शिक्षा मंत्री पर हुए नए खुलासे के बाद सूबे की राजनीति तेज, 15 साल तक कॉलेज में पढ़ाने नहीं गए, पर हर महीने हुआ वेतन भुगतान

पटना। बिहार के शिक्षा मंत्री हमेशा चर्चा में बने रहते हैं। हर बार उनकी काबिलियत पर सवाल उठते रहे हैं। बीते बुधवार को उन्होंने महावीर जयंती पर महात्मा बुद्ध की तस्वीर लगाकर लोगों को त्योहार की शुभकामना दी थी। अब बिहार के शिक्षा मंत्री को लेकर नया खुलासा हुआ है कि जिस कॉलेज में वह प्रोफेसर हैं, वहां पिछले साल से कभी कोई क्लास नहीं ली। न ही कॉलेज की उपस्थिति पंजी में उनकी हाजिरी है। लेकिन इसके बाद भी वेतन के रूप में भारी भरकम राशि का भुगतान किया जाता है। औरंगाबाद डॉक्टर चंद्रशेखर 2010 से मघेपुरा के सदर विधायक हैं। औरंगाबाद के रामलखन सिंह यादव कॉलेज के प्राणी विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक भी हैं। इस कॉलेज में वें 8 अक्टूबर 1985 से कार्यरत हैं और उन्हें मार्च 2026 में सेवानिवृत होना है। इस संबंध में राम लखन सिंह यादव कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय रजक से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि वर्तमान में बिहार के शिक्षा मंत्री डॉक्टर चंद्रशेखर प्रसाद इसी कॉलेज के जूलॉजी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं। पिछले 15 वर्षों से विधायक बनने के बाद कॉलेज में आना-जाना कम हो गया है। 15 साल पहले कॉलेज में डॉक्टर चंद्रशेखर क्लास भी लेते थे और छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन भी कराते थे।

राम लखन सिंह यादव कॉलेज के प्रोफेसर चंद्रशेखर प्रसाद महागठबंधन की सरकार में बिहार के शिक्षा मंत्री का पद संभाल रहे हैं। इधर यादव कॉलेज में प्रोफ़ेसर की संख्या देखी जाए तो सब्जेक्ट के हिसाब से एक भी प्रोफेसर उपलब्ध नहीं हैं। कई ऐसे विषय हैं जिसमें प्रोफेसरों और शिक्षकों की संख्या नदारद है। वेतन भुगतान करना विभागीय आदेश है। वैसे फैसिलिटी का लाभ विधायकी क्षेत्र से ले रहे हैं और आर्थिक लाभ प्रोफेसर के पद से उठा रहे हैं। हालांकि चुनाव लड़ने के लिए किसी भी सरकारी पद पर बैठे व्यक्ति को पहले इस्तीफा देना होता है। उसके बाद ही चुनाव लड़ सकता है। संविधान के जानकारों का भी मानना है कि ऐसा करना बिल्कुल गलत है। प्रो. चंद्रशेखर शिक्षा मंत्री के पद पर रहते हुए वेतन नहीं ले सकते।

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