और प्रशांत किशोर की रणनीति
प्रशांत किशोर पिछले कुछ वर्षों से जनसुराज के जरिए बिहार में एक वैकल्पिक राजनीतिक धारा की स्थापना की कोशिश कर रहे हैं। वे प्रदेश में पारंपरिक राजनीति से अलग एक नई सोच और कार्यशैली को बढ़ावा देने का दावा करते रहे हैं। इसी दिशा में संगठन को मज़बूत करने के लिए वे लगातार योग्य और प्रभावशाली चेहरों को पार्टी से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। जेपी सिंह जैसे प्रशासनिक अनुभव वाले अधिकारी और रितेश पांडेय जैसे जनप्रिय कलाकार के पार्टी से जुड़ने से यह साफ संकेत मिलता है कि जनसुराज चुनाव से पहले खुद को एक सशक्त राजनीतिक विकल्प के रूप में स्थापित करने में लगा हुआ है।
चुनावी समीकरणों में संभावित बदलाव
इन दो बड़े नामों के जुड़ने से बिहार के चुनावी समीकरणों में कुछ हद तक बदलाव आने की संभावना है। एक ओर जहां प्रशांत किशोर संगठनात्मक रूप से जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रभावशाली चेहरों को जोड़कर वे मीडिया और जनमानस में सुर्खियां बटोरने में भी सफल हो रहे हैं। बिहार की राजनीति में जनसुराज अब केवल एक आंदोलन नहीं रह गया, बल्कि यह एक उभरती हुई राजनीतिक शक्ति के रूप में सामने आ रहा है। पूर्व आईपीएस जेपी सिंह और भोजपुरी सुपरस्टार रितेश पांडेय जैसे चेहरों का जुड़ना पार्टी की राजनीतिक साख को मज़बूत करने वाला कदम है। आने वाले चुनाव में इनका प्रभाव किस हद तक दिखेगा, यह समय बताएगा, लेकिन फिलहाल इतना तय है कि प्रशांत किशोर की रणनीति ने विपक्षी दलों के लिए चुनौती जरूर खड़ी कर दी है।
