November 1, 2025

पटना में पुलिस का अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज, रोड पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा, महिला समेत कई घायल

पटना। पटना में सोमवार को पुलिस भर्ती की वैकेंसी निकालने और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की मांग कर रहे अभ्यर्थियों का प्रदर्शन अचानक हिंसक हो गया। स्थिति उस समय बिगड़ी जब अभ्यर्थी मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच करने लगे और पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। डाकबंगला चौराहे पर बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश के बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इस दौरान कई अभ्यर्थी घायल हो गए जिनमें एक महिला अभ्यर्थी का पैर भी टूट गया।
प्रदर्शन की पृष्ठभूमि
बिहार में लंबे समय से पुलिस और दरोगा भर्ती को लेकर अभ्यर्थी आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले दो साल से नई वैकेंसी घोषित नहीं हुई है। लाखों उम्मीदवार जो लगातार तैयारी कर रहे हैं, अब निराशा और हताशा का सामना कर रहे हैं। शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता रौशन आनंद ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया और साफ कहा कि जब तक नई वैकेंसी की घोषणा नहीं होगी, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
अभ्यर्थियों की मांगें
अभ्यर्थियों ने अपनी मुख्य मांगों में पुलिस दरोगा और सिपाही भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता पर जोर दिया। उनका कहना है कि परीक्षा के बाद प्रश्नपत्र, ओएमआर शीट की कार्बन कॉपी और आंसर की उपलब्ध कराई जानी चाहिए ताकि उम्मीदवारों को यह साफ हो सके कि उन्हें कितने अंक मिले और किन प्रश्नों के उत्तर सही माने गए। छात्र नेता खुशबू पाठक ने कहा कि आचार संहिता लागू होने में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। यदि 10 दिनों के भीतर वैकेंसी की घोषणा नहीं हुई तो यह चुनावी प्रक्रिया के कारण टल सकती है और लाखों बेरोजगार युवाओं का भविष्य अंधेरे में चला जाएगा।
लाठीचार्ज की घटना
प्रदर्शनकारी अभ्यर्थी पटना कॉलेज से हाथों में तिरंगा लेकर निकले थे। उनका उद्देश्य मुख्यमंत्री आवास का घेराव करना था। जब वे डाकबंगला चौराहे पर पहुंचे तो पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया। अभ्यर्थियों ने बैरिकेड तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने कोतवाली के पास लाठीचार्ज कर दिया। लाठीचार्ज में कई छात्र घायल हुए। सबसे गंभीर रूप से घायल महिला अभ्यर्थी का पैर टूट गया। घायल छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। इसके बाद भी अभ्यर्थियों का कहना था कि वे आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे। उनका नारा था कि जान से मार दीजिए लेकिन हमारी मांगें पूरी किए बिना हम हटने वाले नहीं हैं।
छात्र नेताओं के बयान
छात्र नेता दिलीप कुमार ने कहा कि यह अभ्यर्थियों का अधिकार है कि उन्हें परीक्षा की प्रक्रिया की पूरी जानकारी मिले। आयोग यदि आंसर की और अंक नहीं जारी करता तो यह पूरी तरह से अन्याय है। बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। खुशबू पाठक ने भी कहा कि सरकार अगर सचमुच बेरोजगारों की चिंता करती है तो उसे तुरंत दरोगा भर्ती की वैकेंसी जारी करनी चाहिए। आने वाली सिपाही भर्ती परीक्षा में भी पूरी पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी ताकि अभ्यर्थियों को न्याय मिल सके।
पुलिस का रवैया और प्रशासन की अपील
लाठीचार्ज के बाद अभ्यर्थियों को कोतवाली थाने के पास रोक दिया गया। पुलिस की ओर से लगातार अनाउंसमेंट किया जा रहा था कि अभ्यर्थी डाकबंगला चौराहे को खाली करें और शांति बनाए रखें। प्रशासन की ओर से कहा गया कि प्रदर्शन के अधिकार का सम्मान है, लेकिन कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी।
आक्रोश और बेरोजगारी का सवाल
यह घटना बिहार में बेरोजगारी की गहरी समस्या की ओर भी इशारा करती है। लाखों युवा सालों से पुलिस और अन्य सरकारी भर्तियों की राह देख रहे हैं। नियमित वैकेंसी न निकलने और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी के कारण छात्रों का आक्रोश लगातार बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि आंदोलन की आवाज पटना की सड़कों तक पहुंच गई और स्थिति लाठीचार्ज तक पहुंच गई। पटना में पुलिस भर्ती अभ्यर्थियों पर हुआ लाठीचार्ज सिर्फ एक घटना नहीं बल्कि युवाओं की गहरी निराशा और बेरोजगारी का प्रतीक है। अभ्यर्थियों की मांगें सीधी और तार्किक हैं—नियमित वैकेंसी और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता। सरकार के सामने चुनौती है कि वह इस आक्रोश को सही दिशा दे और युवाओं को भरोसा दिलाए। अगर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह असंतोष और बड़ा रूप ले सकता है।

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