October 29, 2025

समस्तीपुर से गायब तीन लड़कियों को पुलिस ने पूर्णिया में बचाया, दो तस्कर गिरफ्तार, नेपाल और बांग्लादेश भेजने की थी तैयारी

समस्तीपुर। समस्तीपुर जिले के अंगारघाट थाना क्षेत्र से गायब हुई तीन नाबालिग छात्राओं को पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्णिया से सुरक्षित बरामद कर लिया। इस दौरान दो तस्कर पुलिस के हत्थे चढ़े, जबकि गिरोह की दो महिला सदस्य और एक युवक फरार हो गए। यह मामला मानव तस्करी के गंभीर खतरे को उजागर करता है, क्योंकि पकड़े गए आरोपियों ने लड़कियों को नेपाल और बांग्लादेश भेजने की योजना बना रखी थी। सौदा तय हो चुका था, लेकिन सौभाग्य से पुलिस समय रहते वहां पहुंच गई और लड़कियों को बचा लिया।
घटना की शुरुआत
तीनों छात्राएं एक ही गांव की रहने वाली हैं और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आती हैं। उनके पिता मजदूरी करके परिवार का पालन-पोषण करते हैं। 10 सितंबर को ये छात्राएं नौकरी की तलाश में घर से निकलीं। परिवार को यह जानकारी थी कि वे स्कूल जा रही हैं, लेकिन स्कूल की बजाय वे सीधे समस्तीपुर रेलवे स्टेशन पहुंच गईं। वहां दिल्ली जाने के लिए टिकट लेना चाहा, लेकिन काउंटर पर मौजूद महिला कर्मी ने उनकी उम्र देखकर कई सवाल पूछे और टिकट देने से मना कर दिया। इस बीच तीनों लड़कियां टिकट काउंटर से हट गईं और इसी दौरान तस्करों के संपर्क में आ गईं।
तस्करों के जाल में फंसना
स्टेशन पर ही एक महिला और एक युवक, जिसका नाम मुकेश बताया गया, उनसे मिले। उन्होंने लड़कियों को नौकरी दिलाने का लालच दिया। बातचीत में भरोसा जीतने के बाद उन्हें मुजफ्फरपुर ले जाया गया। वहां उन्हें घुमाया-फिराया गया और होटल में खाना भी खिलाया गया। बाद में कहा गया कि यहां काम नहीं मिलेगा, लेकिन पूर्णिया में अवसर है। इस प्रकार लालच और झांसे में आकर तीनों छात्राएं तस्करों के साथ पूर्णिया पहुंच गईं।
पूर्णिया में कैद
पूर्णिया के कप्तान पारा मोहल्ले में लड़कियों को एक बंद कमरे में रखा गया। कमरे में बाहर जाने की इजाजत नहीं थी और उनकी निगरानी के लिए एक महिला को नियुक्त किया गया था। यह स्थिति देखकर छात्राओं को एहसास हुआ कि वे गलत लोगों के चंगुल में फंस चुकी हैं। उन्होंने बाहर निकलने का रास्ता ढूंढना शुरू किया।
घर पर फोन करने की कोशिश
निगरानी करने वाली महिला की एक छोटी बच्ची भी थी। छात्राओं ने उससे दोस्ती बढ़ाई और मौका पाकर उसका मोबाइल फोन ले लिया। उसी फोन से उन्होंने घर पर कॉल कर दी। परिजनों को जब घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने तुरंत पुलिस से संपर्क किया। इसके बाद समस्तीपुर और पूर्णिया पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में 17 सितंबर को तीनों छात्राओं को बरामद कर लिया गया।
तस्करों की गिरफ्तारी
पुलिस छापेमारी के दौरान गिरोह की दो महिला सदस्य और मुकेश मौके से भाग निकले। हालांकि, पुलिस ने मधेपुरा जिले के नीरज कुमार पासवान (32) और पूर्णिया के अमित कुमार (23) को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में इन तस्करों ने स्वीकार किया कि वे तीनों छात्राओं को नेपाल और बांग्लादेश में बेचने वाले थे। इसके लिए सौदा भी तय किया जा चुका था। लेकिन बेचने से पहले ही पुलिस की कार्रवाई ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
छात्राओं की स्थिति और मेडिकल जांच
बरामद होने के बाद तीनों छात्राओं को समस्तीपुर लाया गया और सदर अस्पताल में उनका मेडिकल परीक्षण कराया गया। पुलिस ने बताया कि छात्राओं की उम्र 15 से 17 साल के बीच है, जिनमें से दो 11वीं की और एक 10वीं की छात्रा है। फिलहाल, उन्हें सुरक्षित परिवार के पास भेजने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
आर्थिक तंगी और झांसे का असर
पूछताछ में लड़कियों ने बताया कि घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। पिता राजमिस्त्री या मजदूरी करके किसी तरह परिवार का पालन-पोषण करते हैं। ऐसे में गांव की एक लड़की, जो दिल्ली में पढ़ती थी, ने उन्हें रोजगार का लालच दिया। उसी की बातों में आकर उन्होंने घर छोड़ने का निर्णय लिया और यह घटना घटित हुई। यह मामला यह भी दिखाता है कि गरीबी और बेरोजगारी किस प्रकार नाबालिग लड़कियों को असुरक्षित रास्तों पर धकेल देती है। समस्तीपुर से लापता छात्राओं की बरामदगी मानव तस्करी की बढ़ती समस्या का बड़ा उदाहरण है। तस्कर बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवारों की बेटियों को नौकरी और बेहतर जीवन का सपना दिखाकर अपने जाल में फंसा लेते हैं। पुलिस की तत्परता से तीनों छात्राओं की जान बच गई, लेकिन यह घटना चेतावनी है कि समाज और प्रशासन को मिलकर ऐसे गिरोहों पर सख्त कार्रवाई करनी होगी। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और शिक्षा के अवसर बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में कोई बच्ची इस तरह के जाल में न फंसे।

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