पटना में बढ़ते अपराध को लेकर पोस्टर वॉर, ‘गुंडा राज’ नाम का लगा पोस्टर, सीएम और डिप्टी सीएम की लगाई तस्वीर

पटना। बिहार की राजधानी पटना एक बार फिर से सुर्खियों में है, लेकिन इस बार कारण राजनीतिक या विकास कार्य नहीं, बल्कि बढ़ते अपराध और उस पर हो रहे राजनीतिक वार-पलटवार हैं। हाल के दिनों में व्यापारियों और आम नागरिकों की हत्या की घटनाओं ने न सिर्फ आम जनता को भयभीत कर दिया है, बल्कि राजनीतिक माहौल को भी गर्म कर दिया है। इसी क्रम में राजधानी पटना के विभिन्न चौक-चौराहों पर ‘गुंडा राज’ नामक पोस्टर लगाए गए हैं, जिसने बिहार की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अपराधों की श्रृंखला और पोस्टर का विषय
इन पोस्टरों में केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों पर कटाक्ष करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की तस्वीरें प्रमुखता से लगाई गई हैं। उनके चारों ओर हाल ही में राज्यभर में हुई आठ बड़ी हत्या की घटनाओं का उल्लेख किया गया है। इनमें सबसे प्रमुख घटना 4 जुलाई को पटना के प्रसिद्ध उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या है, जिसने पूरे व्यवसायिक समुदाय में दहशत फैला दी थी। इसके अतिरिक्त 10 जुलाई को मुजफ्फरपुर में मक्का कारोबारी दीपक शाह की हत्या, 11 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में पीएमसीएच की एक नर्स का मर्डर, 13 जुलाई को पटना के रामकृष्णा नगर में तृष्णा मार्ट के मालिक विक्रम झा की हत्या, और उसी दिन छपरा में शिक्षक संतोष राय की गोली मारकर हत्या शामिल हैं।
व्यवसायिक समुदाय में भय और असुरक्षा का माहौल
पोस्टरों में इन घटनाओं को दर्शाकर यह दिखाने की कोशिश की गई है कि राज्य में अपराधियों के हौसले किस हद तक बुलंद हो चुके हैं। व्यापारियों, शिक्षकों, स्वास्थ्यकर्मियों और वकीलों जैसे पेशेवरों की हत्या से आम लोगों में गहरा असंतोष और डर व्याप्त है। यह स्थिति न केवल सामाजिक स्तर पर चिंता का विषय है, बल्कि राज्य की निवेश नीति और औद्योगिक विकास के लिए भी घातक साबित हो सकती है।
राजनीतिक संकेत और विरोध का तरीका
‘गुंडा राज’ जैसे शब्दों का प्रयोग कर इन पोस्टरों ने स्पष्ट रूप से सरकार की आलोचना की है। इन नेताओं की तस्वीरों के बीच में हत्याओं का जिक्र कर यह बताने की कोशिश की गई है कि कानून-व्यवस्था सरकार के नियंत्रण से बाहर हो चुकी है। यह एक राजनीतिक विरोध का नया तरीका बनता जा रहा है, जहाँ ग्राफिक्स और सार्वजनिक स्थानों का उपयोग कर आम जनमानस में संदेश पहुँचाने की कोशिश की जाती है।
किसने लगाए पोस्टर, अब तक नहीं हुआ खुलासा
इन पोस्टरों को किस व्यक्ति या संगठन द्वारा लगाया गया है, इसकी फिलहाल कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। प्रशासन ने पोस्टर हटाने का कार्य जरूर शुरू कर दिया है, लेकिन इसकी पड़ताल करना बाकी है कि इसके पीछे कौन लोग हैं और उनका उद्देश्य क्या है। हालांकि, यह स्पष्ट है कि ऐसे पोस्टर जन आक्रोश और अपराध के प्रति नाराजगी का प्रतीक बनकर सामने आ रहे हैं। पटना में ‘गुंडा राज’ पोस्टर लगना केवल एक घटना नहीं, बल्कि राज्य की वर्तमान सुरक्षा व्यवस्था पर जनता का अविश्वास भी दर्शाता है। जब एक के बाद एक हत्याएं होती हैं और प्रशासन अपराधियों को पकड़ने में असफल रहता है, तो लोगों का गुस्सा इस प्रकार के तरीकों में प्रकट होता है। यह समय है कि सरकार इस संदेश को गंभीरता से ले, कानून-व्यवस्था की समीक्षा करे और जनसुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। जनता की चिंता और विरोध को सिर्फ पोस्टर हटाकर शांत नहीं किया जा सकता, इसके लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक है।
