कटिहार में पुलिस वाहन ने बच्चों को मारी टक्कर, हालत गंभीर, लोगों ने ड्राइवर को पीटा, जमकर हुआ हंगामा
कटिहार। बिहार के कटिहार जिले में एक दर्दनाक सड़क दुर्घटना ने न केवल एक मासूम की जिंदगी को संकट में डाल दिया, बल्कि स्थानीय जनता की नाराजगी और प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर कर दिया। फलका थाना क्षेत्र के निसुन्दरा गांव में शुक्रवार को पुलिस वाहन की टक्कर से एक चार वर्षीय बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया। घटना के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और सड़क पर हंगामा शुरू हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुलिस का वाहन एक अन्य गाड़ी को टोचन करते हुए सड़क पर गुजर रहा था। उसी दौरान निसुन्दरा गांव में अचानक यह वाहन अनियंत्रित हो गया और चार साल के एक मासूम को टक्कर मार दी। घायल बच्चे की पहचान इसराफिल के बेटे सफीक के रूप में हुई है, जो उस समय सड़क के किनारे खेल रहा था। हादसे के तुरंत बाद बच्चे को स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) फलका ले जाया गया। लेकिन स्थिति गंभीर होने के कारण उसे पूर्णिया के एक निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया, जहां उसकी हालत अब भी चिंताजनक बनी हुई है।
ग्रामीणों का आक्रोश और सड़क जाम
हादसे की सूचना मिलते ही गांव में तनाव का माहौल बन गया। आक्रोशित ग्रामीणों ने कोढ़ा-फलका मुख्य मार्ग को जाम कर दिया और घंटों तक यातायात को बाधित रखा। प्रदर्शनकारी पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे और प्रशासन से दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। इतना ही नहीं, लोगों ने मौके पर मौजूद पुलिस वाहन के चालक की पिटाई भी कर दी, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। भीड़ का गुस्सा पुलिस की लापरवाही और गैरजिम्मेदाराना व्यवहार को लेकर था।
मुआवजे और न्याय की मांग
घटना के बाद घायल बच्चे के परिजन बेहद सदमे में हैं। उन्होंने प्रशासन से उचित मुआवजा और दोषी चालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। परिजनों का कहना है कि यदि पुलिसकर्मी अधिक सतर्क होते और वाहन सावधानीपूर्वक चला रहे होते, तो इस तरह की दुर्घटना न होती। ग्रामीणों का भी यही आरोप है कि टोचन के दौरान वाहन की गति नियंत्रण में नहीं थी और पुलिसकर्मी लापरवाही से काम कर रहे थे।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और जांच शुरू
इस पूरी घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि दुर्घटना की पूरी परिस्थितियों की जांच की जा रही है और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, घटना के तुरंत बाद जिस तरह से लोगों ने कानून अपने हाथ में लिया और ड्राइवर की पिटाई की, वह भी कानून व्यवस्था के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। पुलिस यह भी देख रही है कि क्या इस हंगामे में किसी और को चोट पहुंची या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ।
स्थानीयता बनाम पुलिस प्रशासन
यह घटना एक बार फिर से यह सवाल खड़ा करती है कि क्या प्रशासनिक मशीनरी, खासकर पुलिस, आम जनता की सुरक्षा को लेकर सच में गंभीर है? जब कानून की रक्षा करने वाला ही अनजाने में दुर्घटना का कारण बन जाए, तो भरोसे की दीवारें कमजोर पड़ने लगती हैं। कटिहार की इस घटना ने ग्रामीण और प्रशासन के बीच पहले से मौजूद अविश्वास की खाई को और गहरा कर दिया है। कटिहार की यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना न केवल एक मासूम की जान को खतरे में डालने वाली है, बल्कि पुलिस की जिम्मेदारी, प्रशासन की संवेदनशीलता और आम जनता की नाराजगी का प्रतीक भी बन गई है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस घटना को कितनी गंभीरता से लेता है और दोषियों को सजा दिलाकर जनता में विश्वास बहाल कर पाता है या नहीं।


